उत्तर प्रदेश : हमारी ट्रेन करीब साढ़े तीन बजे मदुरई पहुंची। कोच मदुरै रेल हादसे की आंखो देखी: कोच में धुंआ भरने लगा, हर तरफ भागे लोग, सभी गेट थे लॉक, और फिर… यार्ड में खड़ा किया गया। सब कुछ नॉर्मल था। सुबह के सवा पांच बजे किसी ने कॉफी बनाने के लिए स्टोव जलाया। अचानक कोच में धुंआ भरने लगा….सभी लोग दरवाजे की तरफ भागे लेकिन दरवाजा अंदर से लॉक था। किसी तरह लॉक तोड़कर लोग कोच से जिस हाल में थे, उसी हाल में बाहर निकले। इसके बाद सबको अस्पताल लाया गया। आज रामेश्वरम जाना था, लेकिन हादसा हो गया। बेटे ने फोन पर यह पूरी घटना बताई है। यह बयां करते करते सीतापुर के शास्त्री नगर निवासी 70 वर्षीय लल्लू राम त्रिपाठी का गला रुंध गया। वह अपने बहू बेटे और नाती की सही सलामत वापसी की प्रार्थना करने लगे। उन्होंने बताया कि उनके बेटे बहू के साथ चार साल का नाती श्वेतांश भी है। उसको भी मामूली चोटे आई हैं। बेटा आनंद प्रकाश त्रिपाठी पेशे से वकील है और बहू रजत रेखा गृहणी हैं। लल्लूराम त्रिपाठी की तरह ही इस रेल के प्राइवेट कोच में सवार अन्य लोगों की सुरक्षित वापसी की प्रार्थना उनके परिजन कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, सीतापुर शहर के विजयलक्ष्मी नगर स्थित भसीन टूर एंड ट्रैवेल्स से प्राइवेट बोगी की बुकिंग हुई थी। यहां से कुल 63 लोगों ने यात्रा पैकेज की बुकिंग कराई थी। लखनऊ जंक्शन से कोच रवाना हुआ था। इस हादसे में करीब 50 लोग झुलस गए। इसमें 12 लोग सीतापुर से शामिल हुए। यह यात्रा बीते 17 अगस्त से शुरू होकर 30 अगस्त तक प्रस्तावित थी। शनिवार को सुबह हादसे की खबर आई तो सबसे पहले ट्रैवेल एजेंसी कार्यालय के बाहर लोग पहुंचे। वहां किसी ने फोन नहीं उठाया।
इसके बाद परिजनों ने जिला प्रशासन से संपर्क किया। बताया जा रहा है कि ट्रैवेल एजेंसी का मालिक पप्पू भसीन भी इस यात्रा में शामिल है। हालांकि उससे फोन पर संपर्क नहीं हो पाया। इस हादसे में आदर्श नगर निवासी मिथिलेश कुमारी (62) और शत्रुदमन सिंह (65) की मौत हो गई। उनकी मौत की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया। एडीएम राम भरत तिवारी और सीओ सिटी सुशील सिंह ने घर पहुंचकर परिजनों को ढांढस बंधाया। इन दोनों के अलावा दस अन्य घायलों का मदुरै स्थित अस्पताल में इलाज जारी है। सभी के परिजनों से उनका संपर्क हो गया है।
रेलवे से हुई बड़ी चूक, जिला प्रशासन छिपाता रहा घायलों की सूची
प्राइवेट रेलवे कोच में जिस तरह से सिलेंडर ले जाया गया। यह रेलवे की बड़ी चूक साबित हुआ। यदि समय रहते जिम्मेदार अधिकारी इसे ले जाने से रोक लेते तो शायद यह हादसा न होता। वहीं, हादसे के बाद सीतापुर जिला प्रशासन घायलों व मृतकों की सूची छिपाता रहा। तहसील के अधिकारियों ने मृतकों व घायलों के घर जाकर उनकी डिटेल नोट की।
चश्मदीदों ने बयां किया खौफनाक मंजर…
हम सो रहे थे। सुबह सवा पांच का समय था। दरवाजे खिड़कियां अंदर से बंद थे। जब कोच में धुंआ और आग फैलने लगी तो हम लोग दरवाजे की ओर भागे। हम तो बच गए लेकिन साथ लाया सारा सामान जलकर राख हो गया।- अशोक प्रजापति
दरवाजा लॉक था, खुल नहीं रहा था..लगा अब नहीं बचेंगे
मैं बीच वाली सीट पर थी। आग लगी तो हम लोग दरवाजे के पास पहुंचे। दरवाजा लॉक था और खुल नहीं रहा था..हम लोग घबरा गए लेकिन फिर किसी तरह दरवाजा खोलकर बाहर निकले।- रजत रेखा
चार लोगों को बचाया..लेकिन पत्नी को खो दिया
