राजस्थान पुलिस के डीजीपी उमेश मिश्रा ने पुलिस विभाग में घूसखोरी और करप्शन पर रोक संबंधी मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा- समाज के किस क्षेत्र में करप्शन नहीं है, पहले यह बताएं। कौनसा महकमा करप्शन से छूटा है ? जो करप्शन में इन्वॉल्वड हैं, क्या वो समाज से नहीं आते हैं ? अगर एक पुलिसकर्मी है, तो उसके पीछे उसके 10-20 परिजन भी हैं, वो समाज के ही अंग हैं। मीडिया ऐसे कह रही है कि जैसे हमारा समाज पवित्र हो गया है, तो पुलिस भी पवित्र क्यों नहीं है? अगर ये गारंटी दें कि समाज पूरी तरह करप्शन विहीन हो गया है, तो हम कह सकते हैं कि पुलिस भी करप्शन विहीन हो गई है। अगर समाज में बुराई होगी या समाज में करप्शन है, तो पुलिस भी समाज का अंग है।
सबसे ज्यादा पुलिस विभाग में होता है डिपार्टमेंटल एक्शन
डीजीपी मिश्रा ने कहा- लेकिन हमारा रेस्पॉन्स करप्शन में बहुत कठोर रहता है। एसीबी पुलिस का ही एक अंग है। एसीबी का एक्शन होता है, जो आप देखते हैं। पुलिस के पास एसीबी का पावर नहीं है, इसलिए हम एसीबी वाली कार्रवाई नहीं करते हैं। लेकिन हमारा डिसिप्लीनरी एक्शन होता है, उसमें कहीं कोई रियायत नहीं होती है। हमारा बड़ा कठोर रूप रहता है, जो आपके सामने है। सबसे ज्यादा डिपार्टमेंटल एक्शन होता है, तो पुलिस डिपार्टमेंट में होता है।
कभी नहीं लगा कि कोई व्यवधान आता है। कभी कोई राजनीतिज्ञ ये नहीं कहता है कि ये अपराधी है इसे छोड़ दो, इसे मत पकड़े। ऐसा कभी नहीं हुआ है। मैं तो अपनी बात कह सकता हूं। मैंने ऐसा अनुभव किया है, तो बाकी पुलिस अधिकारी भी अनुभव कर रहे हैं। पुलिस अधिकारी या कर्मचारी में कोई कमी होगी, तो पत्रकार भी हावी हो जाएंगे और जनता भी हावी हो जाएगी। पॉलिटिशियन अपनी जगह है।
महिला अत्याचार में 47 फीसदी, रेप केस 41 फीसदी झूठे
2021 के मुकाबले 2022 में 11 फीसदी से ज्यादा अपराध का ग्राफ प्रतिशत बढ़ने को डीजीपी उमेश मिश्रा ने तर्क-दोष बताया। उन्होंने कहा- क्राइम बढ़ रहा है ये कैसे कह सकते हैं। रजिस्ट्रेशन बढ़ रहा है, ये कहना चाहिए। क्राइम का रजिस्ट्रेशन बढ़ा है इसलिए ग्राफ 11 प्रतिशत से ऊपर आया है।
अगर क्राइम कुछ बढ़ता है, तो इसमें अस्वाभाविक क्या है?
डीजीपी मिश्रा बोले- अगर क्राइम भी कुछ बढ़ता है, तो इसमें अस्वाभाविक क्या है ? जनता में आर्थिक गतिविधि बढ़ रही है। जनसंख्या बढ़ रही है। शहरीकरण बढ़ रहा है। ट्रांसपोर्ट और कम्युनिकेशन बढ़ रहा है। अपराध बढ़ भी रहा है ,तो इसमें क्या अस्वाभाविक है।
महिला अत्याचार में 47 फीसदी, रेप केसों में 41 फीसदी मामले झूठे
डीजीपी ने कहा- महिला अत्याचार में इन्वेस्टिगेशन के बाद 47 फीसदी मामले झूठे पाए गए हैं। इसी तरह रेप के केसों में 41 फीसदी झूठे पाए गए हैं। इन्हें डिसकाउंट करेंगे तो आंकड़े सामने आ जाएंगे।
आरपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक के आरोपियों के पुलिस कार्रवाई से पहले ही फरार होने और पकड़ में नहीं आने के सवाल पर डीजीपी मिश्रा ने कहा- बिना इंवेस्टिगेशन के हम किसी कंक्लूजन पर नहीं पहुंच सकते हैं। जांच में जो भी फैक्ट सामने आएंगे। उनके आधार पर जो भी एक्शन होगा, वो बहुत जल्द और तेजी से लिया जाएगा। दीमक कहां लगा है, इसका नतीजा अभी नहीं दे सकते हैं। इंवेस्टिगेशन के फैक्ट सामने आने के बाद ही हम कह पाएंगे कि सारण और ढाका कहां से मिले। उन्हें गिरफ्तार होने दें, अभी हड़बड़ी मत करें।
आमजन का सम्मान, जीवन, सम्पत्ति की सुरक्षा हमारी ड्यूटी
डीजीपी ने कहा- राज्य में जनता के सम्मान, जीवन और सम्पत्ति की सुरक्षा करना और जवाबदेह, पारदर्शी, संवेदनशील पुलिस-प्रशासन देना हमारा लक्ष्य है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए साइबर क्राइम, एनडीपीएस के तहत आने वाले मादक पदार्थ, अवैध हथियारों से जुड़े पेशेवर और आदतन अपराधियों, भू-माफियाओं पर कड़ी निगरानी और कठोर कानूनी कार्रवाी करना हमारी प्राथमिकताओं में शामिल है। विशेषकर महिलाओं, बच्चों, कमजोर वर्गों की सुरक्षा और उनकी समस्याओं जल्द समाधान करने के लिए थानों में जन- केन्द्रित सुविधाओं, स्वागत कक्ष का विकास और जन सुनवाई के लिए तय समय की व्यवस्था की गई है।
