अर्जुनराम मेघवाल : बीजेपी ने दलित वोट साधने को बढ़ाया अर्जुनराम का कद, CM फेस में राजे, राठौड़, शेखवात के साथ मेघवाल भी

अर्जुनराम मेघवाल  : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को केंद्रीय कानून मंत्री का महत्वपूर्ण पद सौंपकर कद बढ़ा दिया है। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले दलित वोट बैंक साधने के लिए यह निर्णय लिया गया है। राजस्थान में अर्जुन राम मेघवाल सीएम फेस की दौड़ में भी बड़ा चेहरा हो गए हैं।

राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सीएम फेस की दौड़ में अब पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के साथ ही केंद्रीय कानून मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल की भी तस्वीर उभरकर सामने आ गई हैं।

केंद्रीय कानून मंत्री बनाए गए अर्जुन राम मेघवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बहुत नज़दीकी और चहेते मंत्री हैं। राजस्थान के बीकानेर लोकसभा क्षेत्र की एससी रिजर्व सीट से आने वाले अर्जुन राम मेघवाल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रमोट कर कानून मंत्री बनाकर लगभग मैसेज दे दिया गया है कि राजस्थान में वो पार्टी का बड़ा चेहरा हैं। अर्जुन राम मेघवाल वैसे भी वसुंधरा राजे के एंटी माने जाते हैं। दलित समाज में एक अच्छा मैसेज देने के लिए उन्हें कानून मंत्री बनाया गया है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के बनाए संविधान और कानूनों की उसी भावना के मुताबिक देश में पालना कराने की जिम्मेदारी अब राजस्थान के दलित सांसद के कंधों पर रहेगी। दलित समाज में भी इससे एक बड़ा मैसेज विधानसभा चुनाव से पहले दिया गया है कि समाज के नेता को बड़ा मंत्रालय सौंपकर उनका कद बढ़ाया गया है और भविष्य की संभावनाएं भी बढ़ गईं हैं।

एंटी वसुंधरा और पीएम के नजदीकी मंत्री हैं अर्जुनराम मेघवाल
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को राजस्थान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के विरोधी खेमे का नेता माना जाता है। बीकानेर के कद्दावर भाजपाई नेता देवी सिंह भाटी समेत वसुंधरा राजे खेमे के कई नेताओं की बीजेपी में घर वापसी अर्जुन राम मेघवाल ने अब तक होने नहीं दी है। क्योंकि बीजेपी की राजस्थान में पार्टी ज्वाइनिंग के लिए बनाई गई कमेटी के भी अध्यक्ष अर्जुन राम मेघवाल ही हैं। सीधे तौर पर एंटी वसुंधरा नेता को प्रमोट किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की काफी नजदीकी है। इसका भी उन्हें फायदा मिला है। इससे भी पब्लिक में एक बड़ा मैसेज गया है कि पीएम मोदी के फेस और केंद्र सरकार की उपलब्धियों को आगे लेकर चलने वाले नेता ही बीजेपी में आगे बढ़ेंगे।

दलित वोट बैंक साधने की रणनीति, राजस्थान में 34 एससी रिज़र्व सीटों पर केवल 12 बीजेपी विधायक
राजस्थान में दलितों की जनसंख्या लगभग 17 फ़ीसदी बताई जाती है। अर्जुन राम मेघवाल दलित सांसद हैं। केवल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से ही नहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी दलित वोट बैंक को देशभर में साधने के लिए उन्हें कानून मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार के साथ बड़ा पद सम्भलाया गया है। राजस्थान में 34 सीटें शेड्यूल कास्ट (एससी) रिजर्व हैं। इनमें से केवल 12 सीटों पर ही बीजेपी विधायक हैं, जबकि 19 कांग्रेस विधायक हैं। 2 विधायक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और एक निर्दलीय विधायक हैं। इसके अलावा राजस्थान में शेड्यूल ट्राइब्स (एसटी) की 25 सीटें रिज़र्व हैं। इनमें 8 बीजेपी विधायक हैं। 13 कांग्रेस विधायक हैं। 2 विधायक भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) से और दो निर्दलीय हैं। एससी और एसटी दोनों सीटों का हिसाब निकाला जाए तो रिज़र्व कुल 59 सीटों में से केवल 20 ही बीजेपी विधायक हैं। जबकि 32 कांग्रेस विधायक, 2 बीटीपी, 2 आरएलपी और 3 निर्दलीय विधायक हैं। इसलिए दलित वोट बैंक को बीजेपी के पक्ष में साधने और खासकर बीकानेर संभाग और जोधपुर संभाग समेत पश्चिमी राजस्थान में बड़ी संख्या में मौजूद मेघवाल वोटर्स को मैसेज देने के लिए मेघवाल का केंद्रीय मंत्रिमंडल में कद बढ़ाया गया है।

