सीकर-खूड़(सामी) : ससुराल पक्ष की ओर से दहेज के लिए लाठियों से पीटकर मारी गई सामी गांव की बेटी संगीता जाखड़ के परिजनों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर सोमवार को सीकर में कैंडल मार्च निकाल कर कलेक्टर को ज्ञापन दिया जाएगा। सामी सरपंच सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि गांव की बेटी के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए सर्वसमाज उनके साथ है। सात अगस्त को शाम पांच बजे रानी सती सर्किल पहुंचेंगे और कैंडल मार्च निकाल कर कलेक्टर को ज्ञापन देकर आरोपियों को कड़ी सजा दिलाने में मांग करेंगे। विवाहिता के परिजनों का कहना है आरोपियों को कड़ी सजा दी जाए, ताकि अन्य लोग भी ऐसा अपराध करने से डरें।
संगीता_जाखड़ को न्याय मिले।।
“अब किये हो दाता ऐसा ना की जो,
अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो!
सीकर जिले के खूड़ के निकटवर्ती ग्राम पंचायत सामी में आज से करीब तीन एक महिने पहले एक पिता पेपाराम जाखड़ ने अपनी बेटी का विवाह एक सम्पन्न से दिखाई देने वाले परिवार में किया उसे क्या पता था जो परिवार नौकरी-पेशा, खेती-बाड़ी में सम्पन्नता लिए है मानसिक बौद्धिक बौनापन लिए हुए है… लेकिन मानसिक बौनेपन का सबूत विवाह का पन्द्रह दिन में दिखाई देने लगा जब बेटी को ससुराल में असहजता महसूस होने लगी…यही असहजता धीरे धीरे विकराल रूप धारण करती गई और काल रूप लेते हुए मौत तक पहुंच गई… विवाह भारतीय संस्कृति में सात जन्मों का पवित्र रिश्ता होता है जिसमें एक साथ जीने मरने की कसमें वादे के साथ एक साथ रहना होता है लेकिन भौतिकवादी और आतंकी सोच थामे कुछ असामाजिक तत्व इसे महज उपभोग की वस्तु ही समझते हैं…
“हमारे सजनवा हमारा दिल ऐसा तोड़न
वह घर बसायन हमका रस्तामा छोडन,
जैसे कि लल्ला कोई खिलौना जो पावे
दो चार दिन तो खेलन फिर भूल जावे,
रो भी ना पावे ऐसी गुड़िया ना कीजो
अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो।।”
ग्राम पंचायत सामी के जाट परिवार में पेपाराम जाखड़ के घर जन्मी संगीता_जाखड़ चार भाई बहनों में सबसे बड़ी थी। छोटी बहन निकटवर्ती ग्राम पंचायत सांगलिया में थालोड़ परिवार में विवाहिता है। वहीं एक छोटा भाई उत्तर प्रदेश में सिविल आर्मी में कार्यरत हैं तो एक छोटा भाई पढ़ाई कर रहा है। संगीता के पिता पेपाराम जाखड़ करीब 20 वर्षों से निजी शिक्षण संस्थाओं में शिक्षण कार्य संपादित कर रहे थे लेकिन विगत वर्षों संविदा कर्मी के रूप में पंचायत सहायक पद पर नियुक्त हुए जिन्हें विगत साल स्थाई करने की घोषणा राज्य सरकार द्वारा की गई। 27 वर्षीय संगीता स्वयं ग्रेजुएट रही थी।संगीता जाखड़ का विवाह 22 अप्रैल 2023 को सतपाल भामू पुत्र सीताराम भामू निवासी अनोखू (धोद ) से किया गया। संगीता के ससुर शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार में वरिष्ठ शिक्षक पद पर कार्यरत हैं और दादा ससुर मदनलाल भामू भी प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त पेंशनर है 70 बिघा कृषि भूमि है यानी भौतिक रूप से देखा जाए तो अच्छा खासा परिवार नजर आता है।
खुशी खुशी बेटी को अलविदा कहने वाले जाखड़ परिवार की खुशियों को कोई पंद्रह दिन बाद ग्रहण लग गया। विकृत मानसिकता लिए सतपाल संगीता को परेशान करने लगा। परम्परा अनुसार नये परिवार में समायोजन की दुहाइयां देकर मामले को शांत करने के लिए फोन किए जाने लगे लेकिन सब ठीक नहीं हो पा रहा था। संगीता जाखड़ अपनी छोटी बहन को अपनी व्यथा बताने लगी थी।
