जयपुर : देशभर के विधानसभा स्पीकर्स का राष्ट्रीय सम्मेलन आज जयपुर में शुरू हो गया। इस मौके पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, राजस्थान विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित पक्ष-विपक्ष के बड़े नेता और देश की सभी विधानसभाओं के स्पीकर्स शामिल हुए। सम्मेलन में उपराष्ट्रपति से लेकर सीएम अशोक गहलोत तक अधिकांश वक्ताओं ने न्यायपालिका को आड़े हाथों लेते हुए जमकर निशाना साधा हैं।
उपराष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट पर साधा निशाना
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संसद कानून बनाता है और सुप्रीम कोर्ट उसे रद्द कर देता है। क्या संसद द्वारा बनाया गया कानून तभी कानून माना जाएगा जब उस पर कोर्ट की मुहर लगेगी। उन्होंने कहा कि संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का रिव्यू कोई और क्यों करे। धनखड़ ने कहा कि 1973 में एक गलत परंपरा की शुरूआत हुई। केशवानंद भारती केस में सुप्रीम कोर्ट ने बेसिक स्ट्रक्चर का आइडिया दिया कि संसद संविधान संशोधन कर सकती है, लेकिन इसके बेसिक स्ट्रक्चर को नहीं। कोर्ट को सम्मान के साथ कहना चाहता हूं कि इससे मैं सहमत नहीं।
कहना मुश्किल हम लोकतांत्रिक देश
धनखड़ ने कहा जब मैंने राज्यसभा के सभापति का चार्ज लिया तब कहा था कि न तो कार्यपालिका कानून को देख सकती है न कोर्ट हस्तक्षेप कर सकती है। संसद के बनाए कानून को किसी आधार पर कोई संस्था अमान्य करती है तो प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं होगा। कहना मुश्किल होगा कि हम लोकतांत्रिक देश हैं।
मर्यादा का पालन करे न्यायपालिका
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा न्यायपालिका भी मर्यादा का पालन करे। न्यायपालिका से उम्मीद की जाती है कि जो उनको संवैधानिक अधिकार दिया है, उसका उपयोग करें। साथ ही अपनी शक्तियों का संतुलन भी बनाए। हमारे सदनों के अध्यक्ष यही चाहते हैं।
न्यायपालिका कर रही हस्तक्षेप
सम्मेलन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कई बार न्यायपालिका से मतभेद होते हैं। ज्यूडिशियरी हमारे कामों में हस्तक्षेप कर रही है। इंदिरा गांधी ने प्रिवी पर्स खत्म किए थे। इसे ज्यूडिशियरी ने रद्द कर दिया था। बाद में बैंकों के राष्ट्रीयकरण से लेकर उनके सब फैसलों के पक्ष में जजमेंट आए। गहलोत ने कहा 40 साल से मैंने भी देखा है। कई बार हाउस नहीं चलता। 10-10 दिन गतिरोध चलता है। फिर भी पक्ष और विपक्ष मिलकर भूमिका निभाते हैं। पक्ष-विपक्ष अपनी-अपनी बात करते हैं। जब 75 साल निकल गए हैं तो देश का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। हम संविधान की रक्षा करें।
कार्यपालिका कर रही तानाशाही
राजस्थान विधानसभा के स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने कहा आज संसदीय लोकतंत्र के सामने कई चुनौतियां हैं। आज कार्यपालिका की तानाशाही है। विधानसभा सदनों की बैठकें ही कम हो रही हैं तो सरकार को जवाबदेह कौन बनाएगा। विधानसभा स्पीकर तो हेल्पलेस हैं। विधानसभा के स्पीकर तो केवल रेफरी हैं। स्पीकर विधानसभा नहीं बुला सकते हैं। यह काम सरकार करती है। दुर्भाग्य यह है कि हम केवल हाउस चलाते हैं। बाकी कोई पावर नहीं हैं। स्पीकर हेल्पलेस है।