अप्रेल फूल : भई, 1 अप्रैल दिन ही कुछ ऐसा है, कि सभी एक दूसरे को मूर्ख बनाना चाहता है, लेकिन बनना कोई भी नहीं चाहता। तभी तो इस दिन लोग गंभीर बातों को लेकर भी कुछ ज्यादा ही सतर्क होते हैं, कि कहीं कोई हमें उल्लू न बना दे। आखिर क्यों होता है ऐसा, और न जाने कब से शुरु हुआ 1 अप्रैल को यूं मूर्ख बनाने का चलन… जानिए यहां
1 अप्रैल यानि अप्रैल फूल। 1 अप्रैल का दिन दुनिया भर में मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर कोई अपने आस-पास के लोगों को उल्लू बनाने अर्थात मूर्ख बनाने का प्रयास करता है। वहीं हर कोई मूर्ख बनने से बचना भी चाहता है, इसलिए इस दिन मिलने वाली किसी भी सूचना या बात को अक्सर बिना जांच पड़ताल के गंभीरता से न हीं लिया जाता। अप्रैल फूल आखिर क्यों और कब से मनाया जाता है, जानिए :
अप्रैल फूल डे (कभी-कभी ऑल फूल डे) हर वर्ष 1 अप्रैल को प्रेक्टिकल जोक्स (शरारतें) और अफवाहें फैला कर मनाया जाता है। जोक्स और शरारतें जिनके साथ की जाती हैं उन्हें अप्रैल फूल या अप्रैलमूर्ख कहा जाता है। लोग अपनी शरारतों का खुलासा, अप्रैल फूल चिल्ला कर करते हैं।
- अपने पहचान वालों को बिना अधिक परेशान किए, मजाक के लिए शरारतें करने का यह उत्सव हर देश में मनाया जाता है। माना जाता है कि अप्रैलफूल मनाने की प्रेरणा रोमन त्योहार हिलेरिया से ली गई है। इसके अलावा भारतीय त्योहार होली और मध्यकाल का फीस्ट ऑफ फूल (बेवकूफों की दावत) भी इस त्योहार की प्रेरणा माने जाते हैं।
- एक अप्रेल और मूर्खता के बीच सबसे पहला दर्ज संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में मिलता है। इस किताब की एक कहानी नन्स प्रीस्ट्स टेल के मुताबिक इंग्लैण्ड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च घोषित कर दी गई, जिसे वहां की जनता ने सच मान लिया और मूर्ख बन बैठे। इसी कहानी में, एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था। तब से 32 मार्च यानी एक अप्रेल को अप्रेल फूल डे के रूप में मनाया जाता है।
- 1539 में फ्लेमिश कवि एडवर्ड डे डेने ने एक ऐसे ऑफिसर के बारे में लिखा जिसने अपने नौकरों को एक बेवकूफी की यात्रा पर 1 अप्रैलको भेजा था। 1968 में इस दिन को जॉन औब्रे ने मूर्खों का छुट्टी का दिन कहा क्योंकि, 1 अप्रैल को बहुत से लोगों को बेवकूफ बनाकर, लंदन के टॉवर पर एकत्रित किया गया था।
- एक अन्य कहानी के मुताबिक प्राचीन यूरोप में नया साल हर वर्ष 1 अप्रेल को मनाया जाता था। वर्ष 1582 में पोप ग्रेगोरी 13 ने नया कैलेंडर अपनाने के निर्देश दिए, जिसमें न्यू ईयर को एक जनवरी से मनाने के लिए कहा गया। रोम के ज्यादातर लोगों ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया, लेकिन बहुत से लोग तब भी एक अप्रेल को ही नए साल के रूप में मानते थे। तब ऐसे लोगों को मूर्ख समझकर उनका मजाक उड़ाया।
ये हैं एक अप्रेल की सही खबर
- ग्रीस के जॉर्ज द्वितीय की मृत्यु एक अप्रेल 1947 को हुई थी।
- ईरान ने एक अप्रेल 1979 को गणतंत्र की घोषणा की, यह घोषणा मजाक के रूप में तीस सालों तक चलती रही।
- हास्य अभिनेता मिच हेडबर्ग को अप्रैल फूल पर मजाक करने पर नौकरी से हटा दिया गया था। उनकी मृत्यु 29 मार्च 2005 को हो गई थी। मृत्यु की घोषणा 31 मार्च को हुई, लेकिन अधिकतर समाचार पत्रों ने इस खबर को एक अप्रेल तक प्रकाशित नहीं किया था।
- एक अप्रेल 2009 को डेनिस टाउन में एक स्कूल जलकर नष्ट हो गई थी। फायर ब्रिगेड डिमार्टमेंट के कर्मचारियों ने इसे झूठी सूचना मानकर एक्शन नहीं लिया। लोगों के बार-बार फोन करने पर जब फायर डिपार्टमेंट एक्शन में आया, तब तक स्कूल के नीचे का भवन जल चुका था।
- एक अप्रेल 1999 को केनेडियन नॉर्थवेस्ट प्रदेश का विभाजन हुआ और इसे नुनावत के नाम से जाना गया।
- एक अप्रेल 2009 को अमरीका में कॉनफिक्कर नामक वायरस से लाखों कम्प्यूटर खराब होने की खबर फैली। इस खबर को पहले तो मजाक समझा गया, लेकिन सम्पूर्ण अमरीका में जब लगातार कम्प्यूटर हैंग होने लगे तो इसे सही समझा गया। इस समस्या से निपटने के लिए मीडिया के माध्यम से समाधान प्रसारित किए गए।
April Fool डे मनाने और मजाक बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस पोस्ट के जरिए मूर्ख दिवस की चर्चित बातों को बताया गया हैअप्रैल फूल डे 2023 इस साल भी 1 अप्रैल को मनाया जाएगा और इस दिन लोग एक-दूसरे के साथ प्रैंक खेलेंगे। हालांकि, यह ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि किसी को ठेस न पहुंचे।