जयपुर : उसने मुझे कमरे में बुलाया। मुझसे अश्लील बातें की। उसकी बातों का जवाब नहीं था मेरे पास। मैंने शर्म के मारे आपनी आंखें नीचे कर लीं और गर्दन झुका ली। फिर वो मेरे और नजदीक आ गया। मेरे सीने पर हाथ रखा और कपड़े पकड़कर अपनी ओर खींचा। फिर मुझसे पूछा- तुम अंदर के कपड़े पुराने पहनती हो या नए।’
इस डरावनी और घिनौनी घटना का सामना किया 17 साल की एक नाबालिग ने। शर्मनाक ये है कि यह घटना किसी सुनसान गली में नहीं, उस जगह हुई, जिसे बेसहारा बच्चियों के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है बालिका गृह। इस घिनौनी हरकत का आरोपी है 40 वर्षीय एडवोकेट मनोज सैनी, जो चूरू की बाल संरक्षण समिति का सदस्य भी है।
ऐसा एक नहीं, 5 बालिकाओं के साथ हुआ। 8 महीने से इन बालिकाओं का दर्द और समिति सदस्य की घिनौनी करतूत बालिका गृह के दरवाजों के पीछे बंद थी। चूरू बालिका गृह से इन बालिकाओं को बीकानेर शिफ्ट किया गया तो सच सामने आया।
मामले में सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि बाल अधिकारिता विभाग ने 6 महीने पहले मनोज सैनी को बर्खास्त करने की मंजूरी के लिए फाइल भेजी थी, लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली। 1 जून को आरोपी मनोज सैनी के खिलाफ चूरू में पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज हो गया, लेकिन गिरफ्तारी तो दूर CWC में उसकी सदस्यता कायम है।
पढ़िए कैसे एक आरोपी सिस्टम में रहकर मासूम बालिकाओं का कई महीनों से शोषण कर रहा था…
हर महीने आता, बच्चियों को अकेले में ले जाता
चूरू स्थित बालिका गृह में पिछले साल 5 बच्चियां रह रही थीं। राज्य सरकार ने पेशे से एडवोकेट मनोज सैनी को जिले का CWC मेंबर बनाया। इस कारण वह हर महीने बालिका गृह की जांच के लिए आता था। बच्चियों ने बताया कि मनोज सैनी उन्हें कमरे में ले जाकर अकेले में बात करता था। बालिका गृह के स्टाफ को बाहर निकल देता था। शुरू में जब बालिका गृह का स्टाफ साथ ही रहता, तो उन पर भी गुस्सा होता था।
बालिका आश्रय गृह चूरू की संचालक संस्था के सचिव राजेश अग्रवाल ने बताया कि CWC के मेंबर को कोई नाराज नहीं करना चाहता था। ऐसे में स्टाफ उसकी बात मान लेता था। लेकिन जब बार-बार वह बालिकाओं को अकेले में लेकर जाता तो हमने आपत्ति की।
इस पर मनोज सैनी नाराज हो गया और उसने कमेटी के अन्य सदस्यों को विश्वास में लेकर हमारे बालिका गृह की अप्रैल, 2022 को एक शिकायत की। शिकायत में कहा गया कि बालिका गृह में नाबालिगों की कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। खाना-पान भी अच्छा नहीं है। बच्चियों को पुराने कपड़े मिलते हैं। इस शिकायत पर राज्य सरकार ने मई में बच्चियों को बीकानेर के बालिका गृह में शिफ्ट कर दिया गया। 17 जून 2022 को चूरू के बालिका गृह को बंद करवा दिया गया।
बालिकाओं को कई बार डराया-धमकाया
बच्चियों को बीकानेर बालिका गृह में शिफ्ट करने के बाद चूरू के बालिका गृह की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया। कमेटी में बीकानेर की सहायक निदेशक कविता स्वामी व चूरू के सहायक निदेशक नरेश बारोठिया समेत अन्य शामिल थे। इस कमेटी ने 4 मई, 2022 को बीकानेर स्थानान्तरित की गई बालिकाओं से चूरू बालिका गृह की व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली तो हैरान कर देने वाले सच का खुलासा हुआ।
बालिकाओं ने कमेटी को मनोजी सैनी की घिनौनी करतूतों के बारे में बताया। बालिकाओं ने बताया कि किस तरह मनोज सैनी उन्हें बात करने के बहाने अकेले कमरे में ले जाता था और उनसे छेड़छाड़ करता था। मनोज सैनी ने कई बार डराया-धमकाया। वह ऊपर से नीचे तक घूरता था। एक बच्ची ने हिम्मत करके कहा कि मनोज सैनी ने कमरे में गंदी हरकत की थी। दूसरी ने पिटाई होने की बात बताई।
बहादुर लड़कियां, जो आरोपी का सच सामने लाई
आरोपी के खिलाफ दर्ज कराया पॉक्सो का केस
18 साल की हो चुकी एक युवती ने बताया कि- ‘मैं तब 17 साल की थी। CWC अध्यक्ष कमला देवी और सदस्य मनोज सैनी के साथ अन्य सदस्य निरीक्षण के लिए आए थे। मनोज सैनी हर बार बंद कमरे में नाबालिगों से बातचीत करता और स्टाफ को बाहर भेज देता था। 28 फरवरी, 2022 को भी उसने कमरे में बुलाया।
