शब-ए-बारात : क्यों मनाते है शब-ए-बारात, जानें क्या है खास

शब-ए-बारात : मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार शाबान माह की 14 तारीख को शब-ए-बारात मनाया जाता है | शब-ए- बारात में शब का अर्थ रात है तथा बारात का अर्थ बरी है | मुस्लिम समुदाय में इस रात को फजीलत (महिमा) कहा जाता है | सभी मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत करते है | वह अल्लाह से दुआ मांगते है और जो आज तक उन्होंने गलत काम किये है उनके लिए वह माफ़ी मांगते है |

इतना खास क्यों है शब-ए-बारात?

इस्लामी मान्यता के मुताबिक शब-ए-बरात की सारी रात इबादत और तिलावत का दौर चलता है। साथ ही इस रात मुस्लिम धर्मावलंबी अपने उन परिजनों, जो दुनिया से रूखसत हो चुके हैं, की मगफिरत मोक्ष की दुआएँ करने के लिए कब्रिस्तान भी जाते हैं। इस रात दान का भी खास महत्व बताया गया है।

शब-ए-बारात की रात दुनिया से विदा हो चुके लोगों की कब्रों पर जाकर उनके हक में मगफिरत/माफिर की दुआ की जाती है. मान्यताओं अनुसार इस रात को पाप और पुण्य के फैसले होते हैं. ऐसा माना जाता है क इस दिन अल्लाह अपने बंदों के कर्मों का लेखा जोखा करता है और कई सारे लोगों को नरक यानि दोजख/जहन्नम से आजाद भी कर देता है. इसी वजह से मुस्लिम लोग इस पर्व वाले दिन रात भर जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं. इस्लामिक मान्यताओं अनुसार इस रात को अगर सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करते हुए अपने गुनाहों से तौबा की जाए तो अल्लाह इंसान के हर गुनाह को माफ कर देता है.

Shab-e-Barat का इस्लाम महत्व

शब-ए-बारात को (इबादत, तिलावत और सखावत) जिसे सामान्य भाषा में दान- पुण्य करना कहते है, को सभी मुस्लिम बड़ी संख्या में करते है | इस रात को मस्जिदों और कब्रिस्तानों में सजावट की जाती है | शब-ए-बरात की रात को कब्रिस्तानों में बहुत भीड़ इकट्ठा होती है |

इस रात को पिछले वर्ष किये गए कर्मों के लेखा-जोखा को बनाने और नए साल में भविष्य को तय करने की रात को ही शब-ए-बरात के नाम से पुकारा जाता है |

शब-ए-बरात की पूरी रात को इबादत में गुजारने की परंपरा है | इस रात में नमाज, तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और अपनी क्षमता के अनुसार दान- पुण्य करने में बिताया जाता है | मालवा-निमाड़ में कई प्रकार के स्वादिष्ट मिष्ठान बनाये जाते है | यहां पर फातेहा के साथ शब-ए- बारात को मनाया जाता है |

मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में इस रात को शानदार सजावट की जाती है | इस रात को मुस्लिम धर्मावलंबियों के द्वारा जुलूस और जल्से का इंतजाम किया जाता है | शब-ए-बरात की रात शहर में कई स्थानों पर जलसों का आयोजन किया जाता है |

इस दिन गरीबों में इमदाद/दान करने की परंपरा है. इस दिन मुस्लिम लोग मस्जिदों में और कब्रिस्तानों में इबादत के लिये जाते हैं. इसके साथ ही घरों को सजाया जाता है और लोग पूरी रात अल्लाह की इबादत करते हुए बिताते हैं. इस दिन लोग नमाज पढ़ने के साथ अल्लाह से अपने पिछले साल हुए गुनाहों की माफी मांगते हैं. ऐसा माना जाता है कि इस दिन अल्लाह कई सारी रुहों को जहुन्नम से आजाद करते हैं.

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