जयपुर : विधानसभा चुनाव में 6 महीने का ही वक्त बचा है। कांग्रेस का एक ही मिशन है – सरकार रिपीट करना। इसी मिशन को पूरा करने के लिए कांग्रेस सरकार हर वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है।
हाल ही में दो दिन पहले सीएम गहलोत ने 100 यूनिट फ्री बिजली का दायरा और बढ़ा दिया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को राहत मिल सके। अब सामने आया है कि कर्नाटक की तर्ज पर राजस्थान में भी कांग्रेस चुनाव से पहले 5 बड़ी राहतें दे सकती है…
- 200 से 300 यूनिट तक फ्री बिजली
- महिलाओं को 1500 से 2 हजार रुपए मासिक भत्ता
- रोडवेज बसों में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा
- अन्नपूर्णा रसोई किट
- पेट्रोल-डीजल 3 रुपए प्रति लीटर तक सस्ता
दरअसल, सीएम और वित्त मंत्री अशोक गहलोत वित्त विभाग से इस विषय में लगातार मंथन कर रहे हैं। सीएम गहलोत ने 25 नवंबर-2022 को राज्य की वित्तीय स्थिति की छह-माही समीक्षा (फिस्कल रेस्पांसबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट-एफआरबीएम एक्ट) की थी। राज्य के खजाने में करीब 23 प्रतिशत की विशुद्ध बढ़ोत्तरी देखी थी, तब उन्होंने फरवरी-23 में पेश किए गए बजट को बचत राहत और बढ़त की थीम पर पेश किया था।
अब मई के अंतिम सप्ताह में फिर से छह-माही समीक्षा की गई है, जिस में प्रदेश की आर्थिक स्थिति एक बार फिर बेहतर दिखाई दे रही है। सीएम खुद इस रिपोर्ट को जल्द जारी करेंगे। सूत्रों के अनुसार इस बीच कुछ 5 नई राहतें जल्द सामने आने वाली हैं।
इन राहतों के संबंध में सीएम गहलोत राज्य स्तर पर जहां वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा व मुख्य सचिव के साथ विचार कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस में दिल्ली के स्तर पर स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और संगठन महासचिव के. सी. वेणुगोपाल के स्तर पर भी कर्नाटक की अच्छी योजनाओं को राजस्थान और राजस्थान की अच्छी योजनाओं को पूरे देश में एक मॉडल स्टेट के रूप में प्रचारित करने पर प्लानिंग कर रहे हैं।
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फ्री बिजली : 200 से 300 यूनिट
200 से 300 यूनिट फ्री बिजली की घोषणा की जा सकती है। प्रदेश में अभी तक 100 यूनिट बिजली फ्री है। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में चुनाव से पहले 200 यूनिट फ्री बिजली का वादा किया था। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि चुनावों से पहले राजस्थान में भी कांग्रेस फ्री बिजली का दायरा बढ़ाकर लोगों को और ज्यादा राहत दे सकती है।
महिलाओं को मासिक भत्ता : 1500 से 2 हजार रुपए
कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने प्रत्येक गृहिणी को प्रति माह 2000 रुपए देने के वादे को हाल ही लागू किया है। राजस्थान में बहुत सी कल्याणकारी योजनाएं पहले से चालू हैं, लेकिन जिसमें महिलाएं डायरेक्ट आर्थिक रूप से लाभार्थी हों, ऐसी कोई योजना नहीं है। कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए मध्यप्रदेश में अभी से घोषणा कर दी है कि सत्ता में आने पर हर महिला को महीने के 1500 रुपए दिए जाएंगे। मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पिछले सप्ताह प्रेसवार्ता कर महिलाओं से यह वादा किया।
राजस्थान में चूंकि कांग्रेस सत्ता में है तो यहां पर 1500-2000 रुपए मासिक हर महिला को दिए जा सकते हैं। इस पर दिल्ली से लेकर जयपुर तक विचार किया जा रहा है। कामकाजी महिलाओं को इस तरह का भत्ता दिया जाए या नहीं और 18 वर्ष से कम आयु या 60 वर्ष से ज्यादा आयु की महिलाओं को यह भत्ता देने न देने पर जल्द ही अंतिम रूप से फैसला किया जाएगा।
महिलाओं को रोडवेज बसों में फ्री यात्रा
राजस्थान में वर्ष 2013 में तत्कालीन सीएम के रूप में अशोक गहलोत ने ही रोडवेज की बसों में लगने वाले किराए में 30 प्रतिशत की छूट दी थी, जो अब तक जारी थी। 2023 में गहलोत ने इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया था। अभी सप्ताह भर पहले ही इस 50 प्रतिशत छूट को सामान्य बसों के दायरे से बढ़ाकर एसी-लग्जरी बसों में भी लागू कर दिया गया है। कर्नाटक में कांग्रेस ने सरकार बनते ही महिलाओं को सम्पूर्ण मुफ्त परिवहन की योजना दी है। महिलाओं को सरकारी बसों में कोई किराया नहीं देना पड़ता। ऐसे में संभावना है कि राजस्थान में भी कांग्रेस महिलाओं को रोडवेज बसों में फ्री यात्रा की सहूलियत दे सकती है।
अन्नपूर्णा रसोई किट
महंगाई से राहत के लिए बीपीएल परिवारों के लिए रसोई में काम आने वाली जरूरी चीजों (तेल, मसाले, आटे, बेसन, चावल, दाल आदि) के अन्नपूर्णा रसोई किट बांटे जाने की योजना है। इसकी टेंडर प्रक्रिया चल रही है। संभवत: अगस्त से यह मिलना शुरू होंगे।
