झुंझुनूं-खेतड़ी(खेतड़ीनगर) : कई लोगों को मिला था रोजगार, प्लांट बंद होने से सहायक उद्योगों पर भी लगा ताला

झुंझुनूं-खेतड़ी(खेतड़ीनगर) : हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड के केसीसी प्लांट में जब पूरी तरह उत्पादन हो रहा था और सभी प्लांट चालू थे, तब कई सहायक उद्योग भी शुरू हो गए थे। लेकिन 2008 में प्लांट को बंद करना शुरू किया गया तो सहायक उद्योग भी बंद होते गए और कई लोग बेरोजगार हो गए। केसीसी प्लांट पर कभी नियमित 20 हजार कर्मचारी कार्यरत थे। वहीं आसपास के ग्रामीणों को भी रोजगार मिला हुआ था। केसीसी में ही कई बाजार भी बने हुए हैं थे, जहां अच्छी दुकानदारी होती थी। गांव के लोग खेतों में उगाई सब्जियां व अनाज, दूध, दही को भी केसीसी टाउनशिप में बनी दुकानों में बेचने आते थे। ऐसे में केसीसी प्लांट की वजह से लाखों लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार मिला हुआ था। लेकिन प्लांट बंद होने के साथ ही कर्मचारियों की संख्या भी घटती गई और ग्रामीणों का रोजगार भी घटता गया। प्लांट बंद होने से दूसरी सहायक उद्योग भी बंद होते चले गए।

बची हुई गैस भेजेते थे दिल्ली, बल्लभगढ़

हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड में तांबा रिफाइन करने के लिए लकडिय़ां उपलब्ध नहीं हो रही थी तो पंजाब के भटिंडा नांगल व गाजियाबाद से टैंकरों के माध्यम से गैस मंगवाते थे जो कि महंगी पड़ती थी। ऐसे में वैकल्पिक व्यवस्था के लिए दिल्ली निवासी राकेश भारद्वाज से एचसीएल ने अनुबंधत कर 1988 में भगवती गैस प्लांट लगाया। इसमें बची हुई गैस को दिल्ली, बल्लभगढ़ तक भी टैंकरों के माध्यम से भेजा जाता था। लेकिन 2008 में स्मेल्टर व रिफाइनरी बंद हुई तो अनुबंधित निजी क्षेत्र का गैस प्लांट भी बंद हो गया। गैस प्लांट के कर्मचारियों के लिए 50 आवासीय क्वार्टर भी बनाए हुए हैं।

कोरोना में भी उठी थीं मांग

कोरोना महामारी में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी हो गई, मरीजों के लिए कहीं पर भी ऑक्सीजन नहीं मिल रही थी। उस समय भी बंद पड़े ऑक्सीजन प्लांट को चालू करने की मांग उठी थी।

 

इनका कहना है

एचसीएल के स्मेल्टर व रिफाइनरी प्लांट बंद हुए, उसी समय ऑक्सीजन प्लांट भी बंद हुआ था। तब भी हमारी यूनियन ने प्लांट बंद करने का विरोध किया था। हमारी यूनियन दोबारा प्लांटों को शुरू करने की हमेशा मांग करती रहती है। प्लांट शुरू होगा तो रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा सरकार को ऑक्सीजन की भी अस्पतालों में उपलब्धता होगी।

-बलजीत सिंह चौधरी, महामंत्री मजदूर मोर्चा सीटू

 

सरकारी खजाने में बरस रहे अरबों रुपए : राजस्थान की धरती उगल रही जिंक

राजस्थान की धरती अरबों रुपए का जिंक हर साल उगल रही है। यह सरकारी खजाने को भर रही है। यूं तो राजस्थान में तांबा, सीसा, चांदी, कैडमियम सहित अनेक खनिज पदार्थ निकल रहे हैं। लेकिन सर्वाधिक मात्रा जिंक की है। भारी मात्रा में खनिज पदार्थ निकलने पर राजस्थान को खनिजों का अजायबघर भी बोलते हैं। राज्य में सर्वाधिक तांबे का उत्पादन जहां झुंझुनूं जिले में होता है, वहीं पूरे राजस्थान में जिंक का उत्पादन सबसे ज्यादा हो रहा है। पूरे राज्य में लगभग 44 प्रधान व 23 लघु खनिजों का उत्पादन होता है। इनसे वर्ष 2021-22 में 5795.77 रुपए का राजस्व सरकार को मिला। इनमें अकेले जिंक(जस्ता) से 2370.12 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है।

यहां सबसे ज्यादा

 

जिला

राजस्व जिला राजस्व
राजसमंद 1149.98 सिरोही 141.10
भीलवाड़ा 1423.48 जयपुर 108.12
उदयपुर 535.33 भरतपुर 101.58
चित्तोडगढ़ 261.82 झुंझुनूं 70.31
नागौर 246.64 सीकर 68.74
पाली 220.12 कोटा 58.78
अजमेर 153.08 टोंक 55.42
बीकानेर 149.62 अलवर 41.68
बाड़मेर 149.44
सबसे कम यहां

जिला

राजस्व

जिला

राजस्व
बारां  0.25 करौली 21.35
श्रीगंगानगर 2.48 धौलपुर 21.40
दौसा 4.19 सवाईमाधोपुर 24.04
बूंदी 5.83 चूरू 25.40
डूंगरपुर 7.51 हनुमानगढ़ 29.11
प्रतापगढ़ 12.00 जैसलमेर 30.81
जोधपुर 13.75 जालोर 34.27
झालावाड़ 16.84 बांसवाड़ा 35.42

कुल राजस्व : 5219.89 (सभी खनिज: राशि करोड़ों में, वर्ष 2022-23)

 

हम अव्वल

ताम्बे के उत्पादान में झुंझुनूं पूरे राजस्थान में अव्वल है। इसके अलावा पूरे देश में भी झुंझुनूं के ताम्बे की विशेष पहचान है। जिंक का उत्पादन उदयपुर व राजसमंद की तरफ ज्यादा होता है।

बिडदूराम सैनी, महासचिव, खेतड़ी ताम्बा श्रमिक संघ

 

वर्ष

कुल राजस्व

 जिंक से राजस्व

2021-22 5795.77 2370.12
2022-23 5219.89 506.97

(राशि करोड़ों में )

Web sitesi için Hava Tahmini widget