झुंझुनूं : राज्य सरकार की ओर से लम्पी महामारी को लेकर पशुपालकों को मुआवजा देने का काम नियमों की पेचदगियों के कारण से पूरी तरह से उलझ गया है। गोशाला और निजी स्तर पर लम्पी का इलाज कराने वाले पशुपालकों को मुआवजे के दायरे से बाहर कर दिया गया है। जिले में केवल 1757 पशुपालकों को मुआवजा मिल पाएगा। जबकि पशुपालन विभाग खुद लम्पी महामारी के कारण से जिले में 2187 पशुओं की मौत का आंकड़ा जारी कर चुका है। जबकि हकीकत में 20 हजार से ज्यादा पशुओं की लम्पी के कारण से मौत हो चुकी है।
लेकिन इसके बाद भी सरकार की ओर से इनको मुआवजा नहीं दिया जाएगा। दरअसल लम्पी महामारी में मृत पशुओं को लेकर मुआवजा देने की घोषणा की गई थी। इसके बाद जिले में लम्पी के कारण से मरे पशुओं के पशुपालकों ने विभाग को मुआवजे के लिए आवेदन भी कर दिया। लेकिन पशुपालन विभाग ने सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने वाले पशुपालकों के मृत पशुओं को ही मुआवजा का हकदार मानते हुए सत्यापन किया। जिसमें जिले के 1757 पशुओं की मौत का ही मुआवजा मिलेगा।
विभाग का तर्क : रिकाॅर्ड नहीं मिलने से सत्यापन करने में परेशानी
लम्पी महामारी में कम पशुपालकों को मुआवजे के लिए पात्र मानने को लेकर विभाग खुद का ही तर्क दे रहा है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि लम्पी महामारी में सरकारी अस्पतालों या चिकित्सकों से इलाज कराने वाले पशुपालकांे का पूरा रिकार्ड विभाग को मिल गया है। लेकिन निजी चिकित्सकों से जांच कराने वाले पशुपालकों का काेई रिकार्ड नहीं मिल रहा है। जिसके कारण से सत्यापन नहीं हो पाया है। इसके कारण से इनको मुआवजे से बाहर किया गया है। दूसरी ओर पशुपालन विभाग की ओर से लम्पी महामारी के दौरान 2187 गोवंश की मौत खुद मान चुका है। लेकिन इसके बावजूद 1757 पशुपालकों को ही मुआवजे का पात्र माना गया है। इनमें सरकारी स्तर पर इलाज कराने वाले पशुपालक ही शामिल हैं। निजी स्तर पर इलाज कराने वाले पशुपालकों को सरकार ने पात्र नहीं माना है।
लम्पी के साथ ही मौतें हुई, पर विभाग ही नहीं माना
लम्पी महामारी की शुरूआत में पशुपालन विभाग जिले में लम्पी का असर होने की बात नहीं मान रहा था। जिसके बाद मृत गायों की फोटो प्रकाशित होने के बाद विभाग ने सर्वे का काम शुरू किया। लेकिन उसमें भी सही रिपोर्ट नहीं आने से विभाग अपने स्तर पर आंकलन करता रहा। लेकिन इसके बावजूद पशुपालन विभाग मुआवजे को लेकर सरकारी अस्पताल का रिकार्ड को आधार बना रहा है।
नुकसान: निजी स्तर पर इलाज कराने वालों को नहीं मिलेगा फायदा : लम्पी महामारी के दौरान ज्यादातर पशुपालकों ने निजी स्तर पर चिकित्सकों से इलाज कराया था। लेकिन इलाज के बावजूद महामारी के कारण से गोवंश की मौत हुई। अब विभाग ने मुआवजे के लिए उनकाे ही पात्र समझा जिसने पशुओं का सरकारी डाॅक्टर से इलाज कराया। इसमें भी पालकाें काे अधिकतम दाे गायाें का ही मुआवजा मिलेगा। उसमें भी गाेशाला को मुआवजे से बाहर रखा गया। मृत पशु की सूचना विभाग काे नहीं देने को आधार मानकर उन्हें मुआवजे से बाहर किया गया है।
रिकॉर्ड है, उन्हें ही मुआवजा
जिन पशुपालकाें ने सरकारी पशु चिकित्सक या हाॅस्पिटल में चेक कराया ऐसे मृत पशुओं का ही रिकाॅर्ड है। जिले में 1757 को ही मुआवजे का पात्र माना गया है। -डाॅ. रामेश्वरसिंह , जेडी पशुपालन विभाग झुंझुनूं
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