कोच के अंदर काफी धुंआ और आग थी। मैं चार लोगों को लाद कर बाहर निकाल लिया, लेकिन अपनी पत्नी मिथिलेश कुमारी और बहनोई शत्रुदमन सिंह को नहीं निकाल पाया। दोनों की हादसे में मौत हो गई।- शिव प्रताप सिंह चौहान, आरएसएस स्वयंसेवक
भसीन ट्रैवेल से तीन बार कर चुकी हैं धार्मिक यात्रा
मृतका मिथिलेश कुमारी के दामाद कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि मृतका के दो पुत्र हैं। बड़ा बेटा अवनीश सिंह पंचायती राज विभाग में रोजगार सेवक है। वहीं छोटा बेटा आशीष सिंह दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता है। मृतका की इकलौती पुत्री मनीषा सिंह से उनका विवाह हुआ था। उनकी सास मिथिलेश कुमार बीते दिनों भसीन टूर एंड ट्रैवेल्स से तीन बार पहले भी यात्रा कर चुकी हैं। इस बार चौथी बार यात्रा पर थीं। 30 अगस्त को वह लौटकर सबको प्रसाद वितरण करने वाली थीं, लेकिन हादसे में उनकी मौत की खबर आई। उनकी मौत की खबर से परिजन गमगीन हैं।
वहीं, आदर्श नगर निवासी मृतक शत्रुदमन सिंह के तीन भाई हैं। जिसमें वह सबसे बड़े थे। उनसे छोटे लल्ला सिंह व अरुण सिंह हैं। मृतक का एक पुत्र उपेंद्र गोरखपुर में आबकारी निरीक्षक के पद पर तैनात है। वहीं, दूसरा पुत्र आलोक गांव में लगी क्रेशर की देखरेख करता है। इनकी दो बेटियां रीता सिंह व प्रियंका सिंह भी हैं। दोनों का विवाह हो चुका है।
ऐसी आगे बढ़ती रही यह रेल यात्रा
17 अगस्त- सभी यात्री सीतापुर से बस द्वारा लखनऊ जंक्शन पहुंचे।
17 अगस्त- शाम 4 बजकर 20 मिनट- ट्रेन लखनऊ से विजयवाड़ा के लिए प्रस्थान
19 अगस्त – रात 8 बजकर 40 मिनट- ट्रेन विजयवाड़ा पहुंची। यात्रियों ने रात्रि विश्राम किया।
19 अगस्त- बस से मल्लिकार्जुन (श्री शैलम ज्योतिर्लिंग) पहुंचे। वहां दर्शन के बाद सभी ने रात्रि विश्राम किया।
20 अगस्त- दोपहर 1 बजे विजयवाड़ा से ट्रेन का प्रस्थान, रात 8 बजकर 40 मिनट पर रेनीगुंटा पहुंची। यहां सभी ने रात्रि विश्राम किया।
21 अगस्त- तिरुपति बालाजी दर्शन किए।
21 अगस्त- रात 7 बजकर 20 मिनट पर मैसूर के लिए प्रस्थान।
22 अगस्त- सुबह 7 बजे मैसूर पहुंची ट्रेन। मैसूर पैलेस, चामुंडा देवी मंदिर, वृंदावन गार्डन का भ्रमण किया।
22 अगस्त- रात 9 बजकर 50 मिनट पर बैंगलोर के लिए प्रस्थान, रात पौने एक बजे बैंगलोर पहुंची।
23 अगस्त- बस द्वारा इस्कॉन मंदिर, गणेशन मंदिर बुल नंदी जी मंदिर व लालबाग बॉटनिकल गार्डन का भ्रमण
23 अगस्त- यशवंतपुर से मदुरई के नागरकोइल प्रस्थान
24 अगस्त- दोपहर डेढ़ बजे मदुरई के नागरकोइल पहुंची। यहां से बस द्वारा कन्याकुमारी, विवेकानंद रॉक के दर्शन।
25 अगस्त- कोइलम इंटरनेशनल बीच भ्रमण व पद्मनाभम मंदिर के दर्शन किए।
25 अगस्त- रात 10 बजकर 40 मिनट पर प्रस्थान, सुबह करीब साढ़े तीन बजे मदुरई पहुंची।
26 अगस्त- सुबह सवा पांच बजे रामेश्वरम व मीनाक्षी मंदिर भ्रमण से पूर्व हादसा हुआ।
रेल हादसे में मृतकों व घायलों की सूची
मिथिलेश कुमारी, आदर्श नगर- मृतक
शत्रुदमन सिंह- आदर्श नगर- मृतक
शिव प्रताप सिंह चौहान, आदर्श नगर- घायल
सुशीला सिंह, आदर्श नगर- घायल
नीरज कुमार मिश्रा- आदर्श नगर- घायल
सरोजनी मिश्रा- आदर्श नगर- घायल
अशोक कुमार प्रजापति, आदर्श नगर- घायल
अलका प्रजापति, आदर्श नगर- घायल
शैल कुमारी, आदर्श नगर- घायल
रजत रेखा, शास्त्री नगर- घायल
आनंद प्रकाश त्रिपाठी, शास्त्री नगर- घायल
चार वर्षीय श्वेतांश शुक्ला, शास्त्री नगर- घायल