जयपुर : खजाना खर्च करने को लेकर वित्त विभाग का एक इंटरनल आदेश राज्य सरकार के लिए एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर चुका है। विधायिका से लेकर नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) तक को इस मामले में जवाब देना भारी पड़ेगा।
दरअसल, सरकार ने अपनी दो बड़ी परियोजनाओं राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन (आरडब्लूएसएससी) और ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) के पीडी खातों (पब्लिक अकाउंट) में जो पैसा ट्रांसफर करने के लिए आदेश जारी किए हैं, उसकी जानकारी विधानसभा को नहीं दी।
नियम यह है कि राज्य सरकार विधानसभा की अनुमति के बिना एक रुपया भी खर्च नहीं कर सकती। इसे ही बजट कहा जाता है।
होना यह चाहिए था कि इन दोनों परियोजनाओं का पैसा राज्य सरकार के कंसोलिडेटेड फंड व विभाग के बजट हैड होता हुआ पीडी खातों में जाता।
क्योंकि कंसोलिडेटेड फंड और बजट हैड में ली गई राशि को बजट में विधानसभा से मंजूरी मिलती है। लेकिन इसके बजाय सरकार ने अपने राजस्व से सीधे इन योजनाओं के पीडी खातों में पैसा ट्रांसफर करने के आदेश जारी कर दिए।
ये आदेश- जल संसाधन व मत्स्य के बजट की राशि सीधे ईआरसीपी में ट्रांसफर करें
वित्त विभाग की आईडी संख्या 102205684 से आदेश जारी किया गया। इसमें कहा गया कि जल संसाधन विभाग व मत्स्य विभाग के बजट मदों से प्राप्त राशि को सीधे ईआरसीपी के पीडी अकाउंट में ट्रांसफर किया जाए। इसके लिए इंटिग्रेटेड फाइनेंशियल बजट मैनेजमेंट सिस्टम (आईएफएमएस) में आवश्यक प्रावधान भी किए जाएं।
सीएजी ने पूछा- सरकार ने किस मंशा से यह आदेश जारी किया, वह बताए
संविधान के अनुच्छेद 205 व 206 के तहत सरकार को प्राप्त होने वाली राजस्व राशियों को सबसे पहले कंसोलिडेटेड फंड में जमा करवाना चाहिए।
इसके बाद विधानसभा की ओर से अनुमत बजट प्रावधानों के बाद यह पीडी खातों में ट्रांसफर किए जाने चाहिए, लेकिन वित्त विभाग का यह आदेश विधानसभा को बायपास करने वाला है।
सीएजी ने इस आदेश को संविधान के खिलाफ बताते हुए सरकार से इस संबंध में जारी प्रशासनिक स्वीकृति/परिपत्र/आदेशों की प्रति मांगी है। यह भी निर्देशित किया है कि किस औचित्य व उद्देश्य से आदेश जारी किए गए, वह भी बताया जाए।
यह विधायिका को सीधे बायपास करने वाला आदेश है। सरकार वित्तीय असफलता को बचाने के लिए आंकड़ों का मायाजाल रच रही है। हम आर्थिक आपातकाल की तरफ बढ़ रहे हैं।
-राजेंद्र राठौड़, नेता प्रतिपक्ष