वीकली ऑफ व्यवस्था शुरू
डीजीपी ने कहा कि चुनौतियों का सामना करने के लिए जहां एक ओर पुलिसकर्मियों के टेक्नीकल स्किल वर्क में बढ़ोतरी की कोशिश की जा रही है। वहीं दूसरी ओर उनके कल्याण के लिए वीकली ऑफ की व्यवस्था भी शुरू की गई है। प्रो-एक्टिव पुलिसिंग के जरिए अपराधियों पर शिकंजा कसा है।
चाहे उदयपुर मे कन्हैयालाल की हत्या और उससे जुड़ी कानून व्यवस्था हो या जावर माइन्स की औड़ा गांव रेल्वे लाइन को अज्ञात अपराधी तत्वों की ओर से विस्फोटक से क्षति ग्रस्त करने की सनसनीखेज घटना हो। इसी तरह बीमा राशि के लालच में षडयन्त्रपूर्वक दुर्घटना का रूप देकर अपनी पत्नी और साले की हत्या करने का गंभीर मामला हो या फिर राजू ठेठ की हत्या का मामला हो, पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मामलों का जल्द खुलासा किया और आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी की है।
डीजीपी मिश्रा ने बताया कि जून 2019 से प्रदेश में अपराधों के “निर्बाध पंजीकरण” को राजस्थान सरकार ने महत्व दिया। इस इवोवेशन के अब पॉजिटिव रिजल्ट मिले हैं। जैसे साल 2018 में दुष्कर्म के 30.5 प्रतिशत मामले कोर्ट के माध्यम से दर्ज होते थे, जो अब घटकर मात्र 14.4 प्रतिशत रह गए हैं। साल 2020 से 2022 तक 45 डि-कॉय ऑपरेशन किए गए। थानों में बिना रुकावट एफ.आई.आर. हो रही है या नहीं यह भी देखा जा रहा है।
साथ ही पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में एफआईआर रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है। जिसके तहत जून 2019 से 2022 तक 336 केस दर्ज किए गए। जिसमें से 18 मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं करने वाले अधिकारियों पर खिलाफ कार्रवाई की गई है। सभी पुलिस थानों और ऑफि में प्रतिदिन जनसुनवाई का समय तय किया गया। इसकी पालना भी सुनिश्चित कराने के लिए अभी तक 21 डि-कॉय ऑपरेशन किए गए हैं।
मध्यप्रदेश दुष्कर्म में पहले स्थान पर है
डीजीपी ने कहा-एक गलत धारणा यह भी है कि राजस्थान दुष्कर्म के मामलों में भारत में पहले स्थान पर है। जबकि सच्चाई यह है कि पहला स्थान मध्यप्रदेश का और दूसरा स्थान राजस्थान का है। साथ ही राजस्थान के दूसरे स्थान पर होने का कारण “निर्बाध पंजिकरण” है, ना कि दुष्कर्म के घटनाओं की तुलनात्मक अधिकता। क्योंकि राजस्थान में कुल दर्ज केसों के 41 प्रतिशत अप्रमाणित पाए जाते हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 8 प्रतिशत है।
तुलना करें तो एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार दुष्कर्म केसों में राजस्थान का सजा प्रतिशत 47.9 है, जो कि राष्ट्रीय स्तर के सजा प्रतिशत 28.6 से काफी ज्यादा है। सजा प्रतिशत के अनुसार महिला अत्याचार के प्रकरणों में राजस्थान बड़े राज्यों में चौथे स्थान पर है। राज्य में महिलाओं के खिलाफ दर्ज मामलों में साल 2018 में औसत अनुसंधान समय 211 दिन था, वह 2022 में मात्र 69 दिन ही रह गया है।
नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में राजस्थान का 12वां स्थान है। पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु है। पेंडिंग मामले में राष्ट्रीय औसत 24.9 है, जबकि राजस्थान की 10.4 है। वहीं सजा प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 32.0 है ,जबकि राजस्थान की 48 प्रतिशत है।
डीजीपी ने बताया- प्रदेश में अभी तक कुल 915 थानों में से 841 थानों में स्वागत कक्ष का निर्माण हो चुका है। जबकि 2 थानों में निर्माण कार्य चल रहा है। कुल 843 पुलिस थानों में स्वागत के लिए जमीन उपलब्ध है। राजस्थान पुलिस को यह भी निर्देशित किया गया है कि थानाधिकारी से पुलिस अधीक्षक तक सभी अधिकारी दोहपर 12 बजे से 1.30 बजे तक अनिवार्य रूप से जन सुनवाई करेंगे। शिकायत मिलने पर जल्दी और प्रभावी कार्यवाही करेंगे। हर सर्किल लेवल पर एक-एक पुलिस थाने को आदर्श पुलिस थाने के रूप में विकसित कर राज्य में कुल 229 आदर्श पुलिस थानों को सेलेक्ट किया गया है।