उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज सोमवार को पेहोवा स्थित डेरा सिद्ध बाबा गरीबनाथ मठ में आयोजित आठमान, बत्तीस धुनी व शंखाढाल भण्डारा कार्यक्रम में उपस्थित हुए। जहां देशभर से पधारे संतों और भक्तजनों को संबोधित करते हुए उन्होंने सभी को प्रयागराज महाकुंभ में आमंत्रित किया साथ ही कहा कि सनातन धर्म का ये सबसे बड़ा आयोजन पिछले सभी कुंभों से ज्यादा विराट और भव्य होगा।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हरियाणावासियों ने प्रदेश में डबल इंजन की सरकार को फिर से चुनकर भगवान श्रीकृष्ण के उद्घोष ‘परित्राणाय साधुनाम, विनाशाय च दुष्कृताम’ को सिद्ध करके दिखा दिया है। हरियाणा वालों ने दिखा दिया है कि जनता का जनार्दन रूप कैसा होता है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सज्जन शक्ति का संरक्षण और दुर्जन शक्ति को रसातल में पहुंचाना ही परम कर्तव्य है। उन्होंने धर्म के दो हेतुओं अभ्युदय और नि:श्रेयस की चर्चा करते हुए कहा कि अभ्युदय का पालन किये बिना नि:श्रेयस की प्राप्ति संभव नहीं है। धर्म के दो हेतु हैं, पहला है अभ्युदय का और दूसरा नि:श्रेयस का। अभ्युदय का अर्थ सांसारिक उत्कर्ष है, जिसमें हम अपने सामर्थ्य के अनुसार अपनी ऊर्जा को लोककल्याण के साथ जोड़ते हैं।
इसके लिए हमें सही फैसला लेना होगा। धार्मिक क्षेत्र में अच्छे संत चाहिए होंगे। विकास के लिए सही लोग चुनने होंगे। अच्छे लोगों को चुनेंगे तो परिणाम भी अच्छा आएगा। हरियाणा के लोगों ने अच्छा फैसला किया है। ये भगवान श्रीकृष्ण के कर्मयोग की धरा है। जिन लोगों ने बुरा किया उनका परिणाम भी बुरा ही होगा। दूसरा हेतु है नि:श्रेयस का। एक योगी या सद्गृहस्थ अपने अभ्युदय को विस्मृत करके कभी नि:श्रेयस की प्राप्ति नहीं कर सकता। जब सांसारिक उत्कर्ष के लिए निष्काम भाव से काम करेंगे तो परिणाम हमें इसी रूप में देखने को मिलेगा। ये इस लोक में विकास के साथ लोकमंगल की कामनाओं की सिद्धि का आधार तो तय करेगा ही, इसके बाद वह हमारी मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
यही धर्म की दो कामनाएं हैं। इन्हीं कामनाओं को लेकर प्राचीन काल से संतों का समागम होते रहे हैं। समय समय पर इस धरा धाम को उपकृत करने वाले दैवीय महापुरुषों के माध्यम से जो विशिष्ट घटनाएं घटित हुईं वही हमारे पर्व और त्यौहार बन गये।