कोटा : पत्नी को डेढ़ लाख रुपए गुजारा भत्ता नहीं देना पड़े, इसलिए पिता और भाई के साथ मिलकर उसकी चटनी पीसने वाले सिलबट्टे से मार-मारकर बेहरमी से हत्या कर दी गई। इससे भी खौफनाक ये है कि 26 साल की शालू को उसके 6 और 4 साल के दो बच्चों के सामने ही मौत के घाट उतारा गया।
हत्यारे पिता, दादा और चाचा ने मासूम बच्चों को भी उनकी मां जैसा हाल करने की धमकी दी। बच्चे पुलिस के सामने राज नहीं उगल दें इसके लिए उन्हें तीन दिन तक भूखा रखा गया। ताकि उनमें डर बैठ जाए। इस वारदात से सहमे बच्चे मां को जिस गड्ढे में दबाया गया था, उसके पास ही 72 घंटे तक बैठे रहे। अपने नाना के घर रह रहे बच्चे अब भी उस घटना को याद कर सहम उठते हैं। कोटा की रेलवे कॉलोनी में हुए शालू हत्याकांड के बाद मीडिया टीम मौके पर पहुंची।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
शालू ने जुलाई 2021 को पति से विवाद के बाद फैमिली कोर्ट में गुजारा भत्ते की एप्लिकेशन दी थी और फैसला शालू के पक्ष में आया था।
घर पर ताला, पड़ोसी बोले- बात तक नहीं करते थे
रेलवे कॉलोनी स्थित अंबेडकर नगर में 5 दिन पहले 31 जुलाई की सुबह हुए मर्डर के बाद आज भी सन्नाटा पसरा था। मोहल्ले में दो महिलाएं बैठी थीं। पूछा- जिस शालू का मर्डर हुआ, वह घर कौनसा है? हाथों से इशारा कर उन्होंने बताया कि चार घर छोड़ कर।
पुलिस की निगरानी में घर को ताला लगा रखा था ताकि सबूतों के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर दे। बंटी (29) ने इसी घर में अपनी पत्नी शालू (26) की सिर कुचलकर हत्या कर दी थी। इसके बाद उसकी लाश को घर में ही गड्ढा खोदकर दफना दिया था। जब लाश फूलकर ऊपर आने लगी तो उससे बदबू आने लगी। ऐसे में बोरे में बंद कर लाश को नहर में फेंक दिया था।
आस-पास के लोग इस घटना पर कुछ भी बोलने से डर रहे थे। एक पड़ोसी महिला सुनीता ने बताया कि हत्यारे बंटी (29) के मकान में पांच कमरे हैं, चार एक ही लाइन से हैं। बंटी से अनबन के बाद उसकी पत्नी ने कोर्ट में गुजारा भत्ते की फाइल लगाई थी। इसका फैसला कोर्ट ने शालू के पक्ष में दिया था। तब से वो चार में एक कमरे में अपने दो बच्चों के साथ रह रही थी।
महिला ने बताया कि पूरे परिवार का मोहल्ले में आना-जाना कम था। शालू बहुत कम घर से बाहर निकलती थी। मोहल्ले की महिलाओं से भी कम ही बात होती थी। जब दो दिन पहले मोहल्ले में बदबू आने के बाद खुलासा हुआ तो हम चौंक गए। विश्वास नहीं था कि इस घर में तीन दिन से लाश पड़ी है। अब मोहल्ले के बच्चों को इस घर बाहर से निकलने में ही डर सा लगता है।
इसी घर में शालू की हत्या कर शव को जमीन में दफना कर रखा गया था।
तीन दिन बच्चियों को भूखा रखा, धमकाया- मां जैसा हाल कर दूंगा
आरोपी बंटी (29), पिता पन्ना लाल (64), भाई दिलीप (26) और रवि (24) चारों ने बेरहमी की हद पार कर दी थी। शालू की हत्या कर बच्चों को धमकाया गया कुछ भी बोला तो मां जैसा हाल कर दूंगा।
जब पुलिस घर पहुंची तो दोनों मासूम बुरी तरह से सहमे हुए थे। दोनों बच्चे तीन दिन से मां की सड़ी लाश जहां दबाई गई थी, उसके पास ही बेसुध बैठे थे। बच्चों ने पुलिस को बताया कि उनके बेहरम पिता, दादा और चाचा ने मां की हत्या के बाद तीन दिनों तक उन्हें कैसे भूखा रखा। किसी ने अन्न का एक दाना भी ग्रहण नहीं किया।
सीआई भूपेंद्र ने बताया कि बच्चे इतने डरे हुए थे कि वे कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे। जब मैंने उनसे पूछा कि कुछ खाया या नहीं तो बच्चों ने ना में सिर हिलाया। मैं दोनों को अपने साथ थाने लाया और यहां बिस्किट दिए और खाना खिलाया।
हालांकि अब दोनों बच्चे अपने नाना और मौसी के पास हैं। बच्चों की स्थिति सामान्य होने के बाद उनके भी बयान लिए जाएंगे। बच्चों ने इतना जरूर बताया कि उनके चाचा राजेंद्र ने तीन दिन तक उन्हें बुरी तरह से डराकर रखा था। हत्या के बाद बंटी ने शालू के पिता को फोन कर ये कह दिया था कि वह लापता है। ऐसे में बेटी को ढूंढने जब पिता घर गया तो बंटी के पिता पन्नालाल ने मासूम बच्चों को दरवाजे के अंदर से ही दिखा दिया था। ये कहा था कि बच्चों से बात नहीं करनी है।
कमरे में बंद बच्चे, 4 साल का मासूम मां को याद कर रोने लगता है
