जयपुर : राजस्थान हाइकोर्ट से हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर को बड़ी राहत मिली है। इसके बाद पिछले 18 दिनों से खाली चल रहे मेयर के पद को मुनेश ने फिर से संभाल लिया। मुनेश गुर्जर ने अपने समर्थकों के साथ निगम ऑफिस पहुंचकर पद संभाला। इस दौरान मुनेश के समर्थन में जमकर नारेबाजी हुई।
नगर निगम मेयर का पदभार ग्रहण करने के बाद मुनेश गुर्जर ने कहा- पिछले कुछ वक्त से शहर की व्यवस्थाएं काफी बिगड़ गई थी। मेरी पहली प्राथमिकता इन बिगड़ी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना रहेगी।
पदभार ग्रहण करने के साथ ही मेयर मुनेश गुर्जर को DLB ने एक बार फिर नोटिस जारी किया है। इस पर मुनेश ने कहा- इस नोटिस को लेकर मैंने पहले ही स्वायत्त शासन विभाग को जवाब दे दिया था। फिर से इस नोटिस को जारी किया गया है। इस पर नियम अनुसार आगामी कार्रवाई करेंगे।
मुख्यमंत्री से मिलकर कहूंगी पूरी बात
मुनेश ने कहा- फिलहाल मेयर पद को लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है, ऐसे में इस मामले पर तुम्हें कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती। लेकिन मैं अपनी व्यथा को मुख्यमंत्री तक जरूर पहुंचना चाहूंगी। जब भी मुझे वहां से मिलने का वक्त मिलेगा। मैं उनसे मिलेगी और सच्चाई से अपनी पूरी बात कहूंगी।
सुदर्शन चक्र वाला सब देख रहा है
मंत्री प्रताप सिंह द्वारा लगाए जा रहे आरोपों पर मुनेश गुर्जर ने कहा कि इस पर मैं फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करना चाहती, लेकिन यह जरूर कहूंगी कि मैं अपना पूरा काम ईमानदारी से किया है। सुदर्शन चक्र वाला सब कुछ देख रहा है।
स्वायत्त शासन विभाग ने मुनेश को दिया नोटिस
स्वायत्त शासन विभाग ने राजेंद्र वर्मा प्रकरण में गुरुवार को मुनेश गुर्जर को नोटिस जारी कर 3 दिन में पक्ष रखने का समय दिया है। विभाग ने नोटिस में लिखा है- तय समय में जवाब विभाग को नहीं मिलने पर आपके खिलाफ राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 के तहत एकपक्षीय कार्यवाही अमल में लाई जाएगी, जिसकी पूरी जिम्मेदारी खुद की होगी।
नोटिस को लेकर भी मुनेश ने एक बार फिर सफाई पेश की। उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच जारी है। राजेंद्र वर्मा प्रकरण में सिर्फ मुझे ही नहीं बल्कि पार्षदों को भी नोटिस जारी हुए हैं। मीडिया और आम जनता को भी पता है किस तरह इस मामले को तूल दिया जा रहा है, जबकि इस मामले की पुलिस जांच तक पूरी नहीं हुई है।
सुदर्शन चक्र वाले का मुझ पर आशीर्वाद
कोर्ट से राहत मिलने के बाद उन्होंने से कहा कि फिलहाल यह मामला कोर्ट में पेंडिंग है। इस वजह से मैं इस पर ज्यादा कुछ नहीं कह पाऊंगी। लेकिन यह जरूर से कहना चाहती हूं, कि सुदर्शन चक्र वाले का मुझ पर आशीर्वाद है। वो जैसा चाहेंगे, वैसा ही होगा।
उन्होंने कहा कि जयपुर ने मुझे बहुत प्यार दिया है, इसलिए अब उस प्यार के कर्ज को मैं जनता की सेवा कर उतरना चाहती हूं। उन्होंने कहा- मेरे परिवार के इस बुरे वक्त भी कांग्रेस के कार्यकर्ता और पार्षद हमारे साथ खड़े थे। इससे मुझे बहुत हिम्मत और ताकत मिली है।
षड्यंत्र करने वालों को जवाब मिल गया
मुनेश गुर्जर के ससुर कैप्टन राम प्रसाद गुर्जर ने कहा कि ऊपर वाला हमेशा सही फैसला करता है। मुनेश को राहत मिलने के बाद अब तो पहले से भी ज्यादा खुशी हो रही है, क्योंकि अगर कोई इंसान समुद्र में डूब रहा होता है और वह बच जाता है। तो उसे पहले से भी ज्यादा खुशी महसूस होती है, क्योंकि उसे नया जीवन मिला होता है।
राम प्रसाद गुर्जर ने मुनेश के निलंबन पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आज षड्यंत्र करने वालों को जवाब मिल गया है, जो भविष्य में और ज्यादा मिलेगा। क्योंकि सिर्फ इतने से जवाब से उनका काम नहीं चलेगा। हमारे शास्त्रों में भी लिखा है। जो किसी के लिए गड्ढा खोदता है, वह खुद उसमें गिरता है।
हाईकोर्ट के फैसले पर डिप्टी मेयर असलम फारूखी ने भी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर किसी इंसान को लगता है कि उसके साथ गलत हुआ है। तो वह कोर्ट का सहारा लेता है। इसी तरह मेयर मुनेश गुर्जर ने भी कोर्ट का सहारा लिया था। जहां कोर्ट ने भी माना उनके साथ गलत हुआ है, इसलिए अब कोर्ट ने उन्हें इंसाफ दिया है। जो न सिर्फ मुनेश गुर्जर और उनके परिवार बल्कि, निगम के पार्षदों और कांग्रेसी नेताओं के लिए खुशी किया बात है।
इस दौरान फारूखी ने एक बार DLB पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि एडिशनल कमिश्नर प्रकरण में मुझे भी नोटिस दिए गए हैं, लेकिन यह डिपार्टमेंट की बड़ी चूक है। जिस प्रकरण की जांच अब तक राजस्थान पुलिस ने पूरी नहीं की है, उसमें आप कैसे किसी को दोषी ठहरा सकते हो। इसके बाद भी जो पार्टी का फैसला होगा, मुझे वो स्वीकार होगा। क्योंकि डिप्टी मेयर का पद कांग्रेस पार्टी ने मुझे दिया है। अगर पार्टी किसी और को डिप्टी मेयर बनाना चाहती है तो मैं पार्टी के फैसले का सम्मान करूंगा।
बता दें कि DLB द्वारा जयपुर नगर निगम हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर के निलंबन पर हाईकोर्ट से रोक लगा दी है। बुधवार को जस्टिस इंद्रजीत सिंह की अदालत ने रोक लगाते हुए कहा कि सरकार बिना प्राथमिक जांच किए मेयर का निलंबन नहीं कर सकती है। इस निलंबन में सरकार ने जो कानूनी प्रक्रिया अपनाई है। वह पूरी तरह से गलत है।