जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं : समाज का प्रत्येक प्राणी यही चाहता है कि दुनिया उसकी इच्छाओं के अनुसार चले और जब यह नहीं होता है तो लोग आपस में एक दूसरे के दोस् निकालते है l तथा-टिक्का-टिप्पणी करते हैं। किंतु लोगों की यह आलोचना समझदार व्यक्तियों के लिए बडी महत्वपूर्ण होती है वे इस से डरतेनहीं वरन ऐसी आलोचनाओं का स्वागत करते है क्योंकि यह आलोचना ही उनके विकास में सहायक बनती है जिनमें आत्मविश्वास नहीं होता उन लोगों को आलोचना से भय अवश्य लगता हैl
पर हममैं से,कितने ऐसे लोगहै?
अधिकतर लोग तो ऐसे हैं, कि यदि कोई हमारी भलाई के लिए भी हमारी त्रुटियों की ओर संकेत करता है तो उसको हम बहुत ही बुरा मान जाते हैं नतीजा यह होता है कि फिर लोग उससे हमारी भूले बताना अथवा आलोचना करना ही बंद कर देते हैं और इस तरह अनजाने में हम अपनी हlनी करते रहते हैंl इसलिए जब हमने संतुलित बुद्धि कार्य निष्ठा और आत्मविश्वास नहीं होगा हम इस दोष ढूंढने की आदत से हमेशा परेशान होते रहेंगे l जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए और अपने व्यक्तित्व के विकासकेलिएआलोचनाओं का स्वागत करना और उसे पूरा लाभ उठाना बहुत ही आवश्यक है lहम इसे माने या न माने आलोचनाएं हमारे जीवन संग्राम में होने वाले ऐसे आक्रमण है जो हमारी शक्ति को बढ़ाते रहते हैं l
असंभव है सबकोसंतुष्टकरना
एकदम सत्य बात है मनुष्य जितना ऊंचा चढ़ता है जितना अधिक कार्य करता है उतनी ही मौलिकता उसमें आ जाती है और तब लोगों की निगाहों से उसका बचना असंभव हो जाता है फिर क्यों न हम पहले से ही ऐसी आशा रखें और अपने को इसके लिए तैयार कर ले लेकिन हां बिना वजह आलोचनाओं को न्योता न दे l
आलोचनाओं से हम इसलिए डरते हैं और घबराते हैं क्योंकि हम सोचते हैं कि अगर हम ठीक ढंग से कार्य करें तो लोग आलोचना ही क्यों करें पर आप क्या यह भूल गए इस दुनिया में एक व्यक्ति हर व्यक्ति को खुश नहीं रख सकता l संसार में ऐसी कोई विधि नहीं निकल सकी जिससे हर किसी को पूरा पूरा संतोष दिया जा सके दुनिया के अधिकतर लोग गांधी जी की प्रशंसा किया करते थे और उनकी लंबी उम्र की कामना करते थे किंतु कुछ लोग ऐसे भी थे जो उनके कामों को गलत समझते थे इसलिए उन्हीं में से एक आदमी ने उन पर गोली चला दी l
साथियों आलोचना हमेशा सच नहींहोती ,यदि, सभीआलोचनओं को सच मानकर उन्हीं के इशारे पर आप चलने लगे तो जान लीजिए कि घड़ी के पेंडुलम की तरह आप ऊपर नीचे होते रहेंगे इसलिए आलोचना से बचने के लिए कुछ बोलो मत, कुछ करो मत, कुछ सोचो मत, इसी में हम सबकी भलाई है।