उदयपुरवाटी : Panther झुंझुनूं में पैंथर के घर आए नन्हे मेहमान

उदयपुरवाटी : राजस्थान के झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी के जंगलों से अच्छी खबर आई है। लोहार्गल के निकट नारी का नाका क्षेत्र में पैंथर के दो शावकों के पग मार्क मिले हैं। पर्ग मार्ग के अनुसार यह शावक एक से दो माह के लग रहे हैं। दो शावकों के साथ ही जिले में पैंथरों का कुनबा बढऩे लगा है। वहीं कैमरे में मादा पैंथर गर्भवती नजर आ रही है। उदयपुरवाटी क्षेत्र में पैंथरों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा बाहर से भी पैंथर यहां छोड़े जा रहे हैं।खेतड़ी उपखंड के बांशियाल कंजर्वेशन रिजर्व क्षेत्र में पैंथरों की संख्या बढ़ती जा रही है। वन्य जीव गणना में उसरिया के नीमला जोहड़ व अन्य जगह चार पैंथर नजर आए थे। पूरे जिले में कुल नौ पैंथर गणना में आए थे। इसके बाद जयपुर व अन्य जगह से भी पैंथर लाकर यहां छोड़े जा चुके हैं। यहां की आबोहवा पैंथर को खूब रास आ रही है। मनसा माता की पहाडिय़ों में 10 नवम्बर 2021 की देर रात्रि अजीतगढ़(सीकर)से एक निजी कॉलेज से रेस्क्यू कर लाए पैंथर को छोड़ा गया।
अगले वर्ष पैंथर सफारी शुरू होगी
उप वन संरक्षक राजेन्द्र हुड्डा ने बताया कि अभी तक हवेलियां, फे्रस्को पेंङ्क्षटग व माटी के धोरे देखने आने वाले पर्यटक अब पैंथर के भी दीदार कर सकेंगे। यहां जल्द ही पैंथर सफारी शुरू की जाएगी। पैंथर के लिए यहां भोजन भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। पैंथर सफारी की तैयारी चल रही है। अगले साल तक यह शुरू हो जाएगी।
खेतड़ी में अभयारण्य में कार्य अंतिम चरण में
इधर मनसा माता कंजर्वेशन रिजर्व को लेपर्ड कंजर्वेशन एरिया के रूप में विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी गई है । वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत राजस्थान सरकार ने 102.31 वर्ग किमी वन भूमि को वन्य जीवों के लिए संरक्षित किया था। इस के लिए मनसा की पहाडिय़ां, खोह बागोरा, कांकरिया मैन, धनावता, जैतपुरा, भोजगढ़, पौंख, किशोरपुरा सहित वन क्षेत्र इलाके में चार दीवारी बनाकर पेयजल व्यवस्था व अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है। वन विभाग राजस्थान सरकार के द्वारा 18 नवंबर 2019 में मिली 10 वर्षीय प्रबंध योजना को स्वीकृति के बाद अपना प्लान तैयार कर रहा है।
झुंझुनूं. मनसा माता कन्जर्वेशन रिजर्व स्थित भोजगढ़ वन क्षेत्र में एक पानी के कुंड के निकट रात को दो पैंथर नजर आए। क्षेत्रीय वन अधिकारी रणवीर शेखावत ने बताया कि ट्रैप कमरों से दस से बीस मीटर तक के रैंज की गतिविधि रिकॉर्ड हो जाती है। पैंथरों के लिए यहां पानी की व्यवस्था की गई है ताकि वन्य जीव गांवों में नहीं जाएं। पैंथर यहां पानी पीने के लिए आए थे। उन्होंने बताया कि जिले में पैंथरों की संख्या एक दर्जन से ज्यादा हो गई है।
खेतड़ी के बीलवा,उसरिया की ढाणी, समदेड़ा तालाब क्षेत्र, पांडेता भैरू मंदिर व अन्य क्षेत्र में पैंथरों ने अपना टैरेटरी क्षेत्र बना लिया है।
एक्सपर्ट व्यूपिछले दिनों लोहार्गल के निकट नारी का नाका में एक मादा पैंथर व दो शावकों के पग मार्क मिले हैं। इससे लग रहा है जिले में पैंथर का कुनबा बढ़ रहा है।

रणवीर शेखावत, क्षेत्रीय वन अधिकारी, उदयपुरवाटी

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