Chandrayaan-3 Moon Mission Landing Live Updates: चंद्रयान-3 अपने 40 दिन के सफर के बाद आज चंद्रमा पर सफलता पूर्वक लैंड कर लिया है। इन 40 दिनों में लैंडर मॉड्यूल ने पृथ्वी की 21 और चंद्रमा की 120 बार परिक्रमा की है। लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। इसके बाद भारत दुनिया का इकलौता देश है, जो दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा है। जबकि रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा पर रोवर उतारने वाला चौथा देश है।
चंद्रमा पर भारत के कदम रखते ही पूरे देश में खुशी का माहौल है। इसरो के कमांड सेंटर में भी वैज्ञानिक झूम उठे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोहान्सबर्ग से वर्चुअली जुड़कर चंद्रयान-3 की लैंडिंग देखी। पीएम मोदी ने कहा कि भारत अब चंद्रमा पर है। उन्होंने कहा कि हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया।
लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें साझा कीं
चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें साझा कीं। इसरो का कहना है कि चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह से 17.8 किमी की ऊंचाई पर है।
#WATCH चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह की तस्वीरें साझा कीं। pic.twitter.com/HEiOZAUjfc
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#WATCH | The power descent phase of Chandrayaan-3 lander Vikram has started, says ISRO. pic.twitter.com/kGEvITlG4L
— ANI (@ANI) August 23, 2023
एस सोमनाथ बेंगलुरु के मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में मौजूद
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग देखने के लिए बेंगलुरु के मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में मौजूद हैं।
#WATCH | ISRO Chairman S Somanath at Mission Control Complex in Bengaluru for Chandrayaan-3 Mission soft landing on the Moon pic.twitter.com/9k4ZyySwd1
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बेंगलुरु में इसरो के मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स के दृश्य
चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम आज चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। बेंगलुरु में इसरो के मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स के दृश्य।
#WATCH | Chandrayaan-3 lander Vikram to touchdown on the Moon's South Pole today
Visuals from ISRO's Mission Control Complex in Bengaluru pic.twitter.com/Qv7TxxeYs1
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Live Updates…
- लैंडर की ऊंचाई चंद्रमा की सतह से 50 मीटर है। दोनों इंजन बेहतरीन काम कर रहे हैं।
- रफ ब्रेकिंग फेज, फाइन ब्रेकिंग प्रक्रिया के बाद वर्टिकल डिसेंड प्रोसेस शुरू किया गया है। लैंडर 67 मीटर प्रति सेकेंड की स्पीड से नीचे उतर रहा है।
- सबकुछ प्रक्रिया के तहत चल रहा है। अभी लैंडर मॉड्यूल 3 किमी पर है। लैंडिंग की करीब 70 फीसदी यात्रा पूरी हो चुकी है।
- वैज्ञानिकों ने रफ ब्रेकिंग फेज की शुरुआत की है। इसमें प्रक्रिया में लैंडर की वेलोसिटी घटाई जा रही है। लैंडर की ऊंचाई कम की जा रही है। अच्छे संकेत सामने आए हैं।
- इसरो चीफ एस सोमनाथ चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग देखने के लिए बेंगलुरु के मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में मौजूद हैं।
- चंद्रयान-3 के लैंडर की चंद्रमा पर लैंडिंग देखने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह दिल्ली में सीएसआईआर मुख्यालय में मौजूद हैं।
- दिल्ली सीएसआईआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक सत्यनारायण ने कहा कि हम चंद्रमा की सतह को छूने वाले चार देशों में शामिल होने जा रहे हैं। असफलताओं ने हमने बहुत कुछ सीखा है।
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- चंद्रयान-3 की सफल चंद्र लैंडिंग के लिए लोगों ने श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में विशेष प्रार्थना की।
- जम्मू-कश्मीर के बडगाम में आर्मी गुडविल स्कूल हांज़िक की खगोल विज्ञान प्रयोगशाला में छात्र चंद्रयान -3 मिशन के लिए जयकारे कर रहे हैं।
- मुंबई में गायक कैलाश खेर ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग से पहले भारतीयों के लिए एक गाना समर्पित किया।
#WATCH मुंबई: गायक कैलाश खेर ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग से पहले भारतीयों के लिए एक गाना समर्पित किया। pic.twitter.com/E21JakHeT0
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पढ़ें मून मिशन की खास 5 बातें
- शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड किया। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का इकलौता देश बन गया है।
- रूस का मून मिशन लूना-25 भी दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला था। लेकिन रविवार को ऑर्बिट बदलने के दौरान तकनीकी खामी का शिकार हो गया। इसके बाद वह चंद्रमा की सतह से टकराकर क्रैश हो गया था। 2019 में चंद्रयान-2 मिशन भी दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सुरक्षित तरीके से लैंड नहीं हो सका था। यह क्षेत्र गड्ढों और गहरी खाइयों से भरा पड़ा है।
- चंद्रयान-3 2019 के चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन है। चार साल पुरानी गलतियों को ठीक करने में लग गए। अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने विश्वास जताया था कि लैंडिंग बिना किसी रुकावट के होगी, क्योंकि वैज्ञानिकों ने चंद्रयान -2 की गलतियों को दूर कर लिया है।
- लैंडिंग की जगह का चयन सावधानी पूर्वक किया गया है। इस क्षेत्र में पानी के निशान मिले हैं। 2009 में चांद की तसह पर पानी इसरो के चंद्रयान-1 की जांच के बाद नासा के एक उपकरण ने पता लगाया था।
- चंद्रयान-3 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। स्पेसक्रॉफ्ट को एलवीएम 3 हेवी-लिफ्ट रॉकेट अंतरिक्ष में ले गया था। लैंडर विक्रम का नाम वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है।