झुंझुनूं-खेतड़ी(खेतड़ीनगर) : अरावली की पहाडियों पर 50 साल पहले सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए रोपवे बना दिया था। यह कार्य भारत सरकार ने खेतडीनगर की खदान से कोलिहान खदान तक ताम्बा ले जाने के लिए रोपवे बनाकर कर दिया था। लेकिन केसीसी में प्लांटों के बंद होते ही ये इतिहास बनती जा रही है। आज ट्रॉलियां हवा में तारों के सहारे लटकी हुई है। कोलिहान खदान से केसीसी कंस्ट्रक्टर प्लांट में 60 हजार तीन सौ 72 मीटर यानी सात किलोमीटर की दूरी तक अयस्क सप्लाई के लिए एक दिसंबर 1973 को रोप वे शुरू किया गया था।
रोप वे में लगी बकेट (ट्रॉली) से अयस्क केसीसी प्लांट तक लाया जाता था। जो केसीसी के पतन के बाद मैन पावर की कमी व मेंटेनेंस के अभाव में अब पिछले करीब तीन साल से रोप वे बंद पड़ा है। जब केसीसी प्लांट परवान पर था तब लगभग 100 कर्मचारी 3 शिफ्टों में कार्य करते थे। बकेट भी 3 शिफ्टो में ही चलती थी जिसका टारगेट करीब 60 हजार टन होता था। 180 बकेट हुआ करती थी। लेकिन फिलहाल 50 से 60 बकेट ही अब बची है। यह बकेट 90 मिनट में एक राउंड पूरा करती थी। अब कर्मचारियों की संख्या सिर्फ 6 बची है अब तो रोपवे चलाने के लायक कर्मचारी भी प्लांट में नहीं बचे हैं। ट्रॉलियों को देखने के लिए लोग दूर दूर से खेतड़ी क्षेत्र में आते थे।