सादगी पसन्द, तीन बार के सांसद, लॉ ग्रेजुएट और पूर्व IAS-RAS रहे हैं अर्जुनराम मेघवाल
केंद्रीय कानून मंत्री बनाए गए अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान की बीकानेर एससी रिज़र्व सीट से लोकसभा सांसद हैं। वह राजस्थान प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर IAS सर्विस में आए थे। प्रमोशन हुआ तो चूरू के जिला कलेक्टर भी रहे। फिर IAS से VRS लेने  के बाद मेघवाल ने 2009 में बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। उसके बाद 2014 और 2019 के चुनाव में भी अर्जुन राम मेघवाल जीत कर आए। लगातार तीन बार से वह सांसद चुनकर आ रहे हैं। मेघवाल के पास केंद्र की मोदी सरकार में पांच जुलाई 2016 से 3 सितम्बर 2017 तक केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय में राज्य मंत्री पद रहा। फिर 3 सितंबर 2017 से केंद्रीय संसदीय कार्य, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में राज्यमंत्री का दायित्व मिला। सरकार के दूसरे कार्यकाल में मई 2019 में मेघवाल को संसदीय कार्य और भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय में राज्यमंत्री का पद दिया गया था। साल 2021 में संस्कृति मंत्रालय का दायित्व सौंपा गया। अब उन्हें कानून मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है। मोदी सरकार ने कानून मंत्रालय का सर्वेसर्वा बनाकर अर्जुन राम मेघवाल का कद बढ़ाया है। सिर पर साफा बांधने और साइकिल से संसद पहुंचकर सादगी और लो प्रोफ़ाइल रहने का संदेश देने वाले केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान में बड़ा दलित चेहरा हैं। जो शुरू से ही बीजेपी के साथ रहे हैं। कभी भी पार्टी के खिलाफ नहीं गए। अर्जुन राम मेघवाल को 2013 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का भी पुरस्कार मिल चुका है। अर्जुन राम मेघवाल ने बीकानेर के डूंगर कॉलेज से बीए और एमए के बाद एलएलबी की है। वह लॉ ग्रेजुएट हैं। साथ ही एमबीए भी कर रखा है।

100 सीटों के 10 हज़ार बूथ पर बीजेपी पिछले 15 साल में 3 चुनाव हारी
राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में से 100 सीटें ऐसी हैं। जिनके 10 हज़ार बूथ पर बीजेपी पिछले 15 साल में हुए तीन विधानसभा चुनाव हारी है। साल 2013 में भारी बहुमत से हुई बीजेपी की जीत के बावजूद भी इन बूथों पर पार्टी को कम ही वोट पड़े थे, जबकि लोकसभा चुनाव में इन बूथों पर पार्टी की जीत हुई थी। इन कमजोर सीटों पर एससी और एसटी मतदाताओं को साधने के लिए बीजेपी खास रणनीति के तहत काम कर रही है। इसमें अर्जुन राम मेघवाल का कद बढ़ाना भी शामिल है। राजस्थान में जब भी बीजेपी सत्ता से बाहर हुई एससी-एसटी के कम वोट मिलना भी एक बड़ा कारण रहा। अब पार्टी ने जो 100 विधानसभा सीटों का विश्लेषण किया है, उनमें से प्रत्येक सीट के 100 बूथ ऐसे छांटे हैं, जिनमें एससी और एसटी वोटर्स की संख्या 300 से लेकर 800 तक है। इन सीटों पर एससी-एसटी वर्ग के कार्यकर्ता से ही स्वयंसेवक के रूप में सर्वे करवाया गया और पता लगाया गया कि कौन से समाज के बीच सबसे ज़्यादा नेता प्रभावी हैं। साथ ही दूसरी पार्टियों के प्रभावी नेताओं का भी पता लगाया गया। सूत्र बताते हैं कि इसमें बीजेपी से अर्जुन राम मेघवाल का नाम प्रमुख रूप से निकलकर सामने आया। राजस्थान में इन 100 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर पर अर्जुन राम मेघवाल की चुनावी सभाएं कराने की भी आगामी रणनीति पार्टी ने बनाई है।

लगातार बढ़ता जा रहा अर्जुन मेघवाल की जीत का ग्राफ
बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल तीन बार के सांसद हैं। साल 2009 में केवल 19 हज़ार 575 वोटों से जीत हासिल करने वाले मेघवाल 2014 और 2019 के चुनाव में लगातार बढ़त के साथ जीत कर लोकसभा में आए हैं। 2019 में तीसरी बार सांसदी का चुनाव 2 लाख 64 हज़ार वोटों से मेघवाल ने जीता है। इसलिए भी मेघवाल का जनाधार बड़ा है।

किरण रिजिजू को हटाना भी बन गया था मजबूरी
किरण रिजिजू 51 साल के हैं और बौद्ध धर्म को मानते हैं। केंद्र की मोदी सरकार के युवा मंत्रियों में उनकी गिनती होती है। वह पिछले दो साल से कानून मंत्री थे। अचानक उनसे कानून मंत्रालय छीन लेने के कई कारण हैं। रिजिजू सुप्रीम कोर्ट को लेकर की गई अपनी टिप्पणियों से काफी चर्चा में रहे, क्योंकि इससे ऐसा लग रहा था कि केंद्र सरकार और न्यायपालिका में ठन सी गई है। जजों की नियुक्ति और कॉलेजियम को लेकर रिजिजू के बयानों पर सवाल खड़े हो रहे थे। पब्लिक और ज्यूडिशियरी में इससे गलत मैसेज जा रहा था और विपक्षी दल भी केंद्र को निशाने पर ले रहे थे। संभवत: केंद्र ने उनको कानून मंत्री के पद से हटाकर यह मैसेज देने की कोशिश की है कि वह सुप्रीम कोर्ट से टकराव के मूड में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में आरक्षण के मुद्दे पर भी रिजिजू ने टिप्पणी कर कहा था “मैंने सभी जजों और विशेष रूप से कॉलेजियम के सदस्यों को याद दिलाया है कि वह पिछड़े समुदायों, महिलाओं और अन्य श्रेणी के सदस्यों को शामिल करने के लिए नामों की सिफारिश करते समय ध्यान रखें, क्योंकि उनका न्यायपालिका में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंटन फली नरीमन ने कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ बोलने पर कानून मंत्री रिजिजू की आलोचना भी की थी और कहा था कि जजों की नियुक्ति में केंद्र का दखल लोकतंत्र के लिए घातक है।

Web sitesi için Hava Tahmini widget