भीलवाड़ा : भीलवाड़ा जिले के महात्मा गांधी हॉस्पिटल में स्टाफ की लापरवाही के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। 18 दिन पहले NICU में रेडिएंट वार्मर की ज्यादा हीट से 10 और 21 दिन के बच्चों की मौत हो गई थी। अब बच्चों की अदला-बदली का मामला सामने आया है। परिवार के हंगामे के बाद पुलिस पहुंची और मामले की जांच की जा रही है।
बता दें कि भीलवाड़ा शहर से 22 किमी दूर पुर के रहने वाले दिनेश विश्नोई ने बताया कि बुधवार को पत्नी टीना को डिलीवरी के लिए एमसीएचसी सेंटर लाया गया था। डॉक्टरों ने 12 बजे ऑपरेशन किया। कुछ देर बाद स्टाफ ऑपरेशन थियेटर से बाहर आया और लड़का होने की बात कही। नवजात शिशु को दिखाकर NICU में ले जाया गया। 20 मिनट बाद स्टाफ वापस आया और कहा कि उसकी पत्नी के लड़की हुई है। गलती से लड़का आपको दे दिया। लड़की लेकर लड़का अपने साथ ले गए। गणेश ने कहा कि एक पल तो उसे समझ ही नहीं आया कि वहां क्या हुआ। दिनेश विश्नोई पानी के टैंकर की सप्लाई करता है।
बच्चे का डीएनए करवाने की मांग…
परिवार ने बच्चा बदलने का आरोप लगाकर हंगामा कर दिया। वहीं स्टाफ का कहना है कि टीना के बेड के पास ही दीपक सिंधी की पत्नी की भी डिलीवरी हुई थी। उनके लड़का हुआ था। हंगामे के बाद हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. अरूण गौड़, एमसीएचसी सेंटर प्रभारी डॉ. इंद्रा सिंह सहित अन्य डॉक्टर और भीमगंज पुलिस का जाप्ता मौके पर पहुंचा। डॉक्टरों ने इस मामले की जांच की और परिजनों को शांत किया। परिजनों ने नवजात का डीएनए करवाने की मांग की है।
एक साथ सिजेरियन से हुआ कन्फ्यूजन…
महात्मा गांधी हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. अरूण गौड़ ने बताया कि बुधवार को एमसीएससी सेंटर में काफी सिजेरियन केस थे। ओटी में पहले महिला निमिशा के लड़का और कुछ देर बाद टीना के लड़की हुई थी। ओटी में ऑपरेशन के समय बच्चा होते ही परिजनों को आवाज लगाते है। उस समय बच्चे देने और बताने में गलती हो गई। लेकिन, ओटी में जैसे ही बच्चा होता है। सबसे पहले उसके गले में टैग लगा दिया जाता है। दोनों ही बच्चों के गले में टैग लगा हुआ था, जिसे परिजनों को भी बता दिया गया है। उन्हें पूरी तरह से संतुष्ट किया गया। बाद में टीना को लड़की और दूसरी महिला को लड़का सौंप दिया गया।