पिलानी : पिछले साल राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत की गई गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज पिछले 2 सेमेस्टर से झुंझुनूं में संचालित हो रही है। पिलानी से लगभग 55 किमी दूर मंडावा रोड़ पर आबूसर का बास स्थित राजकीय पॉलीटेक्निक महाविद्यालय, झुंझुनूं के भवन में पिलानी के लिए स्वीकृत पॉलीटेक्निक कॉलेज की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।
22 किलोमीटर दूर जमीन अलॉट
दरअसल सरकार ने भले ही पिलानी के स्टूडेंट्स को सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज का तोहफा दिया हो, मगर प्रशासन आज तक पिलानी में कॉलेज भवन के लिए भूमि और भवन उपलब्ध करवा पाने में नाकाम रहा है। लिहाजा स्वीकृति के बाद कॉलेज को मजबूरन झुंझुनू में संचालित किया जा रहा है। हालांकि जब मामले की पड़ताल की तब जानकारी मिली कि पिलानी की इस पॉलीटेक्निक कॉलेज के लिए पिलानी से 22 किमी दूर चिड़ावा के अडूका में जमीन अलॉट की गई है। ऐसे में कई स्टूडेंट्स ऐसे होंगे, जो इस कॉलेज का लाभ ही नहीं उठा पाएंगे।
3 विषयों की मिली स्वीकृति
झुंझुनू पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्रिंसिपल मोतीलाल आलड़ीया ने जानकारी देते हुए बताया कि पिलानी पॉलिटेक्निक कॉलेज के लिए साइबर फॉरेंसिक एण्ड इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी, मेकाट्रोनिक्स, बिग डाटा एण्ड क्लाउड कम्पाउंडिंग विषयों में डिप्लोमा कोर्सेज के लिए क्लासेस चलाने की स्वीकृति जारी हुई थी। स्वीकृति जारी होने के बाद पहले सेमेस्टर में 1 भी एडमिशन नहीं आया। जबकि इस बार साइबर फोरेंसिक एण्ड इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी के लिए 3 तथा मेकाट्रोनिक्स में 1 एडमिशन हुआ है। पिछले साल झुंझुनू कॉलेज को कोई स्टाफ उपलब्ध नहीं करवाया गया था, लेकिन अब पिलानी कॉलेज के लिए 4 लेक्चरर और 3 क्लेरिकल स्टाफ उपलब्ध करवा दिए गए हैं।
अगर प्रयास होते तो पिलानी से बाहर नहीं जाता कॉलेज
पिलानी के युवा सामाजिक कार्यकर्ता राजेश फोरमैन ने बताया कि मुख्यमंत्री ने पिलानी के लिए बजट घोषणा में पॉलिटेक्निक कॉलेज के लिए स्वीकृति भले ही दे दी, लेकिन प्रशासन इस मुद्दे पर कतई गम्भीर नहीं रहा। राजेश फोरमैन का कहना था कि पिलानी में ही कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो अनुदान समाप्ति के बाद आज बंद पड़ी हैं। इन संस्थाओं के पास भवन और अन्य सुविधाएं भी हैं, जो फिलहाल किसी काम नहीं आ रही। प्रशासनिक स्तर पर अगर प्रयास संजीदगी के साथ किए जाएं तो पॉलीटेक्निक कॉलेज के लिए इन संस्थाओं में से ही किसी का भवन अस्थाई तौर पर उपलब्ध हो सकता है।