झुंझुनूं-पिलानी(ढूंढारिया) : पिलानी के कर्नल राजेन्द्र सिंह कड़वासरा का आज उनके पैतृक गांव ढंढारिया में सैन्य सम्मान के साथ अन्तिम संस्कार कर दिया गया। त्योहार के बावजूद शहीद की अन्तिम यात्रा में सैकड़ों की संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए। सेना के जवानों का दल कर्नल राजेन्द्र सिंह के पार्थिव शरीर को पिलानी लेकर आया था, जहां से जुलूस के रूप में शव उनके पैतृक गांव ले जाया गया।
शहीद राजेंद्र सिंह को उनके बेटों और भाईयों ने मुखाग्नि दी।
कल आर्मी हॉस्पिटल में ली थी अंतिम सांस
पिलानी ब्लॉक के गांव ढंढारिया के निवासी कर्नल राजेन्द्र सिंह कड़वासरा का कल लेह में ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक की वजह से निधन हो गया। सुबह 10:30 बजे ऑफिसर कान्फ्रेंस के दौरान उनको हार्ट अटैक आ गया था, बाद में उन्हें सेना के अस्पताल ले जाया गया, जहां उनको मृत घोषित कर दिया गया था। पोस्टमॉर्टम के बाद सेना के जवानों का दल सड़क मार्ग से रविवार को शहीद कर्नल राजेन्द्र सिंह कड़वासरा का पार्थिव शरीर लेकर उनके पैतृक गांव ढंढारिया पहुंचा, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
सांसद नरेंद्र खीचड़, जिला प्रमुख हर्षिनी कुलहरी, पूर्व प्रधान शेर सिंह नेहरा, रोहिताश्व रणवा सहित बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि व गणमान्यजन मौजूद रहे। अन्तिम यात्रा में 3 किलोमीटर तक शहीद को श्रद्धांजलि देने वाले लोगों की कतार टूट नहीं पाई। सबकी आंखें नम थी। कर्नल राजेन्द्र सिंह के निधन का समाचार मिलने पर आज ढंढारिया व आसपास के गांवों से सैंकड़ों लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। शहीद की चिता को उनके बड़े बेटे ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में मौजूद लोगों ने देशभक्ति के नारों के बीच शहीद को अंतिम विदाई दी।
बड़े बेटे ने दी मुखाग्नि
शहीद कर्नल राजेन्द्र सिंह के बड़े बेटे अक्षत सिंह ने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ पिता के शव को मुखाग्नि दी। अक्षत दिव्यांग है, व्हीलचेयर पर बैठना मजबूरी है, लेकिन देशभक्ति का जज्बा मानो रगों में बहता है। पिता के अंतिम संस्कार के दौरान ही अक्षत ने मीडिया से कहा कि मुझे मौका दिया जाए तो मैं भी देश के लिए प्राण न्यौछावर कर सकता हूं।
पूरा परिवार रक्षा सेवा में ही कार्यरत
कर्नल राजेन्द्र सिंह नवंबर में ही घर आ कर गए थे और 20 मार्च को ही वापस आने वाले थे, लेकिन आज तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा, जिसके बाद पूरे गांव में माहौल गमगीन हो गया। शहीद की माता, वीरांगना पत्नी और बच्चों को रिश्तेदारों, गांव के लोगों ने संभाला। शहीद कर्नल राजेन्द्र सिंह 1999 में डायरेक्टर कमीशन लेकर कैप्टन पद पर नियुक्त हुए थे। शहीद के दिवंगत पिता भी सेना में कप्तान थे, पत्नी सरकारी विद्यालय में अध्यापिका हैं और 2 पुत्र अक्षत (14वर्ष) और पूर्व (12वर्ष) हैं, जो अभी पढ़ रहे हैं। शहीद के 2 बड़े भाई आर्मी से ही रिटायर हुए हैं, जबकि एक छोटे भाई राजेश सिंह कड़वासरा भी भारतीय सेना में ही कर्नल हैं तथा वर्तमान में जयपुर पदस्थ हैं।
मिल चुका था शौर्य चक्र सम्मान
जम्मू कश्मीर में पोस्टिंग के दौरान कुपवाड़ा में पाकिस्तानी आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी, जिसमें कर्नल राजेन्द्र सिंह ने 5 आतंकियों को मारा था। इस घटना के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा इन्हें शौर्य चक्र प्रदान किया गया था।