मनोज सैनी ने मेरे सीने पर हाथ लगाया और मेरे कपड़े पकड़कर मुझे अपनी ओर खींच लिया। मुझसे कहा कि तुम ये अंदर के कपड़े भी पुराने पहनती हो या नए। फिर सीने पर हाथ लगाते हुए कहा कि मैं यहां के कपड़ों की बात कर रहा हूं।’
‘इस बीच बाल कल्याण समिति चूरू की अध्यक्ष कमला देवी कमरे में आ गई। मैंने रोते-रोते पूरी घटना के बारे में उन्हें बताया। उन्होंने भी मनोज सैनी का ही पक्ष लिया। इसके बाद इस हरकत की जानकारी अन्य सदस्य रुकिया को भी दी, लेकिन उसने कार्यवाही करने का आश्वासन देकर चुप रहने के लिए कहा। इस घटना के बाद से ही लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित महसूस करती रही और इस घटना से परेशान रहती थी।’
‘मैं जब 18 साल की हुई, तो 1 सितम्बर को बीकानेर बालिका गृह से निकली। हिम्मत जुटाकर 3 सितम्बर को चूरू एसपी और महिला थाने को लिखित शिकायत की। सदर थाना चूरू को जांच के लिए कहा था, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ा।
इसके बाद 3 अक्टूबर को कलेक्टर, एसपी के साथ विधिक सेवा प्राधिकरण को पत्र लिखा था। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं होती दिखी तो पिछली 24 मई को कोर्ट में इस्तगासा दायर कर अपनी पीड़ा बताई। कोर्ट ने अगले दिन 25 मई को ही मामला दर्ज करने के आदेश दिए, तब जाकर मेरी FIR दर्ज हो सकी। इसके बाद 1 जून को मनोज सैनी के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ।’
बयान बदलवाने की कोशिश
दूसरी बालिका ने कमेटी की पूछताछ में बताया कि मनोज सैनी ने कमरे में उसके साथ गंदी हरकत की थी। उसने यह भी बताया कि उनसे चूरू में पहले से पॉक्सो एक्ट का मामला दर्ज करवा रखा है। इस कारण वह चूरू बालिका गृह में रह रही है।
नाबालिग का पति व ससुराल के अन्य व्यक्तियों द्वारा शारीरिक शोषण का मामला चल रहा है। बालिका ने आरोप लगाया कि मनोज सैनी ने डरा धमकाकर बयान बदलने के लिए पॉक्सो एक्ट के आरोपियों से जबरन मिलवाया। अपने फोन से आरोपियों से बात भी करवाई।
बयान देने से मना किया तो पीटा
बाल अधिकारिता विभाग की जांच रिपोर्ट में तीसरा मामला 6 साल से चूरू बालिका गृह में रह रही बालिका से जुड़ा हुआ है। इस बालिका को एक योजना के तहत बड़े अधिकारी ने गोद भी ले रखा है। नाबालिग ने आरोप लगाया कि मनोज सैनी हमेशा उसे प्रताड़ित करता था। मनोज सैनी ने उसे चूरू बालिका गृह की व्यवस्थाओं के खिलाफ बयान देने को कहा था। जब बच्ची ने मना कर दिया तो मनोज सैनी ने उसकी पिटाई तक कर दी।
विभाग ने सदस्य को बर्खास्त करने की फाइल भेजी, लेकिन अटकी
अगस्त 2020 से मनोज सैनी बाल कल्याण समिति चूरू के सदस्य के तौर पर काम कर रहा है। करीब 6 महीने पहले बाल अधिकारिता विभाग ने इन मामलों को गंभीरता से लिया। उन्होंने किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई के लिए लिख दिया, इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में मनोज सैनी ने भास्कर ने बात की, तो उन्होंने पूरे आरोप सुनने के बाद कहा कि मैं बाद में अपना पक्ष रखूंगा।
नियम : तीन महीने में कार्रवाई, एफआईआर है तो तुरंत निलंबन
राज्य सरकार किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) आदर्श नियम 2016 के संशोधित नियम 2021 में 15 (4घ) में लिखा है कि यदि समिति के अध्यक्ष या किसी सदस्य के विरूद्ध कोई शिकायत प्राप्त होती है तो राज्य सरकार आवश्यक जांच करेगी और दो माह की अवधि के भीतर जांच को पूरा करेगी और राज्य सरकार जांच के पूरा होने के एक माह के भीतर उचित कार्यवाही करेगी।
जबकि विधानसभा में फरवरी 2022 में विभाग ने जवाब दिया है कि कार्यवाही के लिए सरकार को पत्रावली भेज चुके हैं। जिसे अब तक चार माह हो गए है। कार्यवाही की डेडलाइन कानून में एक माह की है।
इसके अलावा आवश्यक हो तो सरकार संबंधित अध्यक्ष या सदस्य को तत्काल बिना जांच के लंबित करते हुए, उचित अवधि के लिए, या जांच करने के पश्चात और सुनवाई का अवसर देने के प्रश्चात निलंबित कर सकती है। इस मामले में भी पांच दिन पहले एफआईआर दर्ज होने के बाद कोई कदम सरकार की ओर से नहीं उठाया गया है।