पेट्रोल-डीजल 3 रुपए प्रति लीटर तक सस्ता
राजस्थान में पेट्रोल की कीमतें 108-109 रुपए प्रति लीटर हैं। इनमें करीब 28 रूपए का वैट टैक्स (राज्य सरकार का) शामिल है। सीएम गहलोत ने मई-2022 में पेट्रोल की कीमतों में 2 रुपए 48 पैसे की कमी की थी। अब करीब 3 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से कमी की जा सकती है। इसी तरह की कमी डीजल के दामों में भी की जा सकती है।
गरीब-निम्न मध्यमवर्ग पर फोकस
प्रदेश में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले उन क्षेत्रों और तबकों को आर्थिक लाभ पहुंचाने पर फोकस किया जा रहा है, जो मतदान और चुनावों के प्रति खासे उत्साहित रहते हैं। इनमें गरीब, निम्न-मध्यम वर्गीय लोगों पर विशेष ध्यान है। हाल ही सरकार ने राहत कैंप लगाकर अपनी सभी फ्लैगशिप योजनाओं के तहत 1 करोड़ 40 लाख परिवारों (छह करोड़ लोग) के राहत कार्ड बनवाए हैं।
कांग्रेस के थिंक टैंक के जयराम, पित्रोदा और राजू
कांग्रेस के लिए हाल ही कर्नाटक चुनावों में मिली जीत पूरे देश में बहुत महत्वपूर्ण बन गई है। राहुल गांधी ने जब भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी, तो उसे कर्नाटक में ही सबसे जबरदस्त रेस्पांस मिला था जबकि कर्नाटक भाजपा शासित राज्य था। ऐसे में कर्नाटक में जिस थिंक टैंक ने चुनावों की रणनीति बनाई थी, उसी थिंक टैंक ने अब राजस्थान और मध्यप्रदेश पर भी फोकस किया हुआ है।
इस थिंक टैंक में मुख्यत: पूर्व केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश हैं। उनके साथ राहुल गांधी की निजी टीम के सदस्य एम. राजू जुड़े हुए हैं। राजू आईएएस से 50 वर्ष की आयु में ही त्यागपत्र देकर राहुल की टीम का हिस्सा बने हैं। तकनीकी विशेषज्ञ व पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे सैम पित्रोदा भी राहुल के नजदीकी सलाहकार हैं। पित्रोदा इन दिनों राहुल के साथ अमेरिका में हैं।
कर्नाटक में कांग्रेस की चुनाव रणनीति बनाने वाली डिजायन बॉक्स कम्पनी और उसके निदेशक नरेश अरोड़ा राजस्थान में भी कांग्रेस सरकार की चुनावी रणनीति देख रहे हैं। यह थिंक टैंक राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को सीधे रिपोर्ट करता है। थिंक टैंक में और भी कई विशेषज्ञ लोग शामिल हैं।
थिंक टैंक के सुझाव पर किया था सस्ते सिलेंडर का फैसला
यह थिंक टैंक लगातार राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक नीतियों पर काम कर रहा है। वे बहुत से एनजीओ जो फील्ड में काम कर रहे हैं, उनसे फीडबैक लेते हैं। लोगों की समस्याओं पर उनकी राय जानते हैं। इनमें रैमन मेग्सेसे पुरस्कार विजेता अरुणा राय व निखिल डे जैसे शीर्ष सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं।
राहुल के सहायक एम. राजू ने सिकराय (दौसा) में उनसे बातचीत की थी और फिर घरेलू गैस सिलेंडर के दाम कम करने का फीडबैक मिला था। इस फीडबैक के आधार पर राहुल गांधी ने सीएम गहलोत को गैस सिलेंडर के दाम करने की सलाह दी थी। तब सीएम गहलोत ने मौके पर सिलेंडर के दामों में 500 रुपए की छूट देने की घोषणा की थी, जिसे बजट-फरवरी 2023 में लागू किया गया।
कॉर्पोरेट घरानों को मिलती है छूट तो गरीबों को क्यों नहीं
पूर्व सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने भास्कर को बताया कि जब कॉर्पोरेट घरानों को कई तरह की छूटें दी जाती हैं, तो आम लोगों को क्यों नहीं दी जा सकती। जब उन्हें बहुत से नियमों, शुल्क आदि में राहत दी जाती हैं, तो आम लोगों को भी देनी ही चाहिए। किसी भी राज्य में सरकार अगर अपने आर्थिक संसाधनों को ध्यान में रखते हुए गरीब लोगों को आर्थिक सहायता देती है तो यह उचित प्रशासनिक कदम माना जाना चाहिए।
बिजली, सिलेंडर, भोजन, पेट्रोल, परिवहन तो लगभग फ्री ही होने चाहिए
पेंशन, रोजगार और अधिकारों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना है कि बिजली, सिलेंडर, भोजन, पेट्रोल, परिवहन, शिक्षा, चिकित्सा आदि तो सभी के लिए फ्री ही होने चाहिए। इसमें केवल महिलाओं को छूट देना या किसी वर्ग विशेष को छूट देना उचित नहीं। राज्य व शासन का कर्तव्य है कि इन चीजों व सुविधाओं के मौजूदा दाम या तो आधे हों या पूरी तरह से नि.शुल्क ही हों।
सरकार का कर्तव्य है, सुशासन के तहत लोगों को राहत दे
शासन-प्रशासन विषय के प्रोफेसर संजय सिन्हा का कहना है कि सरकार का कर्तव्य ही है कि उसे लोगों का जीवन सरल व सहज बनाना है। अगर जीवन जीने की सामान्य सुविधाएं ही ज्यादा कीमतों के चलते गरीब के हाथों से बाहर हों, तो फिर सरकार का औचित्य ही क्या रह जाता है। अगर सरकार बिजली, भोजन, परिवहन की कीमतें घटा रही हैं या कोई छूट दे रही है, तो यह उचित ही है।