जयपुर : प्रदेश में आज निजी अस्पतालों के चिकित्सकाें और प्रबंधकों ने विरोध प्रदर्शन किया। बेकाबू चिकित्सकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया। प्राइवेट अस्पतालों ने ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी भी बंद रखी।
विरोध कर रहे डाॅक्टराें का कहना है कि राज्य सरकार के राइट टू हेल्थ बिल के संदर्भ में बार-बार बुलाकर उनके साथ वादाखिलाफी करने के कारण सभी निजी डाॅक्टर आहत है। आरोप है कि पुलिस ने महिला डॉक्टर्स के साथ भी बदसलूकी की है।
स्वास्थ्य मंत्री ने दिया ये आश्वासन
डाॅक्टराें के विरोध प्रदर्शन पर स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा कि सरकारी सेवाएं जारी है। ऐसे में हड़ताल से मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं है। सरकार ने आशंकाओं को दूर कर दिया है। सरकार ने आपातकालीन फंड का प्रावधान किया है, उसका भुगतान सरकार करेगी।
इधर राजस्थान सरकार मंगलवार को विधानसभा में राइट टू हेल्थ बिल पेश करने जा रही है जिसको लेकर बताया जा रहा है कि बिल कल सदन से पारित हो सकता है।
#WATCH | Rajasthan police lathi-charge private hospital doctors and managers who were protesting against the 'Rajasthan Right to Health Bill', in Jaipur pic.twitter.com/4cVVD6cZC6
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) March 20, 2023
स्टेचू सर्किल पर पुलिस से हुई झड़प
इससे पहले प्रदेशभर के चिकित्सक जयपुर में इकट्ठा हुए। जयपुर मेडिकल एसोसिएशन की अगुवाई में चिकित्सकों ने विधानसभा के लिए कूच किया। स्टेच्यू सर्किल के पास चिकित्सकों ने रास्ता जाम कर दिया। विधानसभा की तरफ जाने वाले रास्ते पर भारी पुलिस बल की तैनाती की गई। इसके अलावा तीसरे दिन भी सारे मेडिकल बंद रहे। इस दौरान पुलिस और चिकित्सकों में झड़प हुई।
सरकार ने की वादाखिलाफी
विरोध कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल को लेकर कई बार उनसे चर्चा की लेकिन हर बार वादा खिलाफी के कारण राजस्थान के सभी निजी डॉक्टर अब आहत महसूस कर रहे हैं।
क्या है राइट टू हेल्थ बिल?
राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल लागू होते ही मरीजों को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन जाएगा। उपचार का कानूनी अधिकार मिलने से जनता को यह फायदे होंगे..
• प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति का हेल्थ इंश्योरेंस सरकार अपने स्तर पर करवाएगी।
• अब डॉक्टरों द्वारा दिए जा रहे इलाज की जानकारी मरीज और उसके परिजन ले सकेंगे।
• फीस या चार्ज के एडवांस पेमेंट के बिना इमरजेंसी कंडीशन के दौरान बिना देरी किए प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर जरूरी इमरजेंसी ट्रीटमेंट फैसिलिटी और इंटेंसिव केयर, इमरजेंसी डिलेवरी और ट्रीटमेंट देंगे।
• कोई मेडिको-लीगल मामला है, तो हेल्थ केयर प्रोवाइ़डर केवल पुलिस की एनओसी या पुलिस रिपोर्ट मिलने के आधार पर इलाज में देरी नहीं करेगा।
• किसी भी तरह की महामारी के दौरान होने वाले रोगों के इलाज को इसमें शामिल किया गया है।
• इलाज के दौरान यदि मरीज की अस्पताल में मौत हो जाती है और अस्पताल में इलाज का भुगतान नहीं होता है तब भी डेड बॉडी को अस्पताल रोक नहीं सकेंगे।
• किसी मरीज को गंभीर स्थिति में दूसरे हॉस्पीटल में रैफर करने की जिम्मेदारी अस्पताल की होगी।
• सर्जरी, कीमोथैरेपी की पहले से ही सूचना देकर मरीज या उसके परिजनों से सहमति लेनी होगी।