झुंझुनूं : राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली व राजस्थान विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार सम्पूर्ण राजस्थान में वर्ष 2023 की प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन 11 फरवरी को किया जा रहा है। कार्यकारी अध्यक्ष महोदय, रालसा के निर्देशन में प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत ऑफलाईन के साथ-साथ ऑनलाइन भी आयोजित की जावेगी। राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल करने हेतु रालसा द्वारा रालसा-22 डिजिटल प्लेटफार्म लांच किया गया है जिसमें प्री-लिटिगेशन के प्रकरणों को दर्ज करने से लेकर अवार्ड पारित किए जाने की अधिकांश कार्यवाही सम्पन्न की जा सकती है।
उक्त राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन में किसी नागरिक एवं सरकार या उसके किसी विभाग/उपक्रम के मध्य सभी प्रकार के विवाद (राजस्थान लिटिगेशन पॉलिसी, 2018 के तहत निराकरण के प्रयास), मोटर दुर्घटना दावों से संबंधित क्लेम के विवाद, घातक दुर्घटना अधिनियम से संबंधित क्लेम के विवाद, धारा 138 परक्राम्य विलेख अधिनियम के विवाद, धन वसूली के सभी प्रकार के विवाद के तहत वसूली के हर प्रकार के मामलों सहित), गृहकर/नगरीय विकास कर के विवाद (जो स्थानीय निकायों द्वारा वसूल किया जाता है), शहरी जमाबंदी के (जो डवलपमेंट अर्थोरिटीज/यूआइटी द्वारा वसूल की जाती है), फसल बीमा पॉलिसी से संबंधित विवाद, व्यापारिक प्रतिष्ठानों एवं ग्राहकों के मध्य विवाद, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवाद, पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं यथाः निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना, प्रसूति सहायता योजना, हिताधिकारी की सामान्य अथवा दुर्घटना में मृत्यु या घायल होने की दशा में सहायता, योजना, सिलिकोसिस पीड़ित हिताधिकारियों हेतु सहायता योजना, शुभ शक्ति योजना, निर्माण श्रमिक सुलभ्य आवास योजना, निर्माण श्रमिक औजार/टूलकिट सहायता योजना, निर्माण श्रमिक जीवन व भविष्य सुरक्षा योजना, निर्माण श्रमिक एवं उनके आश्रित बच्चों द्वारा भारतीय/राजस्थान प्रशासनिक सेवा हेतु आयोजित प्रारम्भिक प्रतियोगी परीक्षा उत्तीर्ण करने पर प्रोत्साहन योजना, निर्माण श्रमिकों के पुत्रा/पुत्रा का आई.आईटी./आई.आई.एम. में प्रवेश मिलने पर ट्यूशन फीस की पुनर्भरण योजना, निर्माण श्रमिकों को विदेश में रोजगार हेतु वीजा पर होने वाले व्यय की पुनर्भरण योजना एवं निर्माण श्रमिक अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं हेतु प्रोत्साहन योजना, आदि से संबंधित लम्बित प्रार्थना-पत्रा, बिजली, पानी, मोबाइल, क्रेडिट कार्ड एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित विवाद,भरण-पोषण/बालकोंकी अभिरक्षा से संबंधित सभीप्रकार के विरूद्ध, सभी प्रकार के राजस्व विवाद(सीमाज्ञान(पैमाइश)/पत्थरगढ़ी/जमाबन्दी-रिकॉर्ड शुद्धि/नामान्तरण/रास्के का अधिकार, सुखाचार एवं डिवीज ऑफ होल्डिंग सहित), अन्य सभी प्रकार के सिविल विवाद, र्सिर्वस मैटर्स के विवाद(पदोन्नति एवं वरिष्ठता संबंधी विवादों को छोड़कर), उपभोक्ताविवाद,जनउपयोगी सेवाओं से संबंधित विवाद, अन्य राजीनामा योग्य विवाद(जोअन्य अधिकरणों/आयोगों/मंचों/अर्थोरिटी/आयुक्त/ प्राधिकारियों के क्षेत्राधिकार से संबंधित है) आदि प्रकरण चिन्हित किए जा सकते है।
इस क्रम में दीक्षा सूद, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा बैंक अधिकारीगण, बी.एस.एन.एल के अधिकारीगण, राजस्व विभाग के अधिकारीगण व अन्य विभागों से मीटिंग ली जाकर समय पर समय आ रहे निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जा रही है। बैठक में सूद द्वारा आज बार संघ झुंझुनूं के अधिवक्तागणों की मीटिंग ली गयी। मीटिंग के दौरान सचिव में अधिवक्तागणों से न्यायालयों में लंबित प्रकरणों को राष्ट्रीय लोक अदालत में समझाइश की भावना से निपटारा करने की अपील की। सूद ने कहा कि अगर लोक अदालत में प्रकरण निस्तारित हो जाता है तो प्रकरण का अंतिम रूप से निस्तारण हो जायेगा तथा न्यायालय में जमा करवायी गयी फीस भी वापिस मिलेगी। सूद ने कहा कि सभी से अपील की जाती है कि जिनके भी प्रकरण उक्त विषयों से संबंधित लंबित है तो वे लोक अदालत की भावना से उक्त प्रकरण में समझाईश के माध्यम से निस्तारित करवा सकते है ताकि न्यायालयों में चलने वाली कार्यवाहियों से बचा जा सके।