जनमानस शेखावाटी संवाददाता : नीलेश मुदगल
झुंझुनूं : होली का त्याहौर मनाया जाएगा। लोग एक दूसरे पर जमकर गुलाल उडाएंगे। लेकिन थोडी सी लापरवाही आपके रंगे के खेल में भंग डाल सकती है। बाजार में बिक रहा सिंथेटिक रंग आपकी जिंदगी खतरे में डाल सकता है। जिसक इस्तेमाल से न सिर्फ आपकी त्वचा खराब हो सकती है, बल्कि आपकी आँखों के लिए भी यह बेहद खतरनाक है।
विशेषज्ञों की मानें तो रंगो के त्योहार होली में सबसे अधिक खतरा कैमिकल और सिंथेटिक रंगों से होता है। राजकीय बीडीके अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. कैलाश राहड ने बताया कि सिंथेटिक रंगों में नुकसानदायक तत्व होते हैं। इसलिए हर्बल और प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए।
केमिकल रंगों से आंखों में अंधापन आ सकता है और त्वचा झुलस सकती है। त्वचा और आंखों को तो यह रंग नुकसान पहुंचाते ही हैं और अगर शरीर के अंदर चले जाएं तो फेफड़ों और हृदय के लिए खतरनाक साबित हो सकते है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।
कैमिकल कलर से होली ना जाने
फिजिशियन डॉ. कैलाश राहड ने बताया कि
सिंथेटिक होली रंग में सस्ते, हानिकारक पदार्थ मिले होते हैं, ये हानिकारक पदार्थ एसिड, मिट्टी एव ग्लास के बारीक टुकड़े होते हैं। इससे शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यदि इन रंगों को तेल व पानी में मिलाकर त्वचा पर लगाया जाए तो इनके दुष्प्रभाव और बढ़ जाते है। इसलिए सिंथेटिक कलर से होली ना खेले, इकोफ्रेंडली होली रंग काम में लेवे, फूलों व पानी के गुब्बारो से होली खेले, होली खेलते समय बालो के तेल लगावे, त्वचा पर मॉइश्चराइज लगावे, शरीर पर लगे रंग उतारने के लिए हल्दी,दही,बेसन के पेस्ट उपयोग लेवे।
हल्के दुष्प्रभाव :
- बालो का रूखापन
- त्वचा समस्याएं
- जलन, हल्के घाव, खुजली, लाल निशान
- आंखो में जलन, लालहोना, खुजली होना
- गंभीर दुष्प्रभाव
- प्वाइजिंग हो जाना
- कम दिखाई देना
- कैंसर बनना
- सांस की परेशानी
सलाह :
- सिंथेटिक कलर से होली ना खेले
- इकोफ्रेंडली होली रंग काम में लेवे
- फूलों से होली खेले
- पानी के गुब्बारो से होली खेले
- होली खेलते समय बालो के तेल लगावे
- त्वचा पर मॉइश्चराइज लगावे
- चेहरे, गर्दन, हाथ पर सन स्क्रीन क्रीम लगावे
- शरीर पर लगे रंग उतारने के लिए हल्दी, दही, बेसन के पेस्ट उपयोग लेवे
निवेदक : डॉ. कैलाश राहड़, सीनियर फिज़िशन एंव डायबिटीज रोग विशेषज्ञ (मेडिसन विभागाध्यक्ष), राजकीय बीडीके जिला अस्पताल, झुंझुनू (राज.)