झुंझुनूं : झुंझुनूं कलेक्ट्रेट के बाहर रविवार सुबह 10 बजे 14 साल का किशोर अपनी किताब-कॉपियां लेकर बैठ गया। बच्चे की मां भी उसके साथ बैठी। मां ने बेटे को होमवर्क कराना शुरू कर दिया। स्कूलों से गर्मी के छुट्टी के लिए मिलने वाली भारी-भरकम होमवर्क के विरोध में बच्चे ने यह तरीका अपनाया।
9वीं क्लास का यह स्टूडेंट दोपहर 12 बजे पर धरने पर बैठा और होमवर्क किया। छात्र प्रांजल झुंझुनूं के केंद्रीय विद्यालय में 9वीं क्लास में पढ़ता है। धरने के साथ उसने जिला कलेक्टर को पत्र भी सौंपा।
छात्र ने कहा- ग्रीष्मकालीन अवकाश से पहले स्कूल से मिलने वाला होमवर्क बचपन पर कलंक और क्रूरता है। अवकाश के लिए होमवर्क बच्चे के मूल अधिकार अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है।
उसने कहा- अवकाश के दिनों में भी होमवर्क के चलते अन्य रुचियां खत्म हो रही हैं। अवकाश में भी मैं अपनी रुचि का काम करने के बजाए स्कूल का होमवर्क, प्रोजेक्ट, मॉडल, फाइल आदि बनाता रहता हूं।
प्रांजल ने कहा- चाहे बच्चे हों या बड़े, अवकाश का अर्थ और महत्व सभी के लिए एक ही जैसा है। लेकिन बड़े लोग अवकाश के समय अवकाश मनाते हैं जबकि बच्चों को ढेर सारा होमवर्क करना पड़ता है।
भारत में शिक्षण संस्थाओं से जुड़े लोग नकारात्मक विचारधारा रखते हैं। अवकाश हों या स्कूल टाइम, ये लोग बच्चे को सिर्फ पढ़ते हुए ही देखना चाहते हैं। यह पूरी तरह अमानवीय और दकियानूसी सोच है।
छात्र ने कहा कि इसके विरोध में वह प्रत्येक रविवार सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक कलेक्ट्रेट के सामने अपना हॉलिडे होमवर्क करते हुए अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन करेगा।
छात्र की मां अनामिका ने कहा- ग्रीष्म अवकाश होमवर्क की समाप्ति के लिए प्रांजल लगातार दो साल से कलेक्टर व अध्यक्ष, केंद्रीय विद्यालय, झुंझुनूं और स्कूल प्राचार्य व केंद्रीय विद्यालय संगठन के जिम्मेदार पदाधिकारियों को पत्र लिख रहा है।