अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के अवसर पर सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र फरीदाबाद द्वारा नाद सृजन 2.0 का आयोजन किया

संगीत हर किसी की पसंद होती है, हम संगीत हर परिस्थिति में सुनना पसंद करते है. आज के समय में संगीत हमारे जीवन के एक अहम हिस्सा बन चुका है और इसी का एक मुख्य अंग है नृत्य।
राष्ट्रीय नृत्य दिवस के अवसर पर सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र द्वारा 29 अप्रैल, 2024 को “नाद सृजन-2.0” कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ मेनेजर श्री एस एन गोगिया एवं प्राचार्य दीपेन्द्र कांत ने दीप प्रज्वलित कर किया,कला केंद्र के बच्चों ने शास्त्रीय गायन तथा नृत्य प्रस्तुत किया। इसके पश्चात बच्चों ने देशभक्ति गीत तथा भजन आदि गाकर अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया।
प्राचार्य ने बताया कि सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र के पंख दिल्ली, फरीदाबाद, पानीपत, अबाला, जालंधर, लुधियाना, रोहतक जैसे विभिन्न शहरों में फैले हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कला केंद्र प्रयाग संगीत समिति, प्रयागराज से संबद्ध है जो 1926 से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दे रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र बिना किसी भेदभाव के गायन, वाद्य और नृत्य तीनों विधाओं में शिक्षा प्रदान करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को यह कहकर प्रेरित किया कि संगीत केवल एक प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह एकता, सद्भाव और हम में से प्रत्येक के भीतर पनपने वाली
असीमित रचनात्मकता का उत्सव है। उन्होंने सभी को संदेश दिया कि संगीत और नृत्य की कालातीत विरासत का उपयोग ‘सतयुग’ में भी मनुष्यों में मजबूत सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों को स्थापित करने के लिए प्रभावी ढंग से किया था ताकि वे एक सदाचारी जीवन जी सकें। मानवता के तत्कालीन संविधान के अनुसार यह प्रथा प्रत्येक प्राणी के मन, आचरण, व्यवहार और अंतर्निहित प्रतिभा को दृढ़तापूर्वक उत्कृष्टता प्रदान करने में सहायक थी और इस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति सज्जनता और सभ्यता के क्षेत्र में बौद्धिक उत्कृष्टता का प्रतीक था। संगीत एक प्रभावशाली माध्यम है, इसकी गुणवत्ता का समाज के उत्थान या पतन पर असर पड़ता है। सच्चे संगीतकारों को मानवता के पतन के प्रति मूकदर्शक नहीं बने रहना चाहिए। उन्हें अपनी प्रतिभा और कौशल को समय-परीक्षित मानवीय मूल्यों और नैतिकता को पुनर्जीवित करने के लिए समर्पित करना चाहिए। जान लें कि संगीत केवल सौंदर्य या मानसिक उत्कृष्टता के प्रदर्शन के लिए ही नहीं, बल्कि इस दृढ़ विश्वास के साथ भी प्रचलन में आया कि “आत्मा” का ज्ञान सीधे एकाग्रचित्त मन तक पहुंच योग्य है। इसके अलावा, शुद्ध संगीत की शक्ति दिव्य मार्ग बनने में सक्षम है और इस उद्देश्य के साथ सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र अस्तित्व में आया ताकि मानव जाति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास को बढ़ाया जा सके जो स्वस्थ मन और आत्मा के लिए परम आवश्यक है। इस मिशन को प्राप्त करने के लिए, आइए हम मन में संतुलन बहाल करने और “आनंद” की स्थिति पैदा करने के लिए पूरे जोश और उत्साह के साथ एक साथ आएं।

इस बैठक में सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र के मेनेजर गोगिया जी ने संगीत के जीवन में मूल्य पर चर्चा करते हुए बताया सम्पूर्ण वैदिक वाङ्मय छन्दोबद्ध है…जिसका विधिवत् गायन संभव है। आधुनिक भारत का इतिहास वेदों से पूर्व प्रायः अंधकार मय है।

कार्यक्रम में सतयुग दर्शन संगीत कला केंद्र के मैनेजर श्री एस. एन. गोगिया जी ने मुख्य अतिथि बनकर कार्यक्रम की शोभा बड़ाई । कार्यक्रम में मंच संचालन केशव शुक्ला ने तथा बच्चों का मार्ग दर्शन संजय बिडलान तथा कुमुद सिंह ने किया।

BY : News Desk 

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