कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में एक इटैलियन अखबार को इंटरव्यू दिया है। कोरिएर डेला सेरा से की गई बातचीत में राहुल ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अगले लोकसभा चुनाव, अपनी दादी इंदिरा गांधी और पिता राजीव गांधी के साथ की यादें और खुद के शादी न करने पर भी बात की।
किस मुद्दे पर क्या बोले राहुल?
1. भारत जोड़ो यात्रा पर?
अपनी चार महीनों से ज्यादा लंबी भारत जोड़ो पदयात्रा पर राहुल ने कहा कि यह उनके लिए एक तपस्या जैसी थी। उन्होंने कहा, “सबकी सीमाएं, मेरी भी, हमारी सोच से कहीं ज्यादा हैं। संस्कृत में एक शब्द है तपस्या, जो कि किसी पश्चिमी संस्कृति के व्यक्ति के लिए समझना मुश्किल है। इसे कोई धैर्य कहता है, तो कोई बलिदान। लेकिन इसका मतलब है गर्मी पैदा करना। यह पदयात्रा से एक गर्माहट पैदा हुई, जो कि आपको अपने अंदर देखने देत है, समझने देती है कि भारतीयों का असाधारण लचीलापन कितना ज्यादा है।”
अपनी चार महीनों से ज्यादा लंबी भारत जोड़ो पदयात्रा पर राहुल ने कहा कि यह उनके लिए एक तपस्या जैसी थी। उन्होंने कहा, “सबकी सीमाएं, मेरी भी, हमारी सोच से कहीं ज्यादा हैं। संस्कृत में एक शब्द है तपस्या, जो कि किसी पश्चिमी संस्कृति के व्यक्ति के लिए समझना मुश्किल है। इसे कोई धैर्य कहता है, तो कोई बलिदान। लेकिन इसका मतलब है गर्मी पैदा करना। यह पदयात्रा से एक गर्माहट पैदा हुई, जो कि आपको अपने अंदर देखने देत है, समझने देती है कि भारतीयों का असाधारण लचीलापन कितना ज्यादा है।”
2. हिंदू-मुस्लिमों पर?
राहुल से जब पूछा गया कि क्या हिंदू और मुस्लिमों के बीच ध्रुवीकरण है, तो उन्होंने कहा कि यह स्थिति है तो, लेकिन उतनी खराब नहीं है, जितनी मीडिया इस सरकार के संरक्षण में दिखा रही है। यह एक तरह से चिंताजनक असल मुद्दों, जैसे गरीबी, अशिक्षा, महंगाई, कोरोनाकाल के बाद छोटे-मध्यम व्यापारियों की परेशानी, किसानों की समस्या से लोगों का ध्यान बंटाने की कोशिश है।
राहुल से जब पूछा गया कि क्या हिंदू और मुस्लिमों के बीच ध्रुवीकरण है, तो उन्होंने कहा कि यह स्थिति है तो, लेकिन उतनी खराब नहीं है, जितनी मीडिया इस सरकार के संरक्षण में दिखा रही है। यह एक तरह से चिंताजनक असल मुद्दों, जैसे गरीबी, अशिक्षा, महंगाई, कोरोनाकाल के बाद छोटे-मध्यम व्यापारियों की परेशानी, किसानों की समस्या से लोगों का ध्यान बंटाने की कोशिश है।
3. फासीवाद पर?
भारत और फासीवाद पर राहुल ने कहा कि भारत में यह पहले से ही है। लोकतांत्रिक ढांचे गिर रहे हैं। संसद अब काम नहीं करती। मैं खुद दो साल तक बोल नहीं पाया और जब मुझे बोलने का मौका मिला तो मेरा माइक्रोफोन बंद कर दिया गया। सत्ता का संतुलन खत्म हो रहा है। न्याय अब स्वतंत्र नहीं है। केंद्रीयता अब पूर्ण है। प्रेस भी पूरी तरह से आजाद नहीं है।
भारत और फासीवाद पर राहुल ने कहा कि भारत में यह पहले से ही है। लोकतांत्रिक ढांचे गिर रहे हैं। संसद अब काम नहीं करती। मैं खुद दो साल तक बोल नहीं पाया और जब मुझे बोलने का मौका मिला तो मेरा माइक्रोफोन बंद कर दिया गया। सत्ता का संतुलन खत्म हो रहा है। न्याय अब स्वतंत्र नहीं है। केंद्रीयता अब पूर्ण है। प्रेस भी पूरी तरह से आजाद नहीं है।
4. पीएम मोदी को हराने पर?
