सेबी यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड तय समय में अडानी-हिंडनबर्ग केस की जाँच नहीं कर पाया। इसने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर जांच पूरी करने के लिए 15 दिन की मोहलत और मांगी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा आज यानी 14 अगस्त को खत्म हो गई। अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने कई आरोप लगाए हैं और इसी मामले की सेबी को जाँच करने को कहा गया है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार अपने आवेदन में सेबी ने अदालत को बताया है कि उसने काफी प्रगति की है। बाजार नियामक सेबी ने आगे कहा कि एक मामले में उपलब्ध सामग्रियों के आधार पर एक अंतरिम रिपोर्ट तैयार की गई है और उसने विदेशी न्यायक्षेत्रों आदि में एजेंसियों और नियामकों से जानकारी मांगी है और ऐसी जानकारी प्राप्त होने पर वह इसका मूल्यांकन करेगा।
नियामक ने कहा है, ‘उक्त 24 पड़तालों में से 17 पूरे हो चुके हैं और सेबी की मौजूदा प्रथा और प्रक्रियाओं के अनुसार सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित हैं।’ आवेदन में कहा गया है कि एक मामले में सेबी ने अब तक एकत्र की जा सकने वाली सामग्री के आधार पर जांच पूरी कर ली है और सेबी की मौजूदा प्रथा और प्रक्रियाओं के अनुसार अंतरिम रिपोर्ट तैयार की गई है और सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित की गई है।
इसमें कहा गया है कि सेबी ने विदेशी न्यायक्षेत्रों आदि में एजेंसियों-नियामकों से जानकारी मांगी थी और ऐसी जानकारी प्राप्त होने पर उसका मूल्यांकन किया जाएगा। सेबी ने कहा कि शेष छह मामलों में से चार की रिपोर्ट सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदन की प्रक्रिया में है। आवेदन में कहा गया है कि सेबी को उम्मीद है कि इन चार मामलों के संबंध में अनुमोदन प्रक्रिया जल्द ही और किसी भी स्थिति में 29 अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख से पहले पूरी हो जाएगी।
यह दूसरी बार है जब सेबी ने इस मामले की जाँच के लिए समय बढ़ाने की मांग की है। इससे पहले मई महीने में इसने जाँच के लिए छह महीने का समय मांगा था। लेकिन तब छह माह के उस अनुरोध को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच पूरी करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड यानी सेबी को इतनी मोहलत नहीं दे सकता है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी परदीवाला की पीठ ने कहा था, ‘हम अब 6 महीने का समय नहीं दे सकते। काम में थोड़ी तत्परता बरतने की ज़रूरत है। एक टीम तैयार रखें। हम अगस्त के मध्य में मामले को सूचीबद्ध कर सकते हैं और उसके बाद रिपोर्ट प्राप्त कर सकते हैं। न्यूनतम समय के रूप में 6 महीने नहीं दिए जा सकते हैं। सेबी अनिश्चित काल तक लंबी अवधि नहीं ले सकता है और हम उन्हें 3 महीने का समय देंगे।’ बाद में अदालत ने तीन महीने का ही समय दिया था।
इससे पहले 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह द्वारा स्टॉक मूल्य में हेरफेर के आरोपों की जाँच पूरी करने के लिए सेबी को 14 अगस्त तक का समय दिया था और बाजार नियामक से जाँच की अद्यतन स्थिति रिपोर्ट रिकॉर्ड में रखने को कहा था। अदालत में अडानी-हिंडनबर्ग विवाद से संबंधित कई याचिकाएँ दाखिल की गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने मई में एक अंतरिम रिपोर्ट में कहा था कि उसने अरबपति गौतम अडानी की कंपनियों में ‘हेरफेर का कोई स्पष्ट पैटर्न’ नहीं देखा और कोई नियामक विफलता नहीं हुई। हालाँकि, इसने 2014-2019 के बीच सेबी द्वारा किए गए कई संशोधनों का हवाला दिया, जिसने नियामक की जाँच करने की क्षमता को बाधित कर दिया।
बता दें कि 24 जनवरी की एक रिपोर्ट में यूएस शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि उसने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया। हालाँकि अडानी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद से अडानी कंपनियों के शेयरों की क़ीमतें धड़ाम गिरी हैं और इससे समूह का मूल्य क़रीब आधा ही रह गया।