नई दिल्ली : मणिपुर की हिंसा के दौरान महिलाओं से हुई हैवानियत के खिलाफ संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पूरे देश में जबरदस्त आक्रोश जाहिर करते हुए गुनहगारों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की एक सुर से आवाज उठाई गई। महिलाओं से हैवानियत के वायरल हुए वीडियो से सामने आयी घटना को देश और मानवता के लिए कलंक बताते हुए विपक्षी दलों ने संसद के मानसून सत्र के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस पर तत्काल दोनों सदनों के भीतर बयान देने की मांग करते हुए हंगामा किया।
मानसून सत्र के लगातार दूसरे दिन शुक्रवार को भी मणिपुर मसले पर संसद में हंगामे के ही आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि सरकार और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने रुख पर अडिग है. शुक्रवार को कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और मणिकम टैगोर ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग करते हुए लोक सभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है. तो वहीं राज्य सभा में कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल, आरजेडी सांसद मनोज झा और आप सांसद संजय सिंह सहित कई अन्य विपक्षी सांसदों ने मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की मांग करते हुए लोक सभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है.
सदन शुरू होने से पहले कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि मणिपुर में पिछले 77 दिन से अराजकता का माहौल बना हुआ है. अगर ये कहा जाए कि वहां पर सरकार और प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है तो ये गलत बात नहीं है. मानसून सत्र मैं पीएम मोदी का ये दायित्व होना चाहिए कि इस विषय पर वो सदन के समक्ष बोले. सवाल ये है कि पिछले 78 दिन मणिपुर में जो हो रहा है उसका जिम्मेदार कौन हैं? इसलिए विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव के तहत मांग की है कि दोनों सदनों में इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए. हमारी मांग है कि पीएम सदन के बाहर बोल सकते हैं तो सदन के अंदर क्यों नहीं बोल सकते?
वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि नए-नए तरीके से चर्चा को रोकना और बहस करना ये बिल्कुल गलत है.पीएम मोदी के नेतृत्व में हम सार्थक चर्चा करना चाहते हैं इसलिए वो सहयोग करें लेकिन वे चर्चा ही नहीं करना चाहते हैं। वे हर बार ऐसे मुद्दे लाते हैं जिसमें मुद्दा नहीं रहता है. वहीं, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि विपक्ष बार-बार अपना विचार बदल रहा है.सरकार मणिपुर पर चर्चा करने के लिए तैयार है. मैं विपक्ष से अनुरोध करता हूं कि ये बहुत संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. ये महिलाओं के सम्मान से जुड़ा हुआ मुद्दा भी है.
विपक्ष मणिपुर के मसले पर सदन के अंदर प्रधानमंत्री के जवाब या बयान की मांग पर अड़ा हुआ है. जबकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार मणिपुर पर दोनों सदनों में चर्चा के लिए तैयार हैं. अध्यक्ष जब भी समय देंगे सरकार चर्चा के लिए तैयार है. सरकार का यह भी कहना है कि चूंकि इस तरह के मामलों की नोडल एजेंसी गृह मंत्रालय होता है, इसलिए मणिपुर पर चर्चा के बाद गृह मंत्री अमित शाह जवाब देंगे. प्रधानमंत्री के बयान की मांग करके विपक्ष जानबूझकर चर्चा से भागने का और सदन को बाधित करने का बहाना ढूंढ रहे हैं.
सरकार के सूत्र यह भी बता रहे हैं कि गृह मंत्रालय की तरफ से सत्र शुरू होने से पांच दिन पहले ही लोक सभा अध्यक्ष और राज्य सभा सभापति को यह लिखकर बता दिया गया है कि सरकार सदन में मणिपुर पर चर्चा के लिए तैयार है।
मणिपुर हिंसा पर तत्काल बहस की मांग
संसद के दोनों सदनों में सभी कामकाज रोक सबसे पहले मणिपुर हिंसा पर तत्काल बहस की मांग करते हुए विपक्ष ने केंद्र और मणिपुर सरकार को विफल बताते हुए कठघरे में खड़ा किया। वहीं सरकार ने मणिपुर पर चर्चा कराने के लिए राजी होने की बात कहते हुए विपक्ष पर हंगामा कर सदन नहीं चलने देने का आरोप लगाया। मणिपुर पर उबाल को देखते हुए मानसून सत्र के पहले दिन ही सरकार और विपक्ष का टकराव तीखा हो गया और दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चल पायी।
विपक्ष के नेताओं की बैठक
26 विपक्षी दलों के नए गठबंधन इंडिया के गठन के बाद सदन शुरू होने से पहले राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में हुई विपक्ष के नेताओं की हुई बैठक में ही तय हो गया कि प्रधानमंत्री का सदन के बाहर दिया गया बयान पर्याप्त नहीं है और दोनों सदनों में पीएम का बयान होना चाहिए। इसी रणनीति के तहत विपक्ष ने बैठक शुरू होते ही प्रधानमंत्री से बयान और कार्यस्थगन प्रस्ताव के चर्चा की मांग शुरू कर दी। राज्यसभा दो स्थगन के बाद दो बजे बैठी तो विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसी हंगामे में एक विधेयक पारित हो गया।
खरगे ने जताया कड़ा एतराज
मल्लिकार्जुन खरगे ने इस पर कड़ा एतराज जताते हुए कहा कि उनके नियम 267 के तहत काम रोको प्रस्ताव के दिए नोटिस के बावजूद उन्हें मुद्दा उठाने नहीं दिया जा रहा। उन्होंने कहा “मणिपुर जल रहा है, महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया जा रहा है, उन्हें नग्न घुमाया जा रहा है और प्रधानमंत्री चुप हैं, वह बाहर बयान दे रहे हैं।” वैसे सभापित जगदीप धनखड़ ने खरगे समेत तमाम विपक्षी सदस्यों के ऐसे नोटिस को नामंजूर कर दिया था। खरगे ने बाद में मणिपुर के मुख्यमंत्री का तत्काल इस्तीफा मांगते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की भी मांग की और आरोप लगाया कि राज्य के सामाजिक ताने-बाने को बर्बाद करके मोदी सरकार और भाजपा ने लोकतंत्र को भीड़तंत्र बना दिया है।
प्रधानमंत्री को तोड़नी चाहिए सदन में चुप्पी
तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने भी अपना आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में चुप्पी तोड़नी चाहिए। राज्यसभा में सदन के नेता वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने विपक्षी हंगामे के बीच कहा कि सरकार को कोई आपत्ति नहीं है और वह चर्चा के लिए तैयार है। विपक्ष के रवैये से यह स्पष्ट हो गया कि वे मन बनाकर आए हैं कि वे चर्चा नहीं करेंगे क्योंकि चिंतित हैं बंगाल की हिंसा और छत्तीसगढ़-राजस्थान में महिलाओं की दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
गोयल ने आरोप लगाया कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में भी कांग्रेस और उसके मित्रों ने बाधा डालने की कोशिश कि जिससे साफ है कि वे सदन की कार्यवाही रोकना चाहते हैं। लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने मणिपुर में महिलाओं की नग्न परेड के वीडियो का मामला उठाते हुए नारेबाजी और हंगामा करते हुए पीएम से बयान और बहस की मांग की। इसके चलते सदन दो बार बाधित होने के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित हो गया। संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि मणिपुर पर सरकार अल्पकालिक चर्चा के लिए तैयार है मगर विपक्ष अपने हिसाब से चर्चा चाहता है और इससे साफ है कि वह बहस से भाग रहा है।