झुंझुनूं-खेतड़ी : 15 साल बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हुए प्लांट

झुंझुनूं-खेतड़ी(खेतड़ीनगर) : खेतड़ी कॉपर कॉम्प्लेक्स के पतन की शुरुआत सन 2008 से हुई थी। उस दौरान मेंटेनेंस का नाम लेकर एक साथ तीन प्लांटों को शटडाउन लेकर बंद किया गया था जो 15 साल बीत जाने के बाद भी बंद पड़े हैं। बचे हुए प्लांट कबाड़ में बदल रहे हैं। यहां एचसीएल की बनवास, कोलिहान व केसीसी में तांबा निकालने के लिए खदानें हैं। कोलिहान खदान से ही केसीसी के प्लांट में तांबे के पत्थर आते थे। यहीं पर तांबे की गलाई होकर तांबे का उत्पादन होता था। लेकिन अब सिर्फ कंस्ट्रेटर प्लांट ही चालू हालत में है। पहले तो रिफाइनरी स्मेल्टर प्लाट के जरिए पूर्ण रूप से तांबे की सििल्लियां तैयार होकर जाती थी लेकिन अब तांबे के पत्थरों की पिसाई करके दूसरे प्लांटों में भेज दिया जाता है। माइनिंग की खदान में खर्चा बढ़ गया। मशीनें पुरानी हो गई, सभी कार्य ठेका कर्मचारियों से करवाया जाने लगा व धीरे-धीरे केसीसी प्लांट अपनी अतीत की यादों को खोता जा रहा है।

खेतडीनगर.कबाड की स्थिती में पडा प्लांट
खेतडीनगर के क्षेत्र में बंद पडे केसीसी के प्लांट

पांच प्लांट में से सिर्फ दो ही प्लांट है चालू हालत में

केसीसी में पहले रिफाइनरी, स्मेल्टर्स, एसिड के दो प्लांट, एक फर्टिलाइजर प्लांट थे। खाद बनाने का संयंत्र भी लगाया गया था जो बंद हो गया। कॉम्प्लेक्स में अब माइनिंग व कंस्ट्लेक्टर प्लांट को छोडक़र बाकी के प्लांट अन्य जगहों पर स्थानांतरित कर दिए। पहले जहां दस हजार कर्मचारी हुआ करते थे अब नियमित कर्मचारी सिर्फ पांच सौ के लगभग ही रह गए हैं। अधिकतर कार्य ठेका कंपनियों से ही करवाया जा रहा है।

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