हरियाणा-फरीदाबाद : मुजेसर पुलिस के एक अनोखे दमनकारी हथकंडे के बावजूद : क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा द्वारा आक्रोश प्रदर्शन

हरियाणा-फरीदाबाद : क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा द्वारा आयोजित, फरीदाबाद नगर निगम आयुक्त के सम्मुख, 29 मई को होने वाले आक्रोश प्रदर्शन को विफल करने के, मुजेसर पुलिस के एक अनोखे दमनकारी हथकंडे के बावजूद, सभा और ज्ञापन का कार्यक्रम शानदार रहा. मुजेसर पुलिस जान चुकी थी, कि पूरी मज़दूर बस्ती की महिलाऐं पूरे जोश-ओ-खरोश से आक्रोश प्रदर्शन में जाने वाली हैं. पुलिस के घोर जनवाद-विरोधी, संविधान विरोधी, परोक्ष दमनकारी, अनोखे हथकंडे की तफ्शील ज़रूरी है, जिससे लोग सावधान रहें।

सुबह 8 बजे से ही, आज़ाद नगर के मज़दूर, जिनमें महिलाऐं पुरुषों से ज्यादा थीं, प्रदर्शन में जाने की तयारी कर रहे थे. तब ही, मुजेसर थाने की एक जिप्सी, प्रमुख चौक पर आकर खड़ी हो गई. 4 पुलिस वाले, बस्ती में चक्कर मारने लगे. एक-दो जगह कुछ युवकों की तलाशी ली गई, मानो वे किसी खास व्यक्ति की तलाश में हैं. लोगों में उत्साह की जगह, भय और आशंका ने ले ली. तब ही, पुलिस ने, मोर्चे के अध्यक्ष कॉमरेड नरेश को हिरासत में लिया. कारण पूछा, तो कुछ नहीं बोले, बस धक्काशाही. ऐसा वे पहले भी कर चुके थे, इसलिए तुरंत पुलिस कमिश्नर से शिकायत की गई. तब, एक घंटे बाद छोड़ दिया. क्या पुलिस, किसी को भी, बिना वज़ह बताए, बिना शिकायत, उठा सकती है? क्या बिना घोषणा किए, संविधान का राज़ ख़त्म किया जा रहा है? ये सवाल जन-मानस और मीडिया में छाए रहे।

पूरे 9 महीने बीत गए, जब 11/12 अगस्त की रात, आज़ाद नगर की, 11 वर्षीय मासूम गुडिया, बस्ती में सार्वजनिक शौचालय ना होने के कारण, शौच के लिए रेल पटरियों के किनारे गई, बे-इन्तेहा हैवानियत के बाद मार डाली गई. ऐसी जघन्य घटना घटने, हरियाणा सरकार, फरीदाबाद प्रशासन तथा नगर निगम आयुक्त को बार-बार ज्ञापन/ शिकायत देने के बाद भी, आज़ाद नगर में सार्वजनिक शौचालय आज भी फाइलों में ही बंद है. आज़ाद नगर में शौचालय होता तो गुड़िया आज जीवित होती. आज भी, आजादनगर की महिलाएं-बच्चियां, रेल पटरियों के किनारे शौच जाने को विवश हैं. प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री जी चीख-चीखकर, सारे देश को खुले में शौच मुक्त घोषित कर चुके हैं, जबकि प्रधानमंत्री निवास से महज़ 25 किमी की दूरी पर, हजारों लोग अभी भी, शौच के लिए मज़बूर हैं. महिलाओं को खुले में शौच जाने से अपमानजनक कुछ भी नहीं. ये देश कैसा विश्वगुरु है, ये कैसा अमृतकाल है, आजादनगर के मज़दूर हैरान हैं।

इसके आलावा, बस्ती में मौजूद ‘चन्द्रिका प्रसाद स्मारक सामुदायिक केंद्र’ बिलकुल खँडहर बन चुका है. बस्ती में एक भी सरकारी स्कूल नहीं. कुछ समाजसेवी लोग वहाँ मज़दूरों के बच्चों को पढ़ाते हैं. वह ईमारत बहुत पुरानी हो चुकी कि कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है।

गुड़िया को न्याय, पुराने शौचालय की मरम्मत, नए शौचालय का निर्माण और सामुदायिक केंद्र की मरम्मत, सफ़ाई और रखरखाव के मुद्दों पर, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा 15 अगस्त, 2022 से लगातार, इस मुद्दे पर जन-आंदोलन आयोजित करता आ रहा है. प्रशासन तभी से कहता आ रहा है कि टेंडर हो चुका है, काम शुरू होने ही वाला है, लेकिन ज़मीन पर एक फावड़ा भी अभी तक नहीं लगा है।

अतिरिक्त आयुक्त ने, स्थानीय मीडिया, सभा और कार्यालय में उपस्थित जन-समुदाय के समक्ष, भरोसा दिलाया कि नए शौचालय के टेंडर में अब विलम्ब नहीं होगा. पुराने शौचालय और सामुदायिक केंद्र की मरम्मत भी सर्वोच्च प्राथमिकता पर की जाएगी. देखते हैं उनकी कथनी और करनी समान है या कुछ और सभा को प्रमुख रूप से क्रा म मो के अध्यक्ष कामरेड नरेश और महासचिव कामरेड सत्यवीर सिंह ने संबोधित किया. हालाँकि कॉमरेड रिम्पी और श्रीमती किरण ने भी अपनी मुसीबत मीडिया को समझाई. एक और खास मुद्दे को प्रशासन और पुलिस के संज्ञान में लाया गया. आरोपी पकड़े ना जाने के कारण, पीड़ित मज़दूर, विधवा महिला को, जो अनुसूचित जाति से हैं, निर्धारित रु 8.5 लाख का मुआवज़ा, अभी तक नहीं मिल पाया और एफआईआर में एस सी-एस टी एक्ट नहीं लग पाया।

लाल झंडों, ज़ोरदार नारों के अतिरिक्त, आन्दोलनकारियों द्वारा अपनी कमीज़ों पर लगाई ये तख्तियां, विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं; ‘मज़दूर भी इंसान हैं; हुकूमत को ये बात हम समझाकर रहेंगे’, ‘मज़दूर, महिलाओं के सम्मान के लिए लड़ना जानते हैं’, ‘सभी मज़दूर बस्तियों में शौचालयों की व्यवस्था करनी होगी’, ‘जिस देश में महिलाओं को खुले में शौच को जाना पड़े, उसके शासकों को डूब मरना चाहिए’, ‘आजाद नगर में शौचालय होता तो हमारी गुडिया जिंदी होती। ज़ोरदार नारों और बड़ी तादाद में उपस्थित जन-सरोकार मीडिया को तहे दिल से आभार व्यक्त कर सभा समाप्त हुई.

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