बाड़मेर : चूड़ी बेचने वाली का बेटा बना CRPF में SI; अब जो दे रहे बधाई-कभी नहीं करने देते थे पढ़ाई

बाड़मेर: राजस्थान के बाड़मेर जिले के आदर्श ढूंढा गांव के राहुल गवारिया ने न सिर्फ अपना और अपने माता-पिता का, बल्कि पूरे गांव का नाम रोशन किया है। केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की 5 स्तरीय परीक्षा पास करके राहुल अब सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) में सब-इंस्पेक्टर बन गए हैं। बड़ी विचित्र बात है कि अब जो लोग घर आ-आकर बधाई देने में लगे हैं, कभी वो राहुल को पढ़ाने पर उसके मजदूर पिता को ताने देते थे। आइए इस परिवार के संघर्ष की कहानी रू-ब-रू होते हैं, ताकि हम किसी और गरीब को प्रेरणा दे सकें।

ध्यान रहे, केंद्रीय कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की 5 स्तरीय परीक्षा में लगभग 7 लाख युवा शामिल हुए थे। इनमें से 68 हजार युवा फिजिकल टेस्ट में शामिल हुए और इनमें से मुख्य परीक्षा के लिए सिर्फ 15 हजार का ही चयन हो सका है। इनमें से भी 12 हजार युवाओं को मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया और फिर पांच स्तरीय परीक्षा में 4300 युवाओं का चयन सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) के लिए किया गया है। इन्हीं में से एक नाम बाड़मेर के गांव आदर्श ढूंढा के राहुल का भी है। इस सफलता के बाद राहुल के माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। राहुल की मां कमला देवी का कहना है कि उन्होंने चूड़ियां बेचकर अपने बेटे को इस मुकाम पर पहुंचाया है। बेटे ने भी दिन-रात मेहनत की।

ऐसा था मफलिसी का दौर

बाड़मेर में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान राहुल एनसीसी में शामिल हो गए थे। 26 जनवरी 2019 को राहुल को जोधपुर ग्रुप कैडेट्स में बेस्ट कैडेट का अवार्ड से नवाजा गया। इसके बाद वह सेना में जाने की तैयारी करने लग गए। इसी का नतीजा है कि पहले ही प्रयास में सफलता मिल गई। अपने मुफलिसी के दिनों से यहां तक सफर पर बात करते हुए राहुल गवारिया बताते हैं कि इनके पिता सिर्फ आठवीं तक पढ़ें हैं तो मां अशिक्षित हैं। वह कभी स्कूल नहीं गईं। पिता ने मजदूरी करके तो मां ने चूड़ियां बेचकर बड़ी मुश्किल से उन्हें पढ़ाया।

राहुल बताते हैं, ‘मैं जिस समाज से आता हूं, उसमें पढ़ाई करना एक सपने जैसा है। हमारे समाज में बच्चों को पढ़ाई से दूर रखा जाता है। मेरे माता-पिता को मुझे पढ़ाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। मेरे लिए उन्हें काफी ताने भी सुनने पड़े, लेकिन मैं अपने माता-पिता का ऋण कभी नहीं चुका सकता, जिन्होंने समाज को अनसुना करके मुझे पढ़ाया-लिखा और इस काबिल बनाया। बड़ा अजीब लग रहा है कि जो समाज कभी मुझे और मेरे परिवार को ताने मारा करता था, आज वही घर आकर बधाई दे रहा है’।

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