झुंझुनूं : 2012 से पहले बसी कॉलोनियों को पट्‌टे देने का नियम:डीएलबी के 501 रुपए में पट्टा देने के आदेश नगरपरिषद 280 रुपए प्रति वर्ग गज वसूल रही

झुंझुनूं : राज्य सरकार प्रशासन शहरों के संग अभियान की अवधि को बढ़ा रही है। दूसरी ओर नगर परिषद के अधिकारी स्वायत्त शासन विभाग के शासन सचिव के निर्देश ही नहीं मान रहे हैं। जिसके कारण से शहर में 23 साल से पट्‌टों से वंचित 10 से ज्यादा कॉलोनियों के लोगो को पट्‌टा लेने के लिए नगर परिषद को मोटी रकम चुकानी पड़ रही है।

नवीनतम मामला झुंझुनूं शहर की 50 साल पुरानी 10 कॉलोनियों से जुड़ा हुआ है। जिनमें रहने वालों को पट्‌टा लेने के लिए 280 रुपए प्रति वर्ग गज की दर से नगर परिषद को शुल्क चुकाना पड़ रहा है। जबकि नगरीय विकास, आवासन व स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव व शासन सचिव ने संयुक्त आदेश जारी कर ऐसी कॉलोनियों में रहने वालों को 501 रुपए में पट्‌टा देने के आदेश दिए हुए हैं।

वर्ष 2000 तक इन कॉलोनियों को आबादी में मान दे रहे थे पट्‌टे, अब नहीं

परिषद क्षेत्र की 10 कॉलोनियों के लोगो को पट्‌टे के लिए नगर परिषद को भारी रकम चुकानी पड़ रही है। इसमें तुलस्यानों की बावड़ी, राणीसती मंदिर का क्षेत्र, गांधी चौक, मित्तल कॉलोनी, मोहल्ला नागरपुरा, रैगरान मोहल्ला, अशोका होटल के आसपास का क्षेत्र, नेता की ढ़ाणी समेत 10 कॉलोनियों के लोगो को परेशानी हो रही है। इन कॉलोनियों को राजस्व रिकार्ड में पुरानी आबादी नहीं मानते हुए कृषि भूमि के रूप में दर्ज कर दिया गया। जबकि ये कॉलोनियां 30 से 50 साल पुरानी है और इनमें सालों से लोग मकान बनाकर रह रहे हैं।

नगर परिषद 2000 से पहले तक इन कॉलोनियों को अपने स्तर पर पट्‌टा जारी कर रही थी। लेकिन उसके बाद रूपांतरण नियम लागू होने के बाद पट्‌टे देना बंद कर दिया गया। आदेश के विपरित ज्यादा राशि लेने के साथ ही नगर परिषद पट्‌टे का पंजीयन कराने पर संबंधित व्यक्ति से 10 फीसदी शुल्क और वसूल रही है। पुरानी कॉलोनियां होने के कारण टाइटल श्रृंखला के नाम पर पंजीयन विभाग डीएलसी रेट का 10 प्रतिशत शुल्क ले रहा है।

पहले 400 रुपए प्रति वर्ग ले रहे थे, विरोध करने पर घटाए

स्वायत्त शासन विभाग के शासन सचिव के आदेश के विपरित नगर परिषद शहर की ऐसी कॉलोनियों में आवासीय पट्‌टा जारी करने के लिए 280 रुपए प्रतिवर्ग गज की दर से शुल्क वसूल कर रही है। इससे पहले इन्ही पट्‌टों के लिए नगर परिषद 400 रुपए प्रतिवर्ग गज का शुल्क ले रही थी। लेकिन इसके बाद पार्षदों के विरोध करने पर इसे 280 रुपए प्रति वर्ग गज कर दिया गया।

आदेश : 501 रु. में देना था पट्‌टा

नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा और शासन सचिव डॉ. जोगाराम ने 20 मार्च को आदेश जारी कर 2 मई 2012 से पहले पुरानी आबादी क्षेत्र की कृषि भूमि में बसी कॉलोनियों में 300 वर्ग मीटर तक आवासीय निर्मित भूखंडों को 501 रुपए की एकमुश्त प्रीमियम राशि पर पट्‌टे देने के निर्देश दिए थे।

आदेश आया हुआ है, लेकिन उसके लिए परीक्षण करा रहे हैं। आबादी के साथ जो खसरा जुड़ा हुुआ होगा। उसकाे चिंहित करने का काम करेंगे। ऐसे तो कई खसरे पुराने आबादी से जुड़े हुए हैं। उसके बाद ही सही तौर पर पता लगेगा। – दिलीप पूनिया, आयुक्त नगर परिषद

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