आखिर पलायन कब तक का स्पेशल स्क्रीनिंग पिछले दिनों दिल्ली के पीवीआर सिनेमा हॉल में संपन्न हुआ। इसमें भाजपा नेता हरनाथ सिंह यादव, सोहनी कुमारी, निर्देशक मुकुल विक्रम, भूषण पटियाल एवं चितरंजन गिरी शामिल हुए।
इस अवसर पर भाजपा नेता हरनाथ सिंह यादव ने बताया कि यह एक सही घटना पर आधारित फिल्म है मैंने पार्लियामेंट में भी इस मुद्दे को उठाया था। किस तरह से वफ बोर्ड द्वारा जमीनों का कब्जा किया जा रहा है, उन्होंने तमिलनाडु के गांव का उदाहरण देते हुए बताया कि पूरे गांव पर एक समुदाय द्वारा कब्जा कर उन्हें वहां से निकलने का प्रयास किया गया। इसी तरह से सैकड़ो घटनाएं हैं निर्माता एवं एक्टर सोहनी कुमारी ने बताया कि मैं राजस्थान से हूं और मैं ऐसी बहुत सारी घटनाएं देखी है जिसमें एक समुदाय द्वारा जमीन कब्जा करने के वजह से लोगों को पलायन करना पड़ा उसी को ध्यान में रखकर एक सच्ची घटना को आधार बनाकर मैंने यह फिल्म बनाई है।
सोहनी कुमारी और अलका चौधरी द्वारा निर्मित इस फिल्म के लेखक व निर्देशक मुकुल विक्रम हैं। एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म ‘आखिर पलायन कब तक’ की कहानी दो समुदाय के बीच धार्मिक उन्माद की वजह से हो रही हत्याओं, थाने में तैनात एक पुलिस इंस्पेक्टर, एक लापता परिवार और उसके चार सदस्यों और कई अन्य रोमांचक स्थितियों के इर्द-गिर्द घूमती है। यह फिल्म असल में कश्मीरी पंडितों के मुस्लिम ‘मोहल्ले’ में रहने के घातक और भयानक अनुभवों को उजागर करती है। किस तरह से अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदाय एक दूसरे के प्रति नफरत और द्वेष रखते हैं।
किस तरह से एक दूसरे को दबाने, डर का माहौल पैदा कर एक दूसरे को बेइज्जत करने के लिए अलग-अलग हथकंडे इस्तेमाल करते हैं। यही इस फिल्म में बताने का प्रयास किया गया है। इस फिल्म में राजेश शर्मा, भूषण पटियाल, गौरव शर्मा, चितरंजन गिरी, धीरेंद्र द्विवेदी और सोहनी कुमारी की मुख्य भूमिका है। ‘आखिर पलायन कब तक’ उन सभी सिनेमा प्रेमियों के लिए ट्रीट होगी, जो यथार्थवादी सिनेमा देखना पसंद करते हैं। यह फिल्म जीवन और समाज की वास्तविक घटनाओं से प्रेरित है।