2024 के आम चुनाव में पीएम मोदी को हराने के सवाल पर राहुल ने कहा, “यह तो तय है कि पीएम मोदी को हराया जा सकता है। लेकिन जरूरी है कि आप जनता को एक परिप्रेक्ष्य दें। वामपंथ या दक्षिणपंथ से जुड़ा विजन नहीं, बल्कि शांति और गठबंधन का परिप्रेक्ष्य। फासीवाद को सिर्फ विकल्प देकर ही हराया जा सकता है। अगर भारत के कोई दो नजरिए आमने-सामने हों, तो हमारे नजरिए की जीत होगी।”
2024 के आम चुनाव में पीएम मोदी को हराने के सवाल पर राहुल ने कहा, “यह तो तय है कि पीएम मोदी को हराया जा सकता है। लेकिन जरूरी है कि आप जनता को एक परिप्रेक्ष्य दें। वामपंथ या दक्षिणपंथ से जुड़ा विजन नहीं, बल्कि शांति और गठबंधन का परिप्रेक्ष्य। फासीवाद को सिर्फ विकल्प देकर ही हराया जा सकता है। अगर भारत के कोई दो नजरिए आमने-सामने हों, तो हमारे नजरिए की जीत होगी।”
5. रूस-यूक्रेन युद्ध पर
राहुल ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर किए गए सवाल पर जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह एक विदेश नीति से जुड़ा मामला है। हालांकि, उन्होंने इसके शांतिपूर्ण हल की बात कही।
राहुल ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर किए गए सवाल पर जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह एक विदेश नीति से जुड़ा मामला है। हालांकि, उन्होंने इसके शांतिपूर्ण हल की बात कही।
6. चीन-भारत के रिश्तों पर
राहुल ने भारत और चीन के रिश्तों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण प्रतियोगिता वाले संबंध होने चाहिए। मुजे नहीं लगता कि औद्योगिक स्तर पर पश्चिम चीन के साथ प्रतियोगिता कर सकता है। खासकर कम कीमत वाले उत्पादन में। लेकिन भारत यह कर सकता है और उसे करना भी चाहिए, खासकर अपने लोगों के लिए।”
राहुल ने भारत और चीन के रिश्तों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण प्रतियोगिता वाले संबंध होने चाहिए। मुजे नहीं लगता कि औद्योगिक स्तर पर पश्चिम चीन के साथ प्रतियोगिता कर सकता है। खासकर कम कीमत वाले उत्पादन में। लेकिन भारत यह कर सकता है और उसे करना भी चाहिए, खासकर अपने लोगों के लिए।”
7. नेहरु-इंदिरा गांधी पर
वायनाड से सांसद राहुल ने कहा, “मैं नेहरुजी को उतना नहीं जानता, लेकिन हमेशा से उन्हें अपना गाइड मानता आया हूं।” दादी इंदिरा को लेकर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी अपनी मौत को लेकर मुझे चेतावनी नहीं दी, लेकिन हमेशा कहती थीं कि जब वह दिन आएगा, तब तुम रोना नहीं। खासकर सार्वजनिक तौर पर।
वायनाड से सांसद राहुल ने कहा, “मैं नेहरुजी को उतना नहीं जानता, लेकिन हमेशा से उन्हें अपना गाइड मानता आया हूं।” दादी इंदिरा को लेकर उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी अपनी मौत को लेकर मुझे चेतावनी नहीं दी, लेकिन हमेशा कहती थीं कि जब वह दिन आएगा, तब तुम रोना नहीं। खासकर सार्वजनिक तौर पर।
8. पिता राजीव गांधी पर
राहुल ने चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि उनके पिता राजीव गांधी को भी पता था कि उनका अंत समय करीब है। उन्हें लगता था कि कुछ शक्तियां और ताकतें खड़ी हो गई हैं, जो उनकी जान ले सकती हैं।
राहुल ने चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि उनके पिता राजीव गांधी को भी पता था कि उनका अंत समय करीब है। उन्हें लगता था कि कुछ शक्तियां और ताकतें खड़ी हो गई हैं, जो उनकी जान ले सकती हैं।
9. अपनी शादी पर
जब अखबार ने राहुल से उनकी शादी को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि मुझे पसंद होगा अगर मेरे बच्चे होंगे, हालांकि उन्होंने 52 साल की उम्र में भी अपनी शादी न होने की कोई साफ वजह जाहिर नहीं की और कहा कि उनके लिए अभी भी कई चीजें करना बाकी है।
जब अखबार ने राहुल से उनकी शादी को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि मुझे पसंद होगा अगर मेरे बच्चे होंगे, हालांकि उन्होंने 52 साल की उम्र में भी अपनी शादी न होने की कोई साफ वजह जाहिर नहीं की और कहा कि उनके लिए अभी भी कई चीजें करना बाकी है।