बाड़मेर : बाड़मेर जिले के जैन तीर्थ में श्री जैन श्वेतांबर नाकोड़ा पार्श्वनाथ हमेशा से ही जैन समुदाय के अलावा भी चहल-पहल का केंद्र रहा है। हाल ही में यहां चहल कदमी बढ़ चुकी है, कारण है मंदिर ट्रस्ट के चुनाव चल रहे हैं। मतदान सात चरणों में पूरा होगा। दो चरण हो चुके हैं और अंतिम चरण का मतदान एक फरवरी को होगा।
40 साल से अधिक और 70 साल तक के ही व्यक्ति अधिकतम दो बार चुनाव लड़ सकते हैं। यहा 24 ट्रस्टी हैं, जिसमें से चार निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। बाकी के लिए अलग- अलग दिन मतदान हो रहा है। दरअसल, नाकोड़ा जैन समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल है, यहां देश भर से श्रद्धालु आते हैं। नाकोड़ाजी का ट्रस्ट देश का सबसे समृद्ध ट्रस्ट माना जाता है। सूत्रों के अनुमान के अनुसार, 150 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का चढ़ावा आता है और श्रद्धालुओं की पार्टनरशिप का भी पैसा आता है। एकत्र रकम से ट्रस्ट द्वारा जैन मंदिरों के निर्माण में सहयोग के साथ कई प्रमुख शहरों में भव्य धर्मशालाओं, हॉस्टलों का निर्माण भी करवाया जाता है।
ट्रस्ट के चुनाव की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए इसके निर्वाचन अधिकारी का भी चुनाव होता है। ट्रस्ट के चुनाव तीन साल में एक बार होते हैं। चुनाव की सरगर्मी सालभर पहले शुरू हो जाती है। 20 हजार मतदाता बाड़मेर, जोधपुर, पाली, जालोर और सिरोही के हैं। जैन आबादी के हिसाब से इसमें ट्रस्टियों की संख्या निश्चित है। चुनाव का दायरा बाड़मेर, जालोर, पाली, सिरोही और जोधपुर के वोटर तक है, लेकिन ये देश भर में फैले हैं।
चुनाव में संबंधित ट्रस्टी क्षेत्र के सिर्फ 30 साल से अधिक उम्र के समस्त जैन लोग भाग ले सकते हैं, पर चुनाव से पहले तय तारीख पर एक साथ टोकन लेने के लिए नाकोड़ा आना होता है, जिन लोगों ने टोकन लिया है, वही मतदान कर सकते हैं। लेकिन उन्हें वोट डालने फिर से तय तारीख पर एक साथ नाकोड़ा आना होता है। दो बार नाकोड़ाजी तक लाने-ले जाने, ठहरने और भोजन आदि का सारा खर्च प्रत्याशी उठाते हैं। वोटरों को हवाई जहाज और एसी बस से लाने की सुविधा भी दी जाती है। जैसे कि समदड़ी क्षेत्र के 200 से ज्यादा वोटर दक्षिण भारतीय शहरों से टोकन लेने फ्लाइट से आए, जबकि अहमदाबाद और सूरत के वोटर्स को 13 एसी बसों से बुलाया गया।
पाली में एक प्रत्याशी ने मतदान के लिए 200 कारें तक बुक कर रखी हैं। अधिकांश ट्रस्टी बाड़मेर जिले से चुने जाते हैं। बाड़मेर जिले की सिवांची पट्टी से आठ, बाड़मेर शहर से छह, मालाणी पट्टी से दो, जोधपुर जिले से दो, सिणधरी, चौहटन, अड़तालीसी, गौड़वाड़, पाली जिले और जालोर जिले से एक-एक ट्रस्टी चुना जाता है। इन पटि्टयों में किसी में 27 तो किसी में 48 गांवों के लोग शामिल होते हैं। इन्हीं 24 ट्रस्टी में से अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष चुने जाते हैं। पदाधिकारी वो ही हो सकते हैं जो मंदिरमार्गी हो।
100 साल पुराने ट्रस्ट के ट्रस्टियों की संख्या यही थी, लेकिन 80 साल से ज्यादा समय तक चुनाव नहीं होते थे। संबंधित क्षेत्र से ट्रस्टी निर्विरोध चुनकर भेजना अनिवार्य था। समय के साथ ही ट्रस्टी बनने की इच्छा रखने वालों की संख्या ज्यादा हो गई तो निर्विरोध निर्वाचन संभव नहीं रहा और ट्रस्टी बहुत ही कम पहुंचने लगे। ऐसी स्थिति में संविधान में संशोधन किया गया और ट्रस्टियों के चुनाव होना शुरू हुए।