मनरेगा योजना के जाबकार्ड धारक मजदूरों को दस प्रतिशत में भुगतान करने और बिना काम के फर्जी भुगतान के मामले में डाली गई आरटीआई का जिम्मेदार अधिकारी जवाब नहीं दे रहे हैं जिसके बाद युवक ने उपजिलाधिकारी को शिकायती पत्र लिखकर जांच की मांग की है।
विकास खण्ड क्षेत्र के ग्राम छिमौली में हुए प्रदेश के सबसे बड़े आवास घोटाले में क्लीन चिट मिलने के बाद अधिकारियों के हौसले बुलंद हो गए हैं और उन्होंने घोटाले करने के नये रास्ते तलाश लिए हैं।कोतवाली क्षेत्र के ग्राम करहया निवासी प्रदीप कुमार मिश्रा पुत्र सूरज कुमार मिश्रा ने एसडीएम को दिए शिकायती पत्र में बताया कि उनकी ग्राम पंचायत में महिला प्रधान भूरी श्रीवास है जबकि उसका काम उसका पुत्र अरविंद श्रीवास देखता है और उनके द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ कर गुरदहा रोड पर हरिदास के खेत में और बब्बू सिंह के खेत से करिया के खेत तक बिना चकरोड डलवाए फर्जी भुगतान करा लिया है।
साथ ही गांव में बने खेल मैदान में झूले आदि लगवाने में भी सरकारी धन की जमकर लूट की गई है और ग्राम पंचायत में एक भी हैण्डपम्प सही नहीं होने से लोगों को पानी की भीषण किल्लत का सामना करना पड़ रहा है वहीं ग्राम प्रधान ने हैण्डपम्प को रीबोर दिखाकर धन की लूट की है। इतना ही नहीं प्रदीप कुमार ने आरोप लगाया है कि गांव के मनरेगा मजदूरों को दस प्रतिशत का लालच देकर मजदूरी का भी भुगतान किया गया है। प्रदीप कुमार ने मामले का खुलासा करने के लिए सूचना का अधिकार के तहत सूचना मांगी थी लेकिन महा घोटाले का खुलासा होने के डर से जिम्मेदार सूचना देने से बच रहे हैं। युवक ने एसडीएम से मामले की जांच की मांग की है।