झुंझुनूं : जहां सत्य एवं भक्ति का समन्वय होता है, वहां भगवान का आगमन अवश्य होता है-श्रीकांत शर्मा

जनमानस शेखावाटी संवाददाता नीलेश मुदगल

झुंझुनूं : लावरेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट की ओर से मंदिर के बत्तीसवें वार्षिकोत्सव के शुभ अवसर पर श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का आयोजन मंदिर परिसर के सामने चौथमल गोयनका नोहरा में व्यास पीठ पर विश्वविख्यात श्रदैय बाल व्यास  श्रीकांत शर्मा द्वारा पांचवे दिन गोर्वधन पूजा का प्रसंग सुनाया और कृष्ण लीला का वर्णन किया। कथा में गोवर्धन पूजा की कथा सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए कहा कि जहां सत्य एवं भक्ति का समन्वय होता है, वहां भगवान का आगमन अवश्य होता है। जब भगवान श्रीकृष्ण नंद गांव पहुंचे तो देखा कि गांव में इंद्र पूजन की तैयारी में 56 भोग बनाए जा रहे हैं। श्रीकृष्ण ने नंद बाबा से पूछा कि कैसा उत्सव होने जा रहा है। जिसकी इतनी भव्य तैयारी हो रही है। नंद बाबा ने कहा कि यह उत्सव इंद्र भगवान के पूजन के लिए हो रहा है। क्योंकि वर्षा के राजा इन्द्र है और उन्हीं की कृपा से बारिश हो सकती है। इसलिए उन्हें खुश करने के लिए इस पूजन का आयोजन हो रहा है।

इस पर श्रीकृष्ण ने इंद्र के लिए हो रहे यज्ञ को बंद करा दिया और कहा कि जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल मिलता है। इससे इंद्र का कोई मतलब नहीं है। ऐसा होने के बाद इंद्र गुस्सा हो गए और भारी बारिश करना शुरु कर दिए। नंद गांव में इससे त्राहि-त्राहि मचने लगी तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को ही उठा लिया। नंद गांव के लोग सुरक्षति हो गए। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का क्रम शुरु हुआ। कथा में भगवान कृष्ण की बाल, माखन चोर लीलाओं का वर्णन किया गया। उन्होंने बताया कि, भगवान श्री कृष्ण की सबसे अच्छी और प्यारी कोई बचपन की लीला है तो वह माखन चोर लीला। भगवान श्री कृष्ण प्रतिदिन गोपियों के यहां माखन चुराने जाते थे। भगवान की लीला सुनने को तभी मिलती है जब भगवान अपनी कृपा करें। भगवान श्री कृष्ण की अलग-अलग माखन चोरी लीला का यहां वर्णन किया गया है। वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण माखन चोर नहीं है वो तो चितचोर है। जो उनकी लीला को देख ले वह देखता रह जाता है। अन्त में महाआरती के पश्चात प्रसाद वितरित किया गया। कथा के मध्य गोवर्धन पर्वत, छप्पन भोग एवं कृष्ण बाल लीला की झांकी सजाई गई। कथा के मध्य 28 जनवरी शनिवार को बैकुंठ दर्शन, कंस वध एवं रुक्मणी विवाह का वर्णन महाराज श्री के मुखारविंद से होगा।

इस अवसर पर बगड़ दादुद्वारा के पीठाधीश्वर अर्जुनदास महाराज, मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी इंद्र कुमार मोदी देहली, कृपाशंकर मोदी मुम्बई, सुरेश पंसारी एवं परमेश्वर हलवाई झुंझुनूं, ओमप्रकाश तुलस्यान चैन्नई, राजकुमार अग्रवाल एवं राधेश्याम ढंढारिया जयपुर, अनिल टेकडीवाल दिल्ली, प्रदीप लोहारूका, मुम्बई, जालान परिवार के विजय कुमार जालान, रमाकांत जालान, प्रदीप कुमार जालान, देवेंद्र कुमार जालान, अरुण कुमार जालान, नितिन जालान, निखिल जालान, अमित जालान, सुमित जालान, यश जालान, सीए दीनबंधु जालान, सीए सुनील गोयल एवं सीए प्रमोद जालान मुंबई, महावीर प्रसाद गुप्ता एवं शंकरलाल सोन्थलिया चेन्नई, विमल ढढांरिया सूरत, मंदिर ट्रस्ट कार्यकारिणी सदस्य नरेश अग्रवाल, नवीन अग्रवाल, प्रमोद कुमार अग्रवाल, डॉक्टर डीएन तुलस्यान, श्रीकांत पंसारी, रूपेश तुलस्यान, अमित जगनानी, सुधीर गाड़िया जयपुर सहित अन्यजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

 

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