उच्च न्यायालय बिलासपुर के मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रिट, सिविल एवं क्रिमिनल शाखा में औचित्यहीन लंबित प्रकरणों के चिन्हांकित कार्य का आकस्मिक निरीक्षण किया। उन्होंने इस मौके पर न्यायिक एवं रजिस्ट्री अधिकारियों एवं कर्मचारियों से चर्चा कर उन्हें मार्गदर्शन भी प्रदान किया।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर में 13 मई से 7 जून तक चल रहे ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान मुख्य न्यायाधीश सिन्हा के निर्देशानुसार औचित्यहीन लंबित प्रकरणों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है, ताकि वादकार, पक्षकार व्यर्थ मुकदमेबाजी से बच सकें। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार औचित्यहीन लंबित प्रकरणों को चिन्हांकित करने की प्रणाली विकसित की गई है, ताकि चिन्हांकित लंबित प्रकरणों को सुनवाई के पश्चात निराकृत किया जा सके।
उच्च न्यायालय बिलासपुर के मुख्य न्यायाधीश के निर्देशानुसार रिट क्रिमिनल अपील, क्रिमिनल रिवीजन, अवमानना प्रकरणों एवं अन्य प्रकरणों में औचित्यहीन लंबित प्रकरणों का चिन्हांकन कर उन्हें सूचीबद्ध करने का कार्य किया जा रहा है। प्रकरणों का भौतिक सत्यापन जिला न्यायालय बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, छत्तीसगढ़ न्यायिक अकादमी में पदस्थ न्यायिक अधिकारियों तथा उच्च न्यायालय में पदस्थ अधिकारी एवं कर्मचारी कर रहे हैं। बीते 15 दिनों से चल रहे इस कार्य का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आज मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा ने आकस्मिक निरीक्षण किया और इस कार्य में जुटे अधिकारियों-कर्मचारियों से चर्चा कर उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन भी प्रदान किया।
निराकृत प्रकरणों के स्केनिंग पश्चात भौतिक सत्यापन कर कार्य भी किया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश ने इसका भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आवश्यक दिशा-निर्देश दिए तथा निराकृत प्रकरणों का डिजिटल माध्यम से दीर्घावधि तक संधारण हो सकेगा। औचित्यहीन लंबित प्रकरणों के भौतिक सत्यापन के कार्य का मुख्य न्यायाधीश ने बीते 13 मई को भी आकस्मिक निरीक्षण किया था।