जयपुर : जयपुर में सचिवालय के पास योजना भवन की सरकारी अलमारी से 2.31 करोड़ रुपए और 1 किलो सोना मिलने के मामले में नया खुलासा हुआ है। DOIT (सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग) के सस्पेंडेड जॉइंट डायरेक्टर वेद प्रकाश यादव ने जांच में कबूला है कि विभाग में लगातार करोड़ों रुपयों की खरीद होती है। इसके चलते परचेज कमेटी को मोटा कमीशन मिलता है। वह इसी परचेज कमेटी का एक मेंबर था।
इतना ही नहीं, यादव ने ये भी बताया है कि वह डिपार्टमेंट में होने वाले टेंडरों को पास कराने में ठेकेदारों की मदद करता था। इसके लिए वह सभी ठेकेदारों से 2% कमीशन लेता था।
इस खुलासे के बाद अब DOIT की पूरी परचेज कमेटी और इसके सभी सदस्यों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जब DOIT की परचेज कमेटी के एक मेंबर को ही खरीद में करोड़ों रुपयों की रिश्वत मिल रही थी तो क्या ऐसा संभव हो सकता है कि बाकी मेंबर्स को कमीशन नहीं मिलता हो? बड़ा सवाल ये भी है कि महज जॉइंट डायरेक्टर के पद पर काम करने वाला DOIT के करोड़ों रुपयों के टेंडर की अप्रूवल ठेकेदारों को किसकी मेहरबानी से दिला रहा था?
यादव ने ACB ऑफिसर्स को अपने मोबाइल, लैपटॉप और आईफोन के पासवर्ड नहीं दिए हैं। ऐसे में अब ACB जांच के लिए इन्हें FSL भेजेगी। FSL जांच के बाद फोन और लैपटॉप से करप्शन के नए राज खुलने की उम्मीद है। साथ ही ये भी खुलासा होगा कि कमीशन के इस खेल का असली बॉस कौन है और यादव की तरह कितने दूसरे अधिकारी इस भ्रष्टाचार में शामिल हैं?
पढ़िए- पूरी रिपोर्ट…
बच्चों की हाई एजुकेशन के लिए खर्चे करोड़ों
यादव ने पूछताछ में कबूला कि उसने कमीशन में मिले रुपए का एक हिस्सा अपने बेटे और दो बेटियों की हाई एजुकेशन पर भी खर्च किया। उसकी बेटी ऋतु यादव ने पुणे से फैशन डिजाइनिंग में डिप्लोमा किया हुआ है। वहीं, छोटी बेटी बरखा यादव ने बीकॉम ऑनर्स व पीजी डिप्लोमा इन मार्केटिंग कर रखा है। इकलौता बेटा आकाश यादव जेईसीआर से बीबीए कर रहा है।
यादव ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसके नाम पार्थ नगर, जगतपुरा में 252 गज का प्लाॅट, फागी रोड पर खुद के व पत्नी सरला यादव के नाम 2 प्लाॅट और सुशांत सिटी में भी 2 प्लाॅट हैं। इससे पहले जब नोटबंदी हुई तो उसने करप्शन से मिली कमीशन मनी से जयपुर के अम्बाबाड़ी स्थित ज्वैलर्स से एक किलो सोने की सिल्ली खरीदी थी। इस सोने की सिल्ली को सेफ्टी के लिहाज से ही बेसमेंट की अलमारी में छिपाकर रखा था।
घर में AC तक नहीं, कार भी पुरानी
कमीशन के खेल में यादव करोड़ों रुपए कमा रहा था, लेकिन उसे पकड़े जाने का डर भी था। यही वजह है कि यादव लो प्राेफाइल लाइफ जी रहा था। भास्कर टीम बनीपार्क थाने से थोड़ा आगे अशोक विहार कॉलोनी स्थित यादव के घर पहुंची तो इसका खुलासा हुआ।
जिस यादव ने करोड़ों रुपयों की रिश्वत और एक किलो सोना अपने ऑफिस के बेसमेंट में रखी अलमारी में छिपा रखा था, उसके घर में AC (एयरकंडीशनर) तक नहीं लगा है। दो फ्लोर के मकान में अलग-अलग फ्लोर पर दो कूलर लगे हुए हैं। कार भी बहुत पुरानी है। उसने बच्चों को 2 स्कूटी दिलवा रखी थी। अशोक विहार कॉलोनी में बने घरों में सबसे पुराना मकान उसका ही है। हालांकि ये दो मंजिला है और लोकेशन के लिहाज से प्रीमियम जगह पर बना हुआ है।
कंप्यूटर, प्रिंटर और स्टेशनरी की खरीद में मिलता है कमीशन
यादव ने पूछताछ में बताया कि उसने साल 1994 में DOIT में सहायक प्रोग्रामर की पोस्ट पर जॉइन किया था। साल 2020 में प्रमोशन के बाद वो जॉइंट डायरेक्टर की पोस्ट तक पहुंचा था। 20 साल से उसके पास स्टोर इंचार्ज का भी चार्ज था, जिसे उसने प्रमोशन हो जाने के बावजूद नहीं छोड़ा था।
इसके साथ ही वो डिपार्टमेंट के लिए साल भर खरीद करने वाली कमेटी के साथ-साथ कई अन्य कमेटियों का भी मेंबर था। परचेज कमेटी के मेंबर्स को कंप्यूटर, प्रिंटर, स्टेशनरी, एसेसरीज, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, CCTV और सभी तरह के सामान की खरीद का जिम्मा मिला हुआ था। हर खरीद पर मेंबर्स को कमीशन में मोटी रकम मिलती है। अपने हिस्से की इसी मोटी रकम को वह बेसमेंट में रखी अलमारी में जमा कर रहा था।
