यूपी के 3 करोड़ उपभोक्ताओं की बिजली महंगी होने वाली है। विदेशी कोयला खरीदने के लिए केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं। दरअसल, बिजली की बढ़ती डिमांड और कोयले की किल्लत का हवाला देकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने 6% विदेशी कोयला खरीदने को कहा है।
विदेशी कोयला देसी की तुलना में कई गुना महंगा होता है। ऐसे में बिजली महंगी होगी और उसका पैसा आम उपभोक्ताओं से ही लिया जाएगा। इसमें कहा गया है कि सितंबर, 2023 तक बड़ा कोयला संकट पैदा हो सकता है। साल 2021 में भी कोयला की किल्लत हो गई थी। इसकी वजह से सरकार ने एनर्जी एक्सचेंज पर महंगी बिजली खरीदनी पड़ी थी। तब 12 से 16 रुपए यूनिट के हिसाब से कई मिलियन यूनिट बिजली खरीदी गई थी।
6% कोयला खरीदना अनिवार्य
केंद्र की गाइड लाइन के अनुसार 6% विदेशी कोयला खरीदना अनिवार्य है। इसमें कहा गया है कि पावर प्लांट 6% विदेशी कोयला खरीदें। जो राज्य 6 प्रतिशत विदेशी कोयला नहीं खरीदेंगे, उनके आवंटित घरेलू कोयले में कटौती की जाएगी। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि कोयले की मांग अधिक होने की वजह से रोजाना 3 लाख से 1 लाख टन कोयले की कमी हो सकती है। यही वजह है कि सभी पावर प्लांटों को विदेशी कोयला खरीदने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि कोयला संकट का असर बिजली के उत्पादन पर न पड़े।
15 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ
UP राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि हम इसका विरोध करेंगे। उन्होंने बताया कि अगर 6% कोयले की खरीदारी की जाती है तो यूपी सरकार पर करीब 15 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा। उन्होंने घरेलू कोयला जहां 3 हजार रुपए प्रति टन होता है। वहीं विदेशी कोयला 20 हजार रुपए प्रति टन है। 6% कोयला खरीदने से बड़ा वित्तीय बोझ पावर प्लांट पर आएगा। इसकी वजह से बिजली की कीमत बढ़ाई जाएगी। तब राज्य ने पावर प्लांटों के लिए विदेशी कोयला खरीदने से मना कर दिया था। विदेशी कोयला देसी कोयले से करीब 7 गुना महंगा होगा।