नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने राउज एवेन्यू कोर्ट को बताया कि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों द्वारा दायर यौन उत्पीड़न मामले में मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।
लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल की कोर्ट में शुक्रवार को कहा कि चार्जशीट में उल्लिखित अपराधों के लिए बृजभूषण और सह-अभियुक्त विनोद तोमर के खिलाफ आरोप तय किए जाने चाहिए।
दिल्ली पुलिस ने 15 जून को आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न) और 354डी (पीछा करना) के तहत 1,000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी।
सरकारी वकील श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि अभियुक्तों के वकील राजीव मोहन द्वारा दी गई दलीलें तारीफ के काबिल नहीं हैं। 2018 में दायर एक आपराधिक अपील के बाद सरताज खान बनाम उत्तराखंड राज्य में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए, सरकारी वकील ने अदालत में कहा: “…सीआरपीसी की धारा 188 के संदर्भ में बचाव पक्ष की ये दलीलें कि धारा 188 की रोक तब लागू होती है जब अपराध पूरी तरह से भारत के बाहर किया जाता है, अन्यथा नहीं। उन्होंने तर्क दिया कि अदालत के पास बृजभूषण पर मुकदमा चलाने का अधिकार क्षेत्र है क्योंकि विचाराधीन अपराध आंशिक रूप से दिल्ली में किए गए थे। उन्होंने आगे कहा कि चूंकि यह मामला आईपीसी की धारा 354 के तहत आता है, सीआरपीसी की धारा 468(3) के साथ, बचाव पक्ष के वकील द्वारा प्रस्तुत सीमा के तर्क पर कोई सवाल नहीं हो सकता है।
श्रीवास्तव ने कहा, “निगरानी समिति की रिपोर्ट, जिसने आरोपी को बरी कर दिया है, महज एक विभागीय जांच है और यह इस अदालत के अधिकार क्षेत्र पर रोक नहीं लगाती है।” उन्होंने कहा कि अदालत का कर्तव्य है कि वह केवल रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री को देखे। इस स्तर पर प्रथम दृष्टया जांच और लघु परीक्षण आयोजित नहीं किया जा सकता है।
अदालत अब मामले की आगे की सुनवाई 19 अगस्त को करेगी, जब शिकायतकर्ताओं के वकील आरोप के बिंदु पर दलीलें देंगे। बता दें कि भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर देश की कुछ महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का आरोप है। इस मुद्दे को देश की नामी महिला पहलवानों विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया आदि ने उठाया और लंबे समय तक जंतरमंतर पर धरना दिया। देशभर के किसान संगठनों और खाप पंचायतों ने उनके आंदोलन का समर्थन किया। लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा ने बृजभूषण शरण सिंह पर कोई कार्रवाई नहीं की। जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर पर चुप हैं, उसी तरह वो महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर भी चुप रहे थे।