जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं : वन रैंक वन पेंशन के लिए लंबे समय से आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकाें के साथ केंद्र सरकार भेदभाव कर रही है। सरकार ने वन रैंक वन पेंशन लागू तो कर दी, लेकिन इसकी विसंगतियां अभी भी सैनिक परिवाराें काे कचाेट रही हैं। इन विसंगतियों के कारण अधिकारियाें व सैनिकाें की पेंशन में काफी अंतर हो गया है।
इसको लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर ढाई महीने से धरना दिया जा रहा है। दरअसल, पेंशन में विसंगति काे दूर करने के लिए पूर्व सैनिक लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने मई 2014 में वन रैंक वन पेंशन लागू की थी। पहली बार सभी को पेंशन का लाभ मिला। इसकाे पांच साल बाद 2019 में रिवाइज करना था। लेकिन सरकार ने 2023 में ओआरओपी-2 काे रिवाइज किया। इसमें सैन्य ऑफिसरों की पेंशन में 10 हजार रुपए से अधिक की बढ़ोतरी हाे गई, लेकिन नायब सूबेदार, सूबेदार, सूबेदार मेजर, ऑनरेरी लेफ्टिनेंट, ऑनरेरी कैप्टन की पेंशन में काेई इजाफा नहीं हुअा।
इनसाइड : प्रदेश के 3.10 लाख पूर्व सैनिक व उनके परिवार प्रभावित, इनमें झुंझुनूं के 55 हजार
- जनवरी 2014 से पहले रिटायर हुए नायब सूबेदार काे 26741 रुपए मासिक पेंशन मिलती थी। ओआरआपी-2 में बदलाव नहीं।
- जनवरी 2014 से पहले सेवानिवृत्त हुए सूबेदार काे 31529 रुपए मासिक पेंशन मिलती थी। अब भी इतनी ही पेंशन मिल रही।
- जनवरी 2014 से पहले सेवानिवृत्त हुए सूबेदार मेजर काे 33526 रुपए मासिक पेंशन मिलती थी। अब भी इतनी ही पेंशन मिलेगी।
- जनवरी 2014 से पहले रिटायर हुए ऑनरेरी लेफ्टिनेंट काे 41351 रुपए की पेंशन मिलती थी। रिवाइज के बाद भी इतनी ही मिल रही।
- जनवरी 2014 से पहले सेवानिवृत्त हुए ऑनरेरी कैप्टन काे 43716 रुपए पेंशन मिलते थे। अब भी उन्हें इतनी ही पेंशन मिलेगी।
विरोध क्यों : पेंशन ही नहीं एमएसपी और डिसेबिलिटी अलाउंस में भी भेदभाव
पूर्व सैनिकाें काे दिया जाने वाला मिलिट्री सर्विस पे (एमएसपी) भी समान नहीं है। ऑफिसर काे 15500 रुपए मासिक मिलते हैं। सिपाही से लेकर सूबेदार मेजर तक काे हर महीने 5200 रुपए ही एमएसपी दिया जा रहा है। जबकि मिलिट्री नर्सिंग काे 10800 रुपए मिलते हैं। पूर्व सैनिकाें का कहना है कि विदेशाें में सबकाे बराबर मिलता है। यहां भी बराबर मिलना चाहिए। इसी तरह पूर्व सैनिकाें काे डिसेबिलिटी अलाउंस भी समान नहीं मिलता है। इसमें सैन्य अफसर काे 75 हजार रुपए मिलते हैं। जबकि अन्य रैंक वालाें काे 9 हजार रुपए ही मासिक मिलता है।
नायक व हवलदार की पेंशन में भी 800 से 1600 तक बढ़ोतरी
1 जनवरी 2016 के बाद रिटायर हुए इन्हीं कैटेगरी के जवानाें काे तो इनसे भी कम पेंशन मिल रही है। ओआरओपी-2 में सिपाही, नायक व हवलदार की पेंशन में भी महज 800 से 1600 रुपए तक की ही बढ़ोतरी हुई है।
प्रदेश के 3 लाख से अधिक पूर्व सैनिकाें काे नुकसान : ओआरओपी-2 रिवाइज में सर्वाधिक फायदा सैन्य अफसराें को ही हुआ है। इनकी संख्या महज तीन प्रतिशत है। जबकि सिपाही से लेकर ऑनरेरी कैप्टन तक के पूर्व सैनिकाें की संख्या सर्वाधिक है। प्रदेश में ऐसे 3.10 लाख पूर्व सैनिक हैं। इनमें से 55 हजार तो अकेले झुंझुनूं जिले में ही हैं। ऐसे में रिवाइज पेंशन से अधिकांश पूर्व सैनिकाें काे काेई विशेष फायदा नहीं हुअा।
झुंझुनूं से दिल्ली तक असंताेष की गूंज
सरकार की ओर से ओआरओपी-2 के रिवाइज में विसंगतियां दूर नहीं करने से पूर्व सैनिकाें में अंसताेष है। इसकाे लेकर पिछले कुछ समय से जिले में धरने प्रदर्शन हाे चुके हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर भी इसके विराेध में धरना चल रहा है। इसमें राजस्थान के शेखावाटी के लाेग शामिल हाे रहे हैं। पूर्व सैनिक आंदोलन कर रहे हैं।
वन रैंक वन पेंशन रिवाइज में भेदभाव किया गया है। सिपाही, नायक, हवलदार, नायब सूबेदार, सूबेदार, सूबेदार मेजर, ऑनरेरी लेफ्टिनेंट व कैप्टन को इसमें कोई फायदा नहीं दिया गया। जबकि कैप्टन रैंक से ऊपर के अफसरों को पेंशन में कई गुना लाभ दिया गया है। इसके खिलाफ पूर्व सैनिक आंदोलन कर रहे हैं। सरकार तक मांग पहुंचा चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। -शीशराम डांगी, जिलाध्यक्ष गौरव सेनानी सेवा समिति झुंझुनूं