झुंझुनूं : प्रस्तावित नेशनल हाइवे को लेकर विवाद:शहर में बाइपास के लिए दूसरी बार सीमांकन में बदलाव से टूटेंगे 50 लोगों के घर, आरोप- भूमाफिया की जमीन बचाने का प्रयास

झुंझुनूं : हाइवे की जद में बसे लोगों को अभी तक मुआवजा भी नहीं मिला
शहर से गुजरने वाले नेशनल हाइवे को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। नेशनल हाइवे ऑथोरिटी के प्रस्तावित हाइवे के लिए दो बार पत्थरगढ़ी कराई जा चुकी है। लेकिन हर बार अलग जमीन को चिंहित होने के कारण से लोगों में आशियाना छीनने का डर बन गया है। इसके चलते स्थानीय लोग भूमाफिया के दबाव में प्रस्तावित नक्शा बदलने का आरोप लगा रहे हैं। इसको लेकर वे कई बार कलेक्टर और उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दे चुके हैं।

हालांकि एसडीएम ने इस मामले के लिए कमेटी गठित की है। लेकिन इस इलाके के 50 से ज्यादा परिवारों के मकान टूटने और 500 से अधिक भूखंडों के हाइवे में जाने खतरा पैदा हो गया है। इसके साथ ही लोगों के सामने दूसरी परेशानी मुआवजा नहीं मिलने की भी खड़ी हो गई है। नियम के अनुसार खातेदार को ही मुआवजा मिलेगा। जबकि वे पहले ही जमीन बेच चुके हैं। ऐसे में परेशान मकान वाले किराए के मकानों में जाने को मजबूर हो रहे हैं। हालांकि कलेक्टर खातेदारों के जरिए भूखंड मालिक को मुआवजा दिलवाने की कह रहे है।

बड़ा सवाल : चौबारी मंडी की 400 फीट गहरी खदानों के ऊपर से बाइपास कैसे बनेगा?
दैनिक भास्कर की टीम ने मलसीसर रोड से हमीरी रोड के बीच एनएचआई की ओर से लगाए गए निशानों की जांच की। तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। इसमें चौबारी मंडी की 400 फीट से ज्यादा गहरी खदानों के सामने एनएचआई की ओर निशान लगाए गए है। जबकि पहले इन खदानों से 200 मीटर दूर से हाइवे गुजरने वाला था। इन खदानों में काफी गहराई तक पानी भरा हुआ है। इसके अलावा मलसीसर रोड के ऊपर से गुजरने के लिए फ्लाईओवर प्रस्तावित किया हुआ है। पार्षद जब्बार फुलका ने बताया कि चौबारी मंडी के खदानों के ऊपर से बाइपास निकलना असंभव है। ऐसे में नेशनल हाइवे की पूरी योजना खटाई में पड़ सकती है। इसके साथ ही चिंहित की गई जमीन में व्यापारी समाज का कब्रिस्तान भी आ रहा है।
पार्षद अब्दुल जब्बार फुलका ने बताया कि मलसीसर रोड से चौबारी मंडी के बीच भूमाफिया के दबाव में राजस्व रिकार्ड में गड़बड़ की गई है। ऑफलाइन नक्शा गलत बनाकर दे दिया। जबकि ऑनलाइन नक्शा सही बना हुआ था। इसके साथ ही चाैबारी मंडी के बीच बड़ा खड्ढा शामिल कर लिया गया है। जिसमें एनएचआई काम नहीं कर पाएगी।

इन दो कहानियों से जानिए बाइपास के रूट में बदलाव से लोगों को हो रही पीड़ा
कर्जा लेकर आशियाना बनाया, अब बेघर होंगे

चौबारी मंडी के निकट आठ साल पहले मकान बनाकर रह रही आसमीन बानो ने बताया कि वे बूंदी बांधने का काम करती है और पति दिहाड़ी मजदूर है। उन्होंने कर्जा लेकर मकान बनाया था। उसमें से 5 लाख रुपए अभी लोन बाकी चल रहा है। लेकिन नए निशान लगाने में उनके मकान को शामिल कर लिया गया है। वे गरीब परिवार है। जीवन भर की कमाई से मकान बनाया था। अब उनके पास दूसरा रहने का कोई ठिकाना नहीं है।

नौ साल पहले यहां पहला मकान बनाने वाली आमीना बानो बताती है कि लोगों से ब्याज पर रुपए उठाकर मकान बनाया था। अभी तक ब्याज ही चुका पाए हैं और मूल बकाया चल रहा है। पहले हर बार सर्वे मकान से दूर हो रहा था। लेकिन अभी थोड़े दिन पहले घर के सामने खंभे लगाकर चले गए। पूछा तो बोले हाइवे उनके मकान से होकर निकलेगा। अब उनके सामने परेशानी खड़ी हो गई है।

Q दो बार निशान लगाने से लोगो में भ्रम बना हुआ है?
A पहले जो निशान लगाए गए थे। वो गलत लग गए थे। एलाइमेंट फाइनल होने के बाद अब जो निशान लगाए गए है, वो पूरी तरह से सही है और उसके अनुसार ही हाइवे का निर्माण होगा।
Q लोगों के मकान और प्लाट हाइवे में जा रहे हैं और मुआवजा भी नहीं मिल रहा?
A ये सही बात है, लेकिन नियमों में राजस्व रिकार्ड में मूल खातेदार को ही मुआवजा देने का नियम है। जबकि मूल खातेदार लाेगाें को एग्रीमेंट और नोटेरी पर जमीन बेच चुके हैं। एसडीएम और तहसीलदार को निर्देश दिए है कि वे खातेदारों से प्लॉट व मकान वालों को मुआवजा दिलवाए।
Q चौबारी मंडी की खदानों के ऊपर से हाइवे कैसे बनेगा ?
A नहीं, ऐसा संभव नहीं है। इस मामले को लेकर वो एसडीएम व तहसीलदार को जांच कराने के लिए निर्देश देंगे। गहरी खदान पर से रोड नहीं बन सकती है।

Web sitesi için Hava Tahmini widget