Owaisi On Descrimination : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव वाले पीएम मोदी के बयान पर निशाना साधा है। ओवैसी ने अल्पसंख्यकों के साथ हुए तीन भेदभाव गिनाए। कहा कि विदेश में प्रधानमंत्री मोदी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, जबकि भारत में वे पीछे हट जाते हैं।
ओवैसी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री ने 9 साल में पहली बार सवाल लिए और उस सवाल-जवाब में उन्होंने भारत में भेदभाव न किए जाने की बात कही। मणिपुर में 300 गीरजाघरों को जला दिया गया, वह भेदभाव नहीं है? CAA का क़ानून भेदभाव के आधार पर बना। भाजपा के पास 300 मंत्री हैं, जिसमें एक भी मुस्लिम नहीं है। यह भेदभाव की मिसालें हैं। PM विदेश में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, भारत में पीछे क्यों हट जाते हैं?
भारत के प्रधानमंत्री ने 9 साल में पहली बार सवाल लिए और उस सवाल-जवाब में उन्होंने भारत में भेदभाव न किए जाने की बात कही। मणिपुर में 300 गीरजाघरों को जला दिया गया, वह भेदभाव नहीं है? CAA का क़ानून भेदभाव के आधार पर बना। भाजपा के पास 300 मंत्री हैं जिसमें एक भी मुस्लिम नहीं है। यह… pic.twitter.com/3sBnRZZK2F
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 24, 2023
क्यों ओवैसी ने गिनाए भेदभाव, जानें जवाब
दरअसल, पीएम मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को करीब दो घंटे बातचीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। पीएम बनने के बाद पीएम मोदी ने पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। 2019 में पीएम मोदी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए थे, लेकिन किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया था।
मोदी बोले- लोकतांत्रिक मूल्यों में कोई भेदभाव नहीं
पीएम मोदी से अमेरिका के व्हाइट हाउस में पत्रकार ने सवाल किया कि भारत हमेशा से खुद को बड़ा लोकतंत्र कहता रहा है, लेकिन मानवाधिकार संगठन कहते हें कि आपकी सरकार ने धार्मिक रुप से अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया है। इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि लोग कहते नहीं बल्कि भारत लोकतांत्रिक है। भारत और अमेरिका के डीएनए में लोकतंत्र है। लोकतंत्र हमारी रगो में है, लोकतंत्र हम जीते हैं। हमने सिद्ध किया है कि डेमोक्रेसी कैन डिलीवर। जब मैं डिलीवरी की बात कहता हूं तब जाति, पंथ, धर्म किसी भी तरह के भेदभाव की वहां पर जगह नहीं होती है। भारत सबका साथ, सबका विश्वास और सबका प्रयास, उन मूलभूत सिद्धांतों को लेकर चलता है। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में कोई भेदभाव नहीं है।