झुंझुनूं : थानों में कबाड़ हो रहे करोड़ों के वाहन:जब्त वाहनों की नीलामी में परेशानी, बीमा राशि अदायगी के बाद भी बीमा कंपनी नहीं ले रहीं वाहनों की सुपुर्दगी

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल

झुंझुनूं : कोतवाली और सदर सहित जिले के अन्य थानों में पड़े लावारिस वाहन नीलामी के इंतजार में कबाड़ में परिवर्तित होते जा रहे हैं। जिले के थानों में सैकड़ों बाइक हैं जो कि रख-रखाव के अभाव में गल रही हैं। नीलामी की जटिल प्रक्रिया होने के कारण वाहनों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। हालांकि पुलिस की ओर से थानों के लावारिस वाहनों की लिस्ट तैयार कर समय-समय पर एक-एक, दो-दो वाहनों की नीलामी की जा रही है, मगर फिर झुंझुनूं समेत जिले के 24 थानों में हजारों की संख्या में दुपहिया और चार पहिया वाहन बेकार पड़े हैं। जिनकी कीमत करोड़ों रुपए में रही होगी। लेकिन इनमें से ज्यादातर वाहन अब कबाड़ हो चुके हैं। अकेले सदर थाने में 300 से अधिक दुपहिया व चार पहिया वाहन जब्त है। इनमें 5 से 10 लाख रुपए कीमत की कई कारें भी शामिल हैं, जो अवैध मादक पदार्थ व शराब तस्करी में जब्त की गई हैं।

गल रहे है वाहन थाना परिसर में खुले आसमान के नीचे रखी जब्त बाइकों में जंग लग रही है। 40 से 50 बाइकों के पार्ट्स धीरे-धीरे गायब होते जा रहे हैं। टायर भी दीमक लगने से गल गए हैं। बाइकों की नीलामी कर दी जाए तो पुलिस प्रशासन को राजस्व का लाभ होगा। मगर लावारिस या किसी मामले में जब्त वाहन के निस्तारण की प्रक्रिया काफी लंबी होती है। पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक आकर अपना वाहन ले जाए।

बीमा कम्पनिया नहीं उठा रही है वाहन काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है। तब न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है। इससे काफी समय लगता है। बड़ी बात यह है कि चोरी गए अनेक वाहनों के एवज में बीमा कंपनी वाहन मालिकों को बीमा राशि का भुगतान भी कर चुकी, लेकिन सैंकडों वाहन ऐसे हैं जिनका बीमा कंपनी थाने से उठाव नहीं कर रही है।

वाहनों की नीलामी के नियम

पुलिस अधिकारियों के अनुसार नीलामी के लिए पहले लावारिस वाहनों को ही लिस्ट में रखा जाता है। किसी अपराध में पकड़े वाहनों की नीलामी जल्दी से नहीं होती है। प्रकरण के कोर्ट में निपटारे के दौरान ही बाइक मालिक को उसकी संपत्ति सौंप दी जाती है। यदि प्रकरण के निपटारे के बाद भी वाहन का कोई दावेदार न मिलें तो उसे नीलामी के लिस्ट में रखा जाता है। अक्सर अनक्लेम्ड वाहनों की संख्या बहुत कम होती है। यही कारण है कि ऐसे वाहनों की नीलामी जल्दी से नहीं होती है। पुलिस के अनुसार लावारिस अवस्था में बरामद या जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी होती है। वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत पुलिस रिकॉर्ड में लेती है। इसके बाद न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है। न्यायालय के आदेश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट आदि चिपका कर या समाचार पत्रों के माध्यम से उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किए जाने का प्रावधान है ताकि वाहन मालिक अपना वाहन वापस ले सके। इसके बाद नीलामी के लिए न्यायालय को एक प्रतिवेदन भेजना होता है। कोर्ट से आदेश प्राप्त होने के बाद ही नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जाती है। ASP डॉ तेजपाल सिंह ने बताया कि जब्त शुदा वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया लंबी है। प्रकरणों के निस्तारण के बाद कुछ वाहन ले जाते है वही जो बचते है उनकी नीलामी की प्रक्रिया की जाती है।

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