करोड़ों के टेंडर गारंटी से पास कराता, 2% कमीशन लेता
यादव ने पूछताछ में माना कि वह डिपार्टमेंट में होने वाले करोड़ों रुपयों के टेंडर पास कराने के लिए ठेकेदारों की मदद करता था। इस काम के बदले वह उनसे 2 फीसदी फिक्स कमीशन लेता था। भास्कर पड़ताल में ये भी सामने आया है कि यादव की इतनी धाक थी कि उसके द्वारा ओके किए जाने के बाद टेंडर पास होने की गारंटी होती थी। सूत्रों ने ये भी बताया कि इसके लिए उसने ऊपर तक अधिकारियों से सांठगांठ कर रखी थी। प्रदेश भर में लगने वाली ई-मित्र मशीन, इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले, ई-मित्र प्लस अरबन मशीन व ई-मित्र प्लस रूरल मशीन के टेंडर पास कराने में बड़ा कमीशन कमाया।
सेफ्टी के लिए करप्शन मनी का खजाना ऑफिस में बनाया
यादव स्टोर इंचार्ज था, इस लिहाज से उसके पास डिपार्टमेंट की कई नॉन अलॉटेड अलमारियों की चाबियां होती थीं। वहीं उसके लिए हर जगह आना-जाना भी आसान था। ऐसे में उसने करप्शन से मिलने वाले रुपयों को वहीं ऑफिस के बेसमेंट में रखी अलमारी में जमा करना शुरू कर दिया था। इन रुपयों को घर ले जाने के बजाय ऑफिस में रखना ज्यादा सेफ था, क्योंकि अलमारी की चाबी हमेशा उसके पास ही रहती और कोई दूसरा वहां नहीं जाता। इस बीच उसे जब भी रुपयों की जरूरत होती वह अलमारी खोल कर निकाल लेता और जब भी कमीशन का नया रुपया आता तो इसी अलमारी में रख देता।
परचेज कमेटी और टेंडर लेने वाली कंपनियां भी जांच के दायरे में
यादव की गिरफ्तारी के बाद हुए खुलासों के चलते अब DOIT की परचेज कमेटी के सभी मेंबर्स और लम्बे समय से हो रही खरीद के साथ-साथ यहां से टेंडर हासिल करने वाली कंपनियां भी ACB जांच के दायरे में आ गई है। पड़ताल में सामने आया है कि ACB अधिकारी पता करने में लगे हैं कि पिछले 5 साल में किन ठेकेदार कंपनियों के साथ DOIT की डील हुई है। इसके अलावा इन टेंडरों को पास करने में शामिल रहे जिम्मेदार अफसरों और परचेज कमेटी के मेंबर्स से भी जल्द ही पूछताछ की जा सकती है। ये भी बताया जा रहा है कि ACB ने DOIT डिपार्टमेंट की कई और अलमारियों को भी खोल कर जांचा है।
योजना भवन की बेसमेंट में मिले थे 2.31 करोड़ रुपए और एक किलो सोना
19 मई की रात जयपुर में सचिवालय के ठीक पीछे योजना भवन के बेसमेंट की बंद पड़ी अलमारी से 2.31 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी और एक किलो सोना बरामद हुआ था। अलमारी में रखे ट्रॉली सूटकेस में 2000 और 500 के नोट थे। अलमारी से 2000 के 7,298 और 500 रुपए के 17,107 नोट मिले थे। सोने की सिल्ली पर मेड इन स्विट्जरलैंड लिखा था। सोने की कीमत करीब 62 लाख बताई जा रही है।
सीसीटीवी फुटेज से हुआ था खुलासा
CCTV फुटेज से पड़ताल से खुलासा हुआ कि आरोपी वेद प्रकाश यादव ने 8 मई 2023 को अलमारी में रुपयों से भरा बैग छुपाया था। ड्यूटी ऑवर पूरे होने के बाद वेद प्रकाश कंधे पर लैपटॉप का बैग लेकर बेसमेंट में गया। अलमारी का ताला खोलकर बैग रखा, फिर वहां से निकल गया। इसके बाद ही पुलिस ने पूछताछ कर उसे गिरफ्तार कर लिया था। फिलहाल इस मामले में ACB में मुकदमा दर्ज कर ACB टीम जांच कर रही है।
एक साल पहले भी पकड़ी गई 5 लाख की घूसखोरी, अब ई-फाइलिंग से खुला खेल
योजना भवन में DOIT (सूचना प्रौद्योगिकी विभाग) के अलावा आधार बनाने वाले नियामक (यूआईडी) के अलावा सांख्यिकी निदेशालय, बायो फ्यूल और जन आधार जैसे कई कार्यालय चल रहे हैं। पिछले साल यहां संचालित बायोफ्यूल के ऑफिस में ACB टीम ने कार्रवाई करते हुए 5 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए सीईओ सुरेंद्र सिंह व एक दलाल को रंगे हाथों पकड़ा था।
वहीं इस बार फाइलिंग के काम के चलते सभी अलमारियों में रखी फाइलों को खंगालने का काम चल रहा था। ऐसे में बेसमेंट में रखी अलमारी भी खोलना जरूरी हो गया था। ई-फाइलिंग नहीं होती तो शायद जॉइंट डायरेक्टर यादव के करप्शन की पोल ही नहीं खुल पाती। ई-फाइलिंग के प्रभारी महेश गुप्ता ने पुलिस को बताया था कि अलमारी की चाबियां नहीं मिलने पर उन्होंने ही इलेक्ट्रिशियन व हेल्पर को बुलवाकर अलमारियों का ताला तुड़वाया था। इसके बाद ही पूरा मामला सामने आया।