सीकर-झुंझुनूं के 1135 गांव-ढाणियों के पेयजल पर केंद्र का अड़ंगा

सीकर और झुंझुनूं के 1135 गांव-ढाणियों की पेयजल की उम्मीद फिर सरकारी पेंच में उलझ गई है। पिछले साल बजट में मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ ही सीकर और झुंझुनूं के लोगों की उम्मीद जगी थी कि इस बार प्रोजेक्ट का काम शुरू हो जाएगा। इसके लिए दो बार डीपीआर भी बन गई। एक बार मामला बजट और तकनीकी स्वीकृति में उलझ गया और अब केन्द्र सरकार की समिति में प्रोजेक्ट अटक गया है। इस वजह से प्रोजेक्ट का अनुमोदन नहीं हो पा रहा है। बिना अनुमोदन के राज्य सरकार की ओर से काम शुरू नहीं कराया जा सकता है। इस प्रोजेक्ट को लेकर हर चुनाव में सभी दलों की ओर से दावे किए जाते है। लेकिन अभी तक प्रोजेक्ट का काम शुरू नहीं हो सका। भाजपा की ओर से पहले ही कुम्भाराम लिफ्ट पेयजल योजना को लेकर कांग्रेस को घेरा जा रहा है। लेकिन अब केन्द्र सरकार स्तर पर प्रोजेक्ट का अनुमोदन नहीं होने से कांग्रेस भी सियासी हमला कर सकती है।

प्रोजेक्ट की राह में यह दिक्कत, पहले जल जीवन मिशन को बजट
केन्द्र सरकार की समिति के कुम्भाराम लिफ्ट परियोजना को लेकर अपने तर्क है। केन्द्र सरकार जल जीवन मिशन के कार्यो की वजह से डीपीआर पर आपत्ति उठा रहा है। ऐसे में इस योजना की डीपीआर में एक बार फिर से बदलाव हो सकता है।

परेशानी: श्रीमाधोपुर में 48 से 72 घंटे पेयजल सप्लाई
वर्तमान में लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर व रामगढ़ शेखावाटी के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र को आंशिक रूप से सतही पेयजल परियोजना से भी लगभग 17-20 एमएलडी पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। इधर, शहरी जल प्रदाय योजनाओं से शहरी क्षेत्र में आठ कस्बों को 24 घंटे के अंतराल में तथा कस्बा श्रीमाधोपुर एवं खंडेला कस्बे में 48-72 घंटे के अंतराल में पेयजल आपूर्ति की जा रही है। ग्रामीण जल प्रदाय योजनाओं में जनता जल योजना एंव टीएसएस जल योजनाओं का संचालन एवं संधारण संबंधित ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जा रहा हैं। जिले के 1162 गांवों में पाईप्ड योजना से 104, क्षेत्रीय जल योजना से 40, पंप व टेंक योजना से 216, टीएसएस योजना व जनता जल योजना से 594 और हैण्डपंप योजना से 208 गांव जुड़े हुए हैं। जिले में कुल 6 लाख 65 हजार 581 घर चिंहित किए हुए हैं।

राहत: 1 लाख 18 हजार 426 घरों में नल कनेक्शन

अब तक 1 लाख 18 हजार 426 घरों में नल कनेक्शन हो चुके हैं। ग्रामीण पाईप्ड योजनाओं के अलावा 541 गांवों की अनुमानित लागत 656.38 करोड़ की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृतियां प्राप्त हो चुकी हैं। जिले में कुल 864 ट्यूबवैल स्वीकृत हैं। जिनमें से 733 की खुदाई भी हो चुकी है। साथ ही जिले में कुल 207 एसआर टंकियां स्वीकृत हैं, जिनमें से 94 का काम चल रहा है।

8798.42 करोड़ की स्वीकृति जारी

आठ जुलाई को हुई राज्य स्तरीय समिति (एसएलएसएससी) की 33 वीं बैठक में बजट की प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति जारी करने पर चर्चा की गई। बैठक में 8798.42 करोड़ की स्वीकृति जारी की गई।

आगे क्या: झुंझुनूं जिले से दो लाइन अलग बिछेगी
कुम्भाराम लिफ्ट पेयजल योजना के तहत झुंझुनूं जिले से दो पेयजल लाइन अलग-अलग बिछाई जानी प्रस्तावित है। पहली लाइन झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के गावों में जाएंगी। जबकि दूसरी लाइन सीकर जिले के श्रीमाधोपुर, खंडेला व नीमकाथाना क्षेत्रों में जाएगी। इसी लाइन के जरिए सीकर, दांतारामगढ़ व धोद विधानसभा क्षेत्र में पानी आना है।

30 साल से इलाके में पानी सबसे बड़ी समस्या

सीकर जिले के 800 से अधिक गांवों में पिछले 30 सालों से पेयजल ही सबसे बड़ी समस्या है। इसलिए हर विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा गूंजता रहा। कांग्रेस सरकार की ओर से पिछले कार्यकाल में मलसीसर इलाके में भी इंदिरा गांधी नहर का पानी पहुंचाया था। भाजपा राज में भी इस प्रोजेक्ट की घोषणा की गई थी। लेकिन आचार संहिता के फेर में योजना अटक गई थी।

सरकार ने जेआईसीए से लिया लोन
कुम्भाराम लिफ्ट पेयजल योजना की कुल लागत लगभग 8 हजार 780 करोड़ रुपए आएगी। इसके लिए सरकार ने जेआईसीए से लोन लिया है। इसकी प्रशासनिक व वित्तिय स्वीकृति भी जारी हो चुकी है। सरकार की ओर से कुम्भाराम लिफ्ट पेयजल योजना के जरिए सीकर जिले की जनता को फिलहाल इंदिरा गांधी नहर के पानी की सप्लाई की जाएगी। लेकिन भविष्य में यमुना का पानी भी मिलने की आस है।

आस: सीकर के 6 विधानसभा क्षेत्रों के 844 गांव व 13 कस्बों को मिलेगा फायदा

इस योजना के तहत धोद, सीकर, खंडेला, दांतारामगढ़, श्रीमाधोपुर व नीमकाथाना विधानसभा क्षेत्र के 844 गांव-ढाणियों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा। इस योजना के तहत अब तक सूरजगढ़ इलाके में काम पूरा हो चुका है। जबकि सीकर की योजना से चिड़ावा व नवलगढ़ इलाके के 269 गांव व 5 कस्बों को भी फायदा मिलेगा।

लक्ष्मणगढ़ व फतेहपुर के प्रोजेक्ट से अलग
लक्ष्मणगढ़ व फतेहपुर के गांवों में मीठा पानी पहुंच चुका है। कुम्भाराम लिफ्ट पेयजल परियोजना की शुरूआती डीपीआर में बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए मलसीसर व लक्ष्मणगढ़ व फतेहपुर के प्रोजेक्ट से अलग लाइन बिछाई जाएगी, जिससे नहरबंदी के समय लोगों को परेशानी नहीं हो।

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