भरतपुर : भरतपुर में माली, सैनी, शाक्य, मौर्य, कुशवाह, काछी समाज का आंदोलन रविवार को 10वें दिन भी जारी है। आंदोलनकारी नेशनल हाईवे-21 पर जमे हुए हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि 1 मई को ओबीसी आयोग से चर्चा के बाद ही हाईवे खाली करने पर विचार करेंगे।
आंदोलनकारी जयपुर आगरा नेशनल हाईवे-21 को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। करीब 1 किलोमीटर में डिवाइडर को तोड़ दिया गया है। डिवाइडर के बीच में लगे पेड़ पौधों को उखाड़ दिया गया है। नेशनल हाईवे पर मिट्टी की मोटी परत जम गई है। यह गांव की कच्ची सड़क सा नजर आ रहा है।
आंदोलन खत्म होने के बाद नुकसान का सर्वे होगा
महुआ-भरतपुर एक्सप्रेस-वे लिमिटेड के अधिकारी दीपक कुलश्रेष्ठ ने नेशनल हाईवे को नुकसान पहुंचने के सवाल पर कहा कि मामला शांत होने के बाद हाईवे का सर्वे किया जाएगा। उसके बाद अधिकारियों को एक रिपोर्ट सौंपी जाएगी। यह हाईवे-वे NHAI (नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने बनाया है। लेकिन टोल कंपनी महुआ भरतपुर एक्सप्रेस-वे लिमिटेड के पास हाईवे के रख-रखाव का जिम्मा है।
21 अप्रैल से आंदोलनकारी हाईवे पर अपना कब्जा जमा कर बैठे हैं। 20 अप्रैल को आंदोलन के नेता मुरारी लाल सैनी ने चक्काजाम का आह्वान किया था। अगले दिन शाम को फुले आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल सैनी की अपील पर लोग घरों से निकल पड़े।
हालांकि प्रशासन ने मुरारी लाल सैनी सहित 26 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। 21 अप्रैल को समाज के लोग बिना किसी नेतृत्व के हाईवे पर आ गए। पहली मांग रखी कि मुरारी लाल सैनी सहित समाज के सभी लोगों को छोड़ दिया जाए।
समाज की मांग को देखते मुरारी लाल सैनी सहित सभी 26 लोगों को 24 अप्रैल को रिहा कर दिया गया।
25 अप्रैल को फुले आरक्षण संघर्ष समिति के 15 सदस्यीय दल से जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर सीएम अशोक गहलोत से वार्ता हुई, जिसमें सीएम की तरफ से आश्वासन दिया गया कि 1 मई को दोपहर 1 बजे ओबीसी आयोग से वार्ता की जाएगी।
साथ ही आंदोलनकारियों और फुले आरक्षण संघर्ष समिति से सरकार ने मांग की कि नेशनल हाईवे को खाली कर दिया जाए।
25 अप्रैल को ही आंदोलनकारी मोहन सिंह ने धरना स्थल से 150 मीटर की दूरी पर एक पेड़ से फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। इसके बाद समाज ने मांग रखी कि मोहन सिंह के परिवार को 1 करोड़ रुपए, शहीद का दर्जा और परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।
आंदोलनकारियों ने कहा कि जब तक मांगें नहीं मानी जाएंगी तब तक मोहन सिंह का शव नहीं लिया जाएगा। मोहन सिंह के शव लेने को लेकर आंदोलनकारी और प्रशासन के साथ कई बार वार्ताएं हुई। जिसके बाद 29 अप्रैल शनिवार रात सवा 10 बजे अचानक पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया।
भारी पुलिस जाप्ते की बीच मोहन सिंह के गांव हलैना के मुडिया गंधार में रात 11.30 से 12 बजे के बीच शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।
अब आंदोलनकारियों का कहना है कि 1 मई को ओबीसी आयोग से वार्ता के बाद ही हाईवे खाली करने या न करने पर फैसला किया जाएगा।
इस मामले पर फुले आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्य बदन सिंह कुशवाह का कहना है कि सैनी समाज में ही कुछ लोग ऐसे हैं जो चाहते हैं कि हाईवे खाली हो। ये लोग समाज के निंदक हैं। समाज के लिए कलंक हैं। वे प्रशासन को भ्रमित कर रहे हैं।
उन्होंने ही प्रशासन से कहा था कि आंदोलनकारी मोहन सिंह के शव को आंदोलन स्थल अरोदा लेकर जाएंगे। ऐसे लोगों की जानकारी जुटाई जा रही हैं। वे लोग हमारी नजर में भी हैं।