दिल्ली : महिला आयोग के संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए आम आदमी पार्टी सरकार जिम्मेदार !

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने कहा कि आम आदमी पार्टी और भाजपा में दिल्ली की सत्ता के लिए संघर्ष में दिल्ली की गरीब जनता पिस रही है। जिसकी मौजूदा शिकार अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा गलत तरीके से नियुक्त हुई दिल्ली महिला आयोग के 253 अस्थाई कर्मचारी है, जिन्हें सिर्फ एक नोटिस के बाद इनकी सेवा टर्मिनेट कर दी गई। श्री यादव ने भाजपा और आम आदमी पार्टी से अपील की कि वे बदले की राजनीति करने की बजाय लोगों हितों को ध्यान में रखकर काम करें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल से मांग करती है कि दिल्ली महिला आयोग से निकाले गए कर्मचारियों सहित हजारों मार्शलों की दिवाली से पहले पुनः नियुक्ति की जाए।

 

 

देवेन्द्र यादव ने कहा कि आम आदमी पार्टी और उनके मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली के लाखों युवाओं के भविष्य को दाव पर लगाकर 2013 सभी को रोजगार देने और ठेकेदारी व अनुबंधित कर्मचारियों को स्थायी देने नौकरी देने का वादा किया था और एक उम्मीद में दिल्ली के युवाओं ने केजरीवाल के झूठ से भ्रमित होकर उन्हें हर चुनाव बहुमत दिया। दिल्ली महिला आयोग के 253 अस्थाई कर्मचारियों को निकालने के दिल्ली सरकार के महिला बाल विकास मंत्रालय ने 29 अप्रैल को आदेश दे दिए थे। 5 महीने पहले केजरीवाल ने क्यों कार्यवाही नही की? अरविन्द केजरीवाल एक बार फिर दिल्ली महिला आयोग की 253 अनुबंधित महिला कर्मचारियों की वापसी कराने की दुहाई दे रहे है। इससे पहले 10 हजार बस मार्शलों की नियुक्ति पर भी केजरीवाल ने बड़े-बड़े बयान दिए थे, लेकिन हुआ कुछ नही, क्योंकि अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने सरकारी विभागों में जितनी भी नियुक्तियां की है या तो अनैतिक अस्थाई नियुक्तियां है या अनुबंधित नियुक्ति जिनकी समय सीमा तय होती है, फिर पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया क्यों दिल्ली की जनता को भ्रमित करने वाले बयान दे रहे है।

 

 

देवेन्द्र यादव ने पूर्व उप मुख्यमंत्री, पूर्व वित्त मंत्री और पूर्व शिक्षा मंत्री श्री मनीष सिसोदिया से पूछा कि जब दिल्ली महिला आयोग का गठन 1994 में हुआ था और 1996 में काम करना शुरु किया था। जब दिल्ली महिला आयोग को बने हुए ही 27-28 वर्ष हुए है तब इनमें सैंकड़ों कर्मचारी कैसे 30-35 वर्षों से अस्थाई रुप से काम कर रहीं थी, जबकि संविदा पर कर्मचारी रखने का चलन 2010 के बाद शुरु हुआ, और महिला आयोग में अस्थाई कर्मचारियों की सबसे अधिक नियुक्तियां आम आदमी पार्टी की सरकार ने की है। मैं सिसोदिया को सलाह देना चाहता हूं कि गलत बयानबाजी करके दिल्ली की जनता को गुमराह न करें।

 

 

देवेन्द्र यादव ने कहा कि दिल्ली सरकार में अनुबंधित 23000 से अधिक गैस्ट टीचर, लगभग 8000 आंगनबाड़ी और आशा वर्कर, 10000 मार्शल, सिविल डिफेंस के कर्मचारी और 5000 से अधिक अस्पतालों के डाटा एंट्री आपरेटर व सहायक स्टॉफ, हजारों सफाई कर्मचारी, माली आदि को केजरीवाल जी ने स्थाई नौकरी देने की बजाय अस्थाई नौकरी पर रखकर वोट बैंक तो मजबूत किया, लेकिन आज जब हजारों लोगों की नौकरी सिर्फ इसलिए चली गई है कि इनकी नियुक्ति नियमानुसार नही की गई, इसमें इन गरीब लोगो का दोष सिर्फ इतना रहा कि इन्होंने भ्रष्ट और धोखेबाज अरविन्द केजरीवाल पर भरोसा किया।

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