राजस्थान : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य विधानसभा का बजट सत्र फरवरी के बजाय जनवरी में बुला सकते हैं। मंत्रिमंडल सचिवालय ने सभी विभागों को इसको लेकर सर्कुलर जारी किया है। चर्चा तेज है कि सीएम अशोक गहलोत बजट जल्दी पेश कर सत्ता परिवर्तन की संभावना को रोकने का मास्टरस्ट्रोक खेलना चाहते हैं।
बता दें कि विधानसभा सत्र मार्च में समाप्त होगा और दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने है। कहा जा रहा है कि जल्दी बजट पेश कर सीएम गहलोत एक तीर से दो निशाने लगाने के फिराक में है। राजस्थान कांग्रेस में सीएम फेस बदलने की मांग उठ रही है। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब विधानसभा सत्र चल रहा होता है तो शीर्ष पर फेरबदल की बहुत कम संभावना होती है। यदि सत्र मार्च में समाप्त होगा तो दिसंबर 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए ज्यादा समय नहीं बचेगा। पार्टी उस मोड़ पर कोई बड़ा फैसला कर जोखिम नहीं उठाना चाहेगी।
ऐसे अपने पक्ष में माहौल बनाएंगे गहलोत
दूसरा, समय से पहले बजट पेश कर मुख्यमंत्री नई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं। ऐसे में अशोक गहलोत को कुछ योजनाओं को लागू करने का भी अवसर मिल जाएगा। जिससे वो मतदाताओं को लुभा सकते हैं और अपने पक्ष में माहौल बना सकते हैं। सीएम गहलोत आलाकमान के मुख्यमंत्री को लेकर फैसला करने से पहले बजट पेश करना चाहते हैं। जिससे बजट में की गई घोषणाओं को पूरा कराने का उत्तरदायित्व उनके पास ही रहे।
पायलट को गद्दार बोला
राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान में प्रवेश से पहले पायलट कैंप सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहा है। विरोध की उठती हवा के बीच सीएम अशोक गहलोत ने बड़ी चालाकी से सबको याद दिलाया कि सचिन पायलट गद्दार हैं। उन्होंने मानेसर जाकर बगावत की थी। पायलट को आलाकमान कभी भी सीएम नहीं बनाएगा।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रदेश में गहलोत सरकार के ट्रैक रिकॉर्ड को देखकर कांग्रेस अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ने से थोड़ी घबराई हुई है। उनके पिछले दो कार्यकालों के दौरान चुनाव के नतीजे अच्छे नहीं आए हैं। पार्टी में कई लोगों का मानना है कि विधानसभा में युवा और लोकप्रिय नेता सचिन पायलट को सीएम फेस बनाना सबसे अच्छा दांव हो सकता है। इससे सरकार के हर पांच साल में बदलने के ट्रेंड की संभावना को भी कम किया जा सकता है। हालांकि, गहलोत खेमा अशोक गहलोत के नेतृत्व में फिर से सरकार बनाने का दावा कर रहा है। वे अक्सर सरकारी योजनाओं को कल्याणकारी बताकर ‘राजस्थान मॉडल’ को अनुकरणीय बताते हैं।