मीडिया टीम ने शालू के पिता मोहन को कॉल कर बच्चों से बात करवाने को कहा तो उन्होंने मना कर दिया। वे बोले- दोनों बच्चे डरे हुए हैं। बड़ी बेटी तो ये ही कह रही है- पापा ने मम्मी को सिलबट्टे के पत्थर से मार दिया, फिर उसकी लाश को घसीटते हुए दूसरे कमरे में ले गए। बच्चियों ने घर पर नाना को बताया- कि पापा ने मम्मी को सिलबटटे से मार दिया। इसके बाद मुझे बिस्कुल दिए कि किसी को बताना मत। फिर मम्मी को दूसरे कमरे में ले गए। वापस आकर मुझे धमकाया कि किसी को बताया तो मार दूंगा
दोनों बच्चे अपनी मां को याद कर रहे हैं। 4 साल का बेटा तो मां को याद कर रोने लग जाता है। वो बार-बार मम्मी-मम्मी बोल शालू को याद करता रहता है। हम बच्ची को कमरे से बाहर आकर उसका मन बहलाने की कोशिश करते हैं लेकिन वो मना कर देती है। शायद डर की वजह से वह बाहर आने से कतरा रही है।
इसलिए हम अभी किसी को भी बच्चों से मिलने नहीं दे रहे हैं। बच्चों को यहां लेकर आए हैं ताकि इनके दिमाग पर उस घटना का कोई असर न हो। जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, उस उम्र में इन्होंने अपनी मां की निर्मम हत्या होते देखी है। बार-बार वह उसी घटना को याद कर रोने लग जाते हैं।
कैसे दिया हत्या की वारदात को अंजाम
दरअसल, कोटा के रेलवे कॉलोनी थाना इलाके में 31 जुलाई को सुबह 5 बजे जब शालू चाय बना रही थी, उस समय चारों आरोपियों ने पति बंटी, ससुर पन्नालाल और उसके दो देवरों दिलीप और रवि ने मिलकर पत्थर से सिर कुचलकर हत्या कर दी। घटना के समय दोनों मासूम बच्चे जगे हुए थे। दोनों ने इस हत्या को होते अपनी आंखों से देख लिया था। इसके बाद बंटी ने मकान के ही एक कमरे में करीब 6 फीट का गड्ढा खोदकर उसमें लाश दबा दी।
घर में बदबू आने के बाद इसी नहर में शव को को बोरे में डाल फेंका था।
तीन दिन बाद लाश फर्श से ऊपर आई तो नहर में फेंकी बॉडी
आरोपी बंटी का मकान रोटेदा नहर के बिल्कुल सामने है। घर कोने में है और आगे काफी पेड़ पौधे लगे हैं। अंदर एक गली जा रही है। जब शालू की बॉडी से बदबू आने लगी और फूलकर वह जमीन से बाहर आने लगी तो बंटी, उसके पिता और भाइयों ने लाश को बाहर निकाला और बोरे में बांध दिया। इसके बाद बुधवार रात को करीब 11 बजे बाद लाश को घसीटते हुए चंद कदम दूरी पर सामने से गुजर रही माइनर नहर में फेंक दिया।
नहर में अभी पानी चल रहा है। ऐसे में उन्हें यह संभावना थी कि पानी के साथ लाश बह जाएगी और वह पकडे़ नहीं जाएंगे। लेकिन, लाश बहकर डेढ़ किलोमीटर आगे पाइप के पास फंस गई। गुरुवार सुबह जब 10 बजे बदबू आई तो स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना दी। बोरे को निकाला तो उसमें से शालू की लाश निकली थी।
पति ने शव पहचानने से किया इनकार, बहन ने टैटू से पहचाना
नहर में लाश मिलने के बाद पुलिस ने बंटी को बुलाया। क्योंकि 31 जुलाई को शालू के पिता ने बेटी की गुमशुदगी रेलवे थाना में करवाई थी। आरोप भी लगाया था कि उन्हें बंटी पर शक है। इस पर शिनाख्ती के लिए बंटी को बुलाया। लेकिन, उसने लाश को देख पहचानने से मना कर दिया।
कहा कि ये शालू नहीं है। लेकिन, जब शालू की बड़ी बहन ज्योति मौके पर पहुंची तो उसने हाथ पर बने एसएम नाम के टैटू से उसकी पहचान की। यहीं पर पुलिस को बंटी पर शक गहरा गया। इसके बाद थाने ले जाकर पूछताछ की तो उसने पूरी कहानी बताई।
आठ साल पहले हुई थी शादी, गुजारा भत्ता बना विवाद की वजह
दरअसल, शालू लुहावद गांव की रहने वाली थी। अभी वह रेलवे थाना क्षेत्र के अंबेडकर नगर में पति के घर में साथ ही रहती थी। दोनों की शादी आठ साल पहले 2015 में हुई थी। 5 साल जैसे-तैसे गुजरने के बाद साल 2021 में दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया। इसके बाद वह अपने ससुराल में एक कमरे में अपने दो बच्चों के साथ अकेली रहने लगी थी। साल 2021 में शालू की तरफ फैमिली कोर्ट में मामला पहुंचा और 2023 में फैसला शालू के हक में गया।
कोर्ट ने शालू के पति बंटी डेढ़ लाख रुपए के हिसाब से 31 जुलाई को गुजारा भत्ता देने के निर्देश दिए और इसे बंटी को कोर्ट में जमा करना था। ये ही गुजारा भत्ता शालू की मौत की वजह बनी। रेलवे कॉलोनी थाने के सीआई भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि चारों आरोपियों से पुलिस पूछताछ में जुटी हुई है। आरोपियों से हत्या के प्रयुक्त किए गए पत्थर समेत अन्य चीजे बरामद करने बाकी हैं। फिलहाल आरोपी पुलिस रिमांड पर हैं।