22 अप्रैल 2023 को विवाह से लेकर 27 जुलाई 2023 तक करीब तीन महीने में नवविवाहिता को पीहर में 7-8 दिन ही छोड़ा। राजस्थानी संस्कृति के अनुसार विवाह के बाद पहले सावन सास बहू एक साथ नहीं रहती है। यानी पहला सावन पीहर में ही बिताया जाता है। फिर भी यहां तो सांस्कृतिक और सामाजिक परम्पराओं को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा था उपभोक्तावादी संस्कृति ही सब कुछ थी। मृत्यु के दो पांच दिन पहले घूमने फिरने के उद्देश्य से यह दंपति मेवाड़ के उदयपुर मांउट आबू जैसे पर्यटन स्थलो की ओर बढ़ा जहां साथ में एक और दंपति भी था और एक दो अन्य लोग भी थे। पर्यटन के दौरान संगीता जाखड़ बेहद असहज थी। बार-बार अपनी बहन को असुरक्षित होने की जानकारी दे रही थी। 27 तारीख को जब देर शाम घर पहुंचे तब भी फोन पर किसी अनहोनी होने की संभावना के चलते अपनी बहन को फोन किया था। घटना के दिन जब बहन का फोन संगीता और सतपाल भामू ने नहीं उठाया तो छोटी बहन को चिंता सताने लगी। जब सतपाल के छोटे भाई राजपाल भामू को फोन किया तो उसने उठाया और बताया कि तबियत ठीक नहीं है कोई ग्लूकोज चढ़वाया जा रहा है लेकिन फौन में बचाने की आवाज जो सुनाई दे रही थी उसने बहन को अनहोनी का संकेत दिया। अपने पिता पेपाराम जाखड़ को इस बारे में बताया तो वह तुरंत मोटरसाइकिल लेकर बेटी के ससुराल अनोखू पहुंचा। वहां देखा तो संगीता के दादा ससुर मदनलाल भामू ही मौजूद था जो बेरूख़ी लिए बातचीत की। फिर वापस लोटकर निकटवर्ती पड़ौसियो से इस संबंध में जानकारी मांगी तो बताया कि अभी-अभी कोई गाड़ी तो निकली है बाकी पता नहीं। स्वास्थ्य की बात तो सुनी ही थी लिहाज़ा निकटवर्ती सामुदायिक केंद्र धोद गया तो गाड़ी को देखकर पहचान गया। जिसमें अंदर झांका तो बेटी को पड़ा देखा, और उनके परिवार जनों द्वारा धक्का मुक्की किए जाने पर अकेला होने पर निकट ही स्थित पुलिस थाने चला गया और अनहोनी का जिक्र किया। पुलिस ने तुरंत ही कार्रवाई करते हुए गाड़ी को जब्त कर लिया और अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया। पोस्टमॉर्टम के लिए पहले लोसल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाये लेकिन परिजनों के दबाव के चलते पोस्टमॉर्टम जिला मुख्यालय स्थित श्री कल्याण कोलेज एंड हॉस्पिटल में करवाया गया। पीहर पक्ष को शव सुपुर्द कर दिया जहां सामी में अंतिम संस्कार किया गया।
शव पर लगे चोट के निशान मारपीट के चलते मृत्यु के संकेत दे रहे थे वहीं बताया जा रहा है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी कुछ इसी तरह का संकेत दे रही है। एस एफ एल टीम जयपुर के द्वारा घटनास्थल की फोटोग्राफी और सबुत इकट्ठे किए, साथ ही घटना पूर्व परिजनों से बातचीत के कुछ ओडियो क्लिप भी इस अनुसंधान में सहायक सिद्ध होंगे लेकिन न्याय की सामाजिक मांग भी बेहद ज़रूरी हिस्सा होती है यदि यह नहीं होता है तो सबुत छुपाए जा सकते हैं और पूर्ण न्याय भी संभव नहीं होता है।
इस घटनाक्रम को लेकर लोगों में आक्रोश भी है और त्वरित कार्रवाई के साथ निष्पक्ष जांच करवाएं जाने की मांग है। न्याय पाने की कामना लिए परिजनों तथा सामाजिक संगठनों द्वारा लिहाजा 7 अगस्त 2023 को जिला मुख्यालय सीकर में कैंडल मार्च निकाले जाने का कार्यक्रम रखा गया है। ऐसे में कैंडल मार्च में अधिकाधिक संख्या में लोगों को पहुंचकर बेटी संगीता जाखड़ को न्याय और अपराधियों पर शीघ्र कार्रवाई करवाएं जाने के लिए पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाए जाने में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए ।
“ऐसी विदाई बोलो देखि कही है
मइया ना बाबुल भैया कोनो नहीं है,
आंसु के गहने है और दुःख की है डोली
बंद किवारिया मोरे घर की ये बोली
इस और सपने भी आया ना कीजो
अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो।।”
जनमानस शेखावाटी, संगीता जाखड़ को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए समुचित न्याय की